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व्यक्ति विशेष

भाग – 157.

संगीतकार इलैयाराजा

इलैयाराजा एक प्रतिष्ठित भारतीय संगीतकार हैं जो तमिल सिनेमा में अपने योगदान के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं. उनका जन्म 2 जून 1943 को तमिलनाडु में हुआ था. इलैयाराजा ने 1970 के दशक में अपने संगीत कैरियर की शुरुआत की और जल्द ही उन्होंने अपने अनूठे संगीत शैली के लिए ख्याति प्राप्त की.

इलैयाराजा ने अपने कैरियर में 7000 से अधिक गीतों की रचना की है और 1000 से अधिक फिल्मों में काम किया है. उनका संगीत विविध वाद्ययंत्रों और संगीत शैलियों का मिश्रण प्रस्तुत करता है, जिसमें भारतीय क्लासिकल, फोल्क, और वेस्टर्न क्लासिकल संगीत शामिल हैं. उन्हें अपनी गहन संगीत समझ और ध्वनि डिजाइन में नवाचार के लिए सराहा जाता है.

इलैयाराजा को उनके असाधारण संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण भी शामिल हैं. उनका संगीत न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भी प्रशंसित है.

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अभिनेता अंजन श्रीवास्तव

अंजन श्रीवास्तव एक भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने थिएटर, टेलीविजन, और फिल्मों में अपनी उल्लेखनीय भूमिकाओं से दर्शकों का दिल जीता है. वह विशेष रूप से टेलीविजन धारावाहिक “वागले की दुनिया” में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं, जहां उन्होंने मुख्य किरदार, सामान्य कर्मचारी श्रीमान वागले का अभिनय किया था. इस भूमिका के माध्यम से उन्होंने एक आम आदमी की दैनिक जीवनशैली और चुनौतियों को बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया था.

अंजन श्रीवास्तव का कैरियर कई दशकों तक फैला हुआ है, और उन्होंने अनेक हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. उनकी फिल्मों में उनके किरदार हमेशा विविधतापूर्ण और यादगार रहे हैं. उनका अभिनय न केवल मनोरंजक होता है बल्कि कई बार उसमें गहराई भी होती है, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है.

थिएटर में भी उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण है, और उन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया है, जिससे उन्हें अभिनय के क्षेत्र में गहन अनुभव प्राप्त हुआ है. उनकी ये भूमिकाएँ न केवल उनके कैरियर को विस्तार देती हैं बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि वह एक वर्सेटाइल अभिनेता हैं.

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निर्माता-निर्देशक मणिरत्नम

मणिरत्नम एक अत्यंत प्रतिभाशाली भारतीय फिल्म निर्माता-निर्देशक हैं, जो तमिल सिनेमा के साथ-साथ हिंदी सिनेमा में भी अपने योगदान के लिए विख्यात हैं. उनका जन्म 2 जून 1956 को तमिलनाडु में हुआ था. मणिरत्नम की फिल्में अक्सर सामाजिक मुद्दों, राजनीति, और मानवीय संघर्षों पर केंद्रित होती हैं, जिसमें उनकी अनोखी निर्देशन शैली और तकनीकी प्रवीणता प्रमुख रूप से दिखाई देती है.

मणिरत्नम की कुछ सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में “रोजा” (1992), “बॉम्बे” (1995), “दिल से” (1998), और “गुरु” (2007) शामिल हैं. इन फिल्मों में उन्होंने विविध भावनात्मक और सामाजिक परिस्थितियों का चित्रण किया है, जो दर्शकों के दिलों को छू लेती हैं. उनकी फिल्में अक्सर संगीत के मामले में भी उत्कृष्ट होती हैं, जिसमें ए.आर. रहमान जैसे संगीतकारों के साथ उनकी जोड़ी बेहद प्रसिद्ध है.

मणिरत्नम की फिल्मों में तकनीकी श्रेष्ठता के साथ-साथ गहरी भावनात्मक गहराई भी होती है, जिसने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली फिल्म निर्माताओं में से एक बनाया है.

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उद्यमी नंदन नीलकनी

नंदन नीलकनी एक प्रमुख भारतीय उद्यमी, ब्यूरोक्रेट और लेखक हैं जो विशेष रूप से इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक के रूप में और भारत सरकार के आधार परियोजना के पूर्व चेयरमैन के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 2 जून 1955 को बेंगलुरु में हुआ था. नंदन नीलकनी ने इन्फोसिस में अपनी भूमिका के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की, जो आज भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों में से एक है.

नीलकनी ने अपनी प्रौद्योगिकी और प्रबंधन क्षमताओं का उपयोग करते हुए आधार परियोजना का नेतृत्व किया, जो भारत की विशाल बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली है. इस पहल के माध्यम से, उन्होंने भारतीय नागरिकों को एक अद्वितीय पहचान प्रदान की, जिससे सरकारी सेवाओं और सब्सिडी का लाभ उठाने में सहायता मिली. इसके अलावा, नंदन नीलकनी ने विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक पहलों में भी योगदान दिया है.

नीलकनी ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें “इमेजिनिंग इंडिया” प्रमुख है, जिसमें उन्होंने भारत के आर्थिक विकास, सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति पर अपने विचार साझा किए हैं. उनकी विचारशीलता और नेतृत्व शैली ने उन्हें भारतीय तकनीकी और व्यवसायिक समुदाय में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है.

