Dharm

हरियाली तीज…

भारतीय लोक संस्कृति में ऐसे कई त्योहार हैं, जो परिवार और जीवनसाथी की मंगलकामना के भाव से जुड़े हैं. हरियाली तीज भी मुख्यतः स्त्रियों का त्योहार है, जो जीवन में प्रेम-स्नेह की सोंधी सुगंध और आपसी जुड़ाव का उत्सव है. यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस पर्व में महिलाएं व्रत-उपवास रखते हुए सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं और अपने सुहाग की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं.

यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. लहलहाती प्रकृति और प्रेम के रंगों को समेटे हरियाली तीज, अखंड सौभाग्य एवं परिवार की कुशलता के लिए किया जाने वाला व्रत है. इस दिन महिलाएं पति के लिए उपवास रखकर शिव-गौरी का पूजन-वंदन कर झूला झूलती है, सुरीले स्वर में सावन के गीत-मल्हार गाती हैं.

महत्व: –

शास्त्रों में वर्णन है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया, उससे प्रसन्न होकर शिव ने श्रावण शुक्ल तीज के दिन ही मां पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया. यह त्योहार एक पारंपरिक उत्सव के रूप में जीवन में नए रंग भरता है, दांपत्य में प्रगाढ़ता लाता है, साथ ही परिवार और समाज को स्नेह-सूत्र में भी बांधता है. वर्तमान समय में भी इसकी महत्ता बनी हुई है. सच तो यह है कि हमारे धर्म में हर त्योहार, व्रत जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान से जुड़ा हुआ है. परिवार या दांपत्य जीवन में किसी कारणवश मन-मुटाव हो गया हो, कटुता आ गई हो, तो उसे दूर करने के लिए उनमें सकारात्मक भावना पैदा करने के लिए ही हमारे ऋषि-मुनियों ने ऐसे व्रत-त्योहारों का विधान किया है.

पूजा विधि: –

तीज माता देवी पार्वती का ही स्वरूप है, इसके अलावा तृतीया तिथि भी पार्वतीजी को समर्पित है. इस दिन महिलाएं सुंदर वस्त्र-आभूषण पहन कर मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं. पूजन में सुहाग की सभी सामग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए. नवैध में भगवान को खीर पूरी या हलुआ और मालपुए से भोग लगाकर प्रसन्न करें. तत्पश्चात भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाकर तीज माता की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. पूजा के बाद इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है. इसके साथ-साथ वृक्षों, हरी-भरी फसलों, वरुण देव तथा पशु-पक्षियों को भी आज के दिन पूजने की परंपरा है.

सत्येंद्र सिंह, धनबाद.

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Hariyali Teej…

Many festivals in Indian folk culture are associated with the sentiment of wishing well for the family and the spouse. Hariyali Teej is also primarily a festival for women, which celebrates the sweet fragrance of love and affection in life and mutual bonding. This festival holds special significance for married women. In this festival, women observe fasts do sixteen adornments worship Lord Shiva and Mother Parvati and pray for the long life and happiness of their husbands.

This festival is celebrated on the Tritiya of the Shukla Paksha of the Shravan month. Hariyali Teej, which encompasses the colours of lush nature and love, is fast observed for unbroken good fortune and the well-being of the family. On this day, women keep fast for their husbands, worship Shiva-Gauri swing, and sing the songs of Sawan in a melodious voice.

Importance: –

It is mentioned in the scriptures that Mother Parvati did a lot of penance to get Lord Shiva as her husband, and pleased with that, Shiva accepted Mother Parvati as his wife on the day of Shravan Shukla Teej. This festival, as a traditional festival, adds new colours to life, brings intimacy to married life, and also binds the family and society in the thread of affection. Its importance remains even in the present times. The truth is that every festival, fast in our religion is related to the solution of problems in life. If there is any discord or bitterness in the family or married life due to any reason, then our sages and saints have prescribed such fasts and festivals to remove it and to create positive feelings in them.

Worship Method: –

Teej is the form of Mother Goddess Parvati, apart from this; Tritiya Tithi is also dedicated to Parvati ji. On this day, women wear beautiful clothes and jewellery and worship Goddess Parvati and Shivling by making them from clay or sand. In the worship, all the items of Suhaag should be collected and decorated on a plate and offered to Goddess Parvati. In the naivety, please the Lord by offering Kheer Puri or Halwa and Malpua. After that, one should offer clothes to Lord Shiva and listen to or read the story of Teej Mata. After the worship, these idols are immersed in a river or any holy water body. Along with this, there is a tradition of worshipping trees, green crops, Varun Dev and animals and birds on this day.

Satyendra Singh, Dhanbad.

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