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अर्थशास्त्र से संबंधित-85.

Q: Discuss the credit control policies of the Reserve Bank of India?

 Quantitative Credit Control…

Changes in Bank Rate:- The bank rate is the rate at which the central bank provides commercial banks with lending facilities on first-class securities. When there is a currency spread in the country, the bank rate is increased and when there is a currency contraction, the bank rate decreases.

Changes in the ratio of cash funds:- The Reserve Bank of India keeps changing the proportion of cash funds according to the economic situation of the country. At present, it has been made mandatory for all scheduled banks to deposit 3 percent of their total deposits with the Reserve Bank, and the right to increase this amount to 15 percent was given to the Reserve Bank.

Open Market Activities:- The Reserve Bank of India through the sale and sale of securities, debentures, and bills in the market through open market operations. The sale of securities by the Reserve Bank reduces the amount of money in the market, leading to a balance of credit, and the purchase of securities increases the amount of money in the market and increases the credit.

Statutory Liquid Funding Ratio:- Under Section 24, banks operating in India are mandated to keep at least part of their total deposits in the form of floor funds and the rest in the form of gold and approved securities.

Quality Credit Control…

Selective credit control:- The Reserve Bank adopts the policy of selective credit control to control the prices of commodities in the country improperly, hoarding of commodities, etc.

Taking Direct Action:- The Reserve Bank also has the right to cancel a license and punish it in its own way if a bank does not follow its orders.

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प्र० :- भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण नीतियों की विवेचना कीजिए?

मात्रात्मक साख नियन्त्रण…

बैंक दर में परिवर्तन :-  बैंक दर वह दर है, जिस पर केन्द्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को प्रथम श्रेणी की प्रतिभूतियों पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करता है. जब देश में मुद्रा-प्रसार की स्थिति होती है, तो बैंक दर में वृद्वि की जाती है और जब मुद्रा-संकुचन की स्थिति होती है, तो बैंक दर में कमी हो जाती है.

नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन :-  भारतीय रिजर्व बैंक देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार नकद कोषों के अनुपात में परिवर्तन करता रहता है. वर्तमान समय में सब अनुसूचित बैंकों के लिए अपनी कुल जमा रकम का 3 प्रतिशत  रिजर्व बैंक में जमा करना अनिवार्य कर दिया गया और इस राशि को 15 प्रतिशत तक बढ़ाने का अधिकार रिजर्व बैंक को दे दिया गया.

खुले बाजार की क्रियाएँ :-  भारतीय रिजर्व बैंक देश में खुले बाजार की क्रियाएँ के माध्यम से बाजार में प्रतिभूतियों, ऋण-पत्रों तथा बिलों के क्रय-विक्रय से है.  रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिभूतियों को बेचने से बाजार में मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है, जिससे साख का सन्तुलन होता है और प्रतिभूतियों के खरीदने जाने से बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ती है तथा साख का विस्तार हो जाता है.

वैधानिक तरल कोषानुपात :-  धारा 24 के अन्तर्गत भारत में कार्य करने वाले बैंक अपनी कुल जमा राशि का कम से कम भाग तल कोषों के रूप में तथा शेष स्वर्ण व अनुमोदित प्रतिभूतियों के रूप में रखना अनिवार्य है.

गुणात्मक साख नियन्त्रण…

चयनात्मक साख नियन्त्रण :-  रिजर्व बैंक देश में वस्तुओं की कीमतों को अनुचित रूप से बढ़ने, वस्तुओं के जमाखोरी आदि को नियन्त्रण करने के लिए चयनात्मक साख नियन्त्रण की नीति को अपनाता है.

प्रत्यक्ष कार्यवाही करना :-  रिजर्व बैंक को यह अधिकार भी प्राप्त है कि यदि कोई बैंक उसके आदेशों का पालन नहीं करता है तो उसका लाइसेन्स रद्द कर देता है और उसे अपने तरिके से दण्डित भी करता है.

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