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महिला तीरंदाज़ डोला बनर्जी

डोला बनर्जी एक भारतीय महिला तीरंदाज हैं जिन्होंने भारतीय तीरंदाजी में अपनी उल्लेखनीय प्रतिभा के लिए पहचान बनाई है. उनका जन्म 2 जून 1980 को बरानगर, पश्चिम बंगाल में हुआ था. डोला ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और अनेक मेडल जीते हैं.

वह 2004 – 08 के ओलंपिक खेलों में भी भाग ले चुकी हैं, जहाँ उन्होंने भारतीय तीरंदाजी टीम का प्रतिनिधित्व किया. डोला बनर्जी ने 2007 में वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीता था, जो उनके कैरियर के उच्चतम बिंदुओं में से एक है.

उनके योगदान और उपलब्धियों ने न केवल उन्हें बल्कि भारतीय तीरंदाजी को भी वैश्विक मंच पर प्रमुखता प्रदान की है. डोला बनर्जी ने युवा तीरंदाजों को प्रेरित करने और खेल में महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा

सोनाक्षी सिन्हा एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी विशेष पहचान बनाई है. उनका जन्म 2 जून 1987 को मुंबई में हुआ था. सोनाक्षी प्रसिद्ध अभिनेता और राजनीतिज्ञ शत्रुघ्न सिन्हा और पूनम सिन्हा की बेटी हैं. उन्होंने 2010 में ब्लॉकबस्टर फिल्म “दबंग” से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की, जहां उन्होंने सलमान खान के साथ अभिनय किया और इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट फीमेल डेब्यू का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला.

सोनाक्षी ने अपने कैरियर में विविध भूमिकाएँ निभाई हैं और “राउडी राठौर”, “लूटेरा”, और “अकीरा” जैसी फिल्मों में उनके प्रदर्शन की विशेष रूप से प्रशंसा की गई है. उन्होंने “लूटेरा” में अपनी संवेदनशील और गहरी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसे आलोचकों ने बहुत सराहा.

सोनाक्षी ने न केवल बड़े पर्दे पर, बल्कि टेलीविजन शोज में भी काम किया है, और वे विभिन्न फैशन शोज और सामाजिक कार्यक्रमों में भी सक्रिय रहती हैं. उनकी उपस्थिति ने उन्हें युवा पीढ़ी के बीच एक प्रेरणादायक आइकन के रूप में स्थापित किया है.

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वैज्ञानिक प्राण कृष्ण पारिजा

प्राण कृष्ण पारिजा एक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे, जिन्होंने मुख्य रूप से मृदा विज्ञान और कृषि रसायन शास्त्र के क्षेत्र में योगदान दिया था. उनका जन्म 1 अप्रैल, 1819 को उड़ीसा के कटक ज़िले में एक निर्धन ग्रामीण परिवार में हुआ था और उनकी मृत्यु 2 जून, 1978) को हुई थी.

पारिजा ने भारतीय मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता के बारे में महत्वपूर्ण शोध किया, जिससे कृषि प्रथाओं में सुधार हुआ और उपज में वृद्धि हुई.

पारिजा का काम मिट्टी के पोषक तत्वों के अवशोषण और उनके कृषि उत्पादकता पर प्रभाव को समझने पर केंद्रित था. उन्होंने विभिन्न मृदा प्रकारों पर व्यापक शोध किया और उनके निष्कर्षों ने मृदा प्रबंधन और स्थायी कृषि तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद की.

पारिजा ने अपने शोध के द्वारा भारतीय कृषि को अधिक उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में योगदान दिया. उनकी विशेषज्ञता और दृष्टिकोण ने उन्हें वैज्ञानिक समुदाय में एक आदरणीय स्थान दिलाया.

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निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर

राज कपूर, भारतीय सिनेमा के एक महान व्यक्तित्व, निर्माता, निर्देशक और अभिनेता थे, जिन्होंने हिन्दी फिल्म उद्योग में अपनी अनूठी शैली और नवाचार के साथ एक अमिट छाप छोड़ी. उनका जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था, और वे कपूर खानदान के प्रमुख सदस्य थे, जो कि भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित परिवारों में से एक है.

राज कपूर ने अपने कैरियर की शुरुआत बहुत युवा उम्र में की थी और उन्होंने 1948 में अपनी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी, आर.के. फिल्म्स की स्थापना की. उनकी पहली बड़ी सफलता “आग” (1948) थी, और उसके बाद उन्होंने “बरसात” (1949), “आवारा” (1951), “श्री 420” (1955), और “संगम” (1964) जैसी क्लासिक फिल्में बनाईं.

राज कपूर की फिल्में अक्सर सामाजिक मुद्दों को उठाती थीं और उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से आम आदमी के संघर्ष और सपनों को चित्रित किया. उन्होंने अपने निर्देशन और अभिनय में भारतीय दर्शकों की भावनाओं से जुड़ने की एक विशेष क्षमता दिखाई, जिसने उन्हें व्यापक लोकप्रियता दिलाई.

राज कपूर को उनके योगदान के लिए भारतीय सिनेमा में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें नौ फिल्मफेयर पुरस्कार और दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं. राज कपूर का निधन  2 जून 1988 को हुआ. उनके निधन के बाद, उन्हें मरणोपरांत दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान का प्रतीक है.

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