
बरसों बीत गए, अमन अब एक सम्मानित व्यक्ति थे, जिनका ज्ञान और समर्पण पूरे क्षेत्र में जाना जाता था. उनके प्रयासों से, कई पुरानी बावड़ियों की मरम्मत हुई, जर्जर मंदिर फिर से जीवंत हो उठे, और युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने लगी.
एक दिन, अमन को एक दूर के गाँव से निमंत्रण मिला. उस गाँव में एक बहुत पुराना किला था, जो बुरी तरह से उपेक्षित था. गाँव के लोग उसे गिराकर वहाँ कुछ नया बनाना चाहते थे, लेकिन कुछ बुजुर्गों को उस किले से भावनात्मक लगाव था. उन्होंने रवि से मदद मांगी थी.
अमन उस गाँव में गए और किले को ध्यान से देखा. वह सदियों पुरानी वास्तुकला और दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियों से बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने गाँव के लोगों को किले के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया और समझाया कि इसे गिराना उनकी विरासत को खोने जैसा होगा.
अमन ने गाँव के युवाओं के साथ मिलकर किले की सफाई और मरम्मत का काम शुरू किया. धीरे-धीरे, किले की पुरानी भव्यता वापस आने लगी. अमन ने वहाँ एक छोटा सा सूचना केंद्र भी बनवाया, जहाँ किले के इतिहास और महत्व के बारे में जानकारी दी गई थी.
उस किले को देखकर आसपास के और भी लोग आने लगे. वह गाँव अब पर्यटन का एक केंद्र बन गया, जिससे गाँव के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले.
अमन ने महसूस किया कि लक्ष्मी के साये से मिली प्रेरणा ने उनके जीवन को एक नया मकसद दिया था. उन्होंने न सिर्फ अपने गाँव की, बल्कि आसपास के क्षेत्रों की भी भूली हुई विरासतों को बचाने का संकल्प लिया था.
एक शाम, जब अमन उस पुराने किले की प्राचीर पर खड़े होकर सूर्यास्त देख रहे थे, उन्हें फिर से उस शांति का अनुभव हुआ जो उन्हें बरगद के पेड़ के नीचे महसूस होती थी. उन्हें लगा जैसे कहीं दूर से एक आशीर्वाद उन तक पहुँच रहा हो.
अमन जानते थे कि उनका काम अभी खत्म नहीं हुआ है. हर गाँव में, हर कोने में, ऐसी कहानियाँ और विरासतें दबी पड़ी हैं जिन्हें खोज निकालने और सहेजने की ज़रूरत है. और वह, उस साये की याद के साथ, उस काम को आगे बढ़ाते रहने के लिए तैयार थे.
शेष भाग अगले अंक में…,