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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस हर वर्ष  7 अगस्त को मनाया जाता है. यह दिन भारतीय हथकरघा उद्योग के समृद्ध इतिहास और इसके योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. इसे पहली बार 2015 में मनाया गया था.

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का मुख्य उद्देश्य हथकरघा उद्योग को प्रोत्साहित करना और इसकी महत्ता को उजागर करना है. यह दिन उन कारीगरों और बुनकरों को सम्मानित करने का एक अवसर है जिन्होंने अपनी कला और कौशल से भारतीय हथकरघा उद्योग को समृद्ध किया है. इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में हथकरघा उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़े और उनकी मांग बढ़े. हथकरघा उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करता है. इस दिन के माध्यम से रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाता है. 

भारतीय हथकरघा उद्योग भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. हर राज्य की अपनी विशिष्ट हथकरघा कला है, जैसे कि बनारसी साड़ी, पटोला, कांचीपुरम सिल्क आदि. हथकरघा उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है. यह लाखों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है. हथकरघा उद्योग पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है क्योंकि इसमें मशीनों की तुलना में कम ऊर्जा की खपत होती है और यह अधिक सतत होता है.

7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में चुना गया क्योंकि इसी दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन का उद्देश्य विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी उत्पादों का उपयोग था. यह दिन उसी भावना को पुनर्जीवित करने और भारतीय हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए चुना गया.

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारतीय हथकरघा उद्योग के महत्व को समझने और इसे समर्थन देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. इस दिन को मनाकर हम अपने कारीगरों के प्रति सम्मान व्यक्त कर सकते हैं और भारतीय हथकरघा कला को संरक्षित और प्रोत्साहित कर सकते हैं.

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National Handloom Day

National Handloom Day is celebrated every year on 7 August. This day is celebrated to honour the rich history of the Indian handloom industry and its contribution. It was first celebrated in 2015.

The main objective of National Handloom Day is to encourage the handloom industry and highlight its importance. This day is an opportunity to honour the artisans and weavers who have enriched the Indian handloom industry with their art and skills. Various programs, exhibitions and workshops are organized on this day to increase awareness of handloom products among the people and increase their demand. The handloom industry employs a large scale in rural areas. Employment opportunities are promoted through this day.

The Indian handloom industry is an important part of India’s cultural heritage. Every state has its distinctive handloom art, such as Banarasi Saree, Patola, Kanchipuram Silk etc. The handloom industry contributes significantly to the rural economy. It is a source of livelihood for millions of people. The handloom industry is also beneficial for the environment as it consumes less energy than machines and is more sustainable.

August 7 was chosen as National Handloom Day because on this day in 1905, the Swadeshi Movement was started. The aim of this movement was the boycott of foreign textiles and the use of indigenous products. This day was chosen to revive the same spirit and promote the Indian handloom industry.

National Handloom Day is an important occasion to understand the importance of the Indian handloom industry and support it. By celebrating this day we can express our respect towards our artisans and preserve and promote Indian handloom art.

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