Dharm

सुन्दरकाण्ड-12-6…

…समुन्द्र के इस पार आना, सबका लौटना, मधुवन प्रवेश-6…

चौपाई :-

नाथ भगति अति सुखदायनी। देहु कृपा करि अनपायनी।।

सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी। एवमस्तु तब कहेउ भवानी ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, हे नाथ ! मुझे अत्यंत सुख देने वाली अपनी निश्चल भक्ति करके दीजिए. हनुमान जी की अत्यंत सरल वाणी सुनकर, हे भवानी ! तब प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने ‘एवमस्तु’ (ऐसा ही हो)- कहा.

उमा राम सुभाउ जेहिं जाना। ताहि भजनु तजि भाव न आना।।

यह संवाद जासु उर आवा। रघुपति चरन भगति सोइ पावा ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, हे उमा ! जिसने श्रीरामचंद्र जी का स्वभाव जान लिया. उसे भजन छोड़कर दूसरी बात ही नहीं सुहाती है. यह स्वामी-सेवक का संवाद जिसके ह्रदय में आ गया, वही श्रीरघुनाथ जी के चरणों की भक्ति पा गया.

सुनि प्रभु बचन कहहिं कपिबृंदा। जय जय जय कृपाल सुखकंदा।।

तब रघुपति कपिपतिहि बोलावा। कहा चलैं कर करहु बनावा ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, प्रभु के वचन सुनकर वानर गण कहने लगे – कृपालु आनंद कंद श्रीरामचंद्र जी की जय हो जय हो, जय हो ! तब श्रीरघुनाथ जी ने कपिराज सुग्रीव को बुलाया और कहा – चलने की तैयारी करो.

अब बिलंबु केहि कारन कीजे। तुरत कपिन्ह कहुँ आयसु दीजे।।

कौतुक देखि सुमन बहु बरषी। नभ तें भवन चले सुर हरषी ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, अब विलंब किस कारण किया जाए. वानरों को तुरंत आज्ञा दो. भगवान की यह लीला (रावण वध की तैयारी) देखकर, बहुत से फूल बरसाकर और हर्षित होकर देवता आकाश से अपने-अपने लोक को चले.

वालव्याससुमनजीमहाराज,

 महात्मा भवन,

श्रीरामजानकी मंदिर,

राम कोट, अयोध्या.

Mob: – 8709142129.

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…Samundr Ke Is Paar Aana, Sabaka Lautana, Madhuvan Pravesh-6…

Choupai:-

Nath Bhagati Atti SukhadaayaneeDehu Krpa Kari Anapaayanee।।

Suni Prabhu Param Saral Kapi BaaneeEvamastu Tab Kaheu Bhavaanee ।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj ji says, O Lord! Give me your unwavering devotion that gives me immense happiness. Hearing the very simple speech of Hanuman ji, O Bhavani! Then Lord Shri Ramchandra ji said ‘Evamastu’ (so be it).

Uma Raam Subahu Jehin JaanaTaahi Bhajanu Taji Bhaav Na Aana।।

Yah Sanvaad Jaasu Ur AavaRaghupati Charan Bhagati Soi Pava ।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj ji says, O Uma! Who came to know the nature of Shri Ramchandra ji. Apart from Bhajan, he doesn’t like anything else. The one who has this master-servant dialogue in his heart attains devotion at the feet of Shri Raghunath ji.

Suni Prabhu Bachan Kahahin KapibrndaJay Jay Jay Krpaal Sukhakanda।।

Tab Raghupati Kapipatihi BolaavaKaha Chalain Kar karahu Banaava ।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj ji says that after hearing the words of the Lord, the monkeys started saying – Jai ho to Kripalu Anandkand Shri Ramchandra ji, Jai ho, Jai ho! Then Shri Raghunath ji called Kapiraj Sugriva and said – Prepare to leave.

Ab Bilambu Kehi Kaaran KeejeTurat Kapinh Kahun Aayasu Deeje।।

Kautuk Dekhi Suman Bahu BarasheeNabh Ten Bhavan Chale Sur Harashee ।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj Ji says, why should there be delay now? Immediately give orders to the monkeys. Seeing this Leela of God (preparations for killing Ravana), the gods showered many flowers and became happy and went from the sky to their respective worlds.

Walvyassumanji Maharaj,

 Mahatma Bhawan,

Shriram Janaki Temple,

Ram Kot, Ayodhya.

Mob: – 8709142129.

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