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अंतर्द्वंद्व के साये

अपनापन

वर्षों बाद, अवनि अपनी पोती के साथ बैठी उसे अपनी कहानी सुना रही थी. उसकी पोती बड़ी उत्सुकता से सुन रही थी कि कैसे उसकी दादी ने मुश्किलों का सामना किया और कैसे उन्हें सच्चा प्यार और अपनापन मिला.

अवनि ने अपनी पोती को समझाया कि जीवन में दुख और चुनौतियाँ आती रहती हैं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हम उनसे सीखें और कभी भी उम्मीद का दामन न छोड़ें. उसने उसे यह भी सिखाया कि अपनी भावनाओं को व्यक्त करना और अपने अधिकारों के लिए खड़े होना कितना ज़रूरी है.

उसकी पोती ने कहा, “दादी, आपकी कहानी बहुत प्रेरणादायक है. इसने मुझे सिखाया कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए.”

अवनि ने अपनी पोती को प्यार से गले लगाया. उसे खुशी थी कि उसकी कहानी दूसरों को भी प्रेरित कर रही है.

आज, अवनि एक प्रतिष्ठित कलाकार के रूप में जानी जाती है. उसकी कला में उसकी ज़िंदगी के अनुभव झलकते हैं – कभी उदासी, कभी उम्मीद, और हमेशा प्यार की तलाश. वह अब दूसरों को भी अपनी कला के माध्यम से प्रेरित करती है, खासकर उन लोगों को जो अकेलापन और व्यथा महसूस करते हैं.

आर्यन हमेशा उसके साथ रहा, उसका सबसे बड़ा सहारा और दोस्त बनकर. उनकी बेटी एक समझदार और सशक्त महिला बन गई थी, जिसने अपने जीवन में अपनी राह खुद चुनी थी.

अवनि ने अपने परिवार के साथ एक गहरा और अटूट बंधन बना लिया था. माँ अब एक प्यारी दादी थीं, और भाई भी अब एक ज़िम्मेदार और स्नेहिल चाचा बन गया था. उनके बीच का सारा मनमुटाव दूर हो चुका था, और अब सिर्फ प्यार और सम्मान था.

एक शांत शाम, अवनि अपनी बालकनी में बैठी सूर्यास्त देख रही थी. उसके पास आर्यन बैठे थे, उनका हाथ उसके हाथ में था. नीचे लॉन में उसकी पोती खेल रही थी, और अंदर से उसकी बेटी और माँ की हँसी की आवाज़ें आ रही थीं.

उस पल, अवनि को लगा कि उसका जीवन सचमुच परिपूर्ण है. उसने व्यथा के अंधेरे से निकलकर खुशी और संतोष की रोशनी में कदम रखा था. उसने सीखा था कि अपने आप को प्यार करना और अपनी भावनाओं का सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है. और उसने यह भी जाना था कि परिवार और प्यार की शक्ति हर घाव को भर सकती है.

अवनि की कहानी एक यात्रा थी – व्यथा से विश्वास की ओर, अकेलेपन से अपनेपन की ओर. यह एक ऐसी कहानी है जो हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, अंत में प्यार और खुशी हमेशा जीतते हैं।

समाप्त

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