
एक और शक्ति प्रदर्शन…
मध्य पूर्व में इजराइल और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जारी संघर्ष ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. हाल के वर्षों में इजराइल ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम और उसके प्रॉक्सी समूहों (जैसे हिज़बुल्लाह, हमास) के खिलाफ कई सैन्य और खुफिया ऑपरेशन किए हैं, जबकि ईरान ने भी इजराइल को अपने मिसाइल और ड्रोन हमलों से निशाना बनाया है.
अप्रैल 2024 में, ईरान ने इजराइल पर सैकड़ों ड्रोन और मिसाइल दागे, जिसे इजराइल ने अमेरिकी और यूरोपीय सहयोगियों की मदद से नाकाम कर दिया। यह हमला ईरान की ओर से इजराइल पर पहला सीधा हमला माना जा रहा है. इसके जवाब में, इजराइल ने ईरान के इस्फ़हान में एक सैन्य ठिकाने पर हवाई हमला किया, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया.
ईरान: – ईरान की रणनीति में हिज़बुल्लाह और हमास जैसे समूहों को हथियार और वित्तीय सहायता देना। ईरान ने लंबी दूरी की मिसाइलें और स्वार्म ड्रोन विकसित किए हैं, जिनका उपयोग इजराइल और अमेरिकी ठिकानों के खिलाफ किया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान यूरेनियम संवर्धन जारी रखे हुए है.
इजराइल: – इजराइल ने हमेशा “पहले हमला नहीं, लेकिन जवाब जरूर देंगे” की नीति अपनाई है. वो मानता है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा है. ईरान समर्थित हिज़बुल्लाह (लेबनान), हमास (गाजा), और हूती विद्रोही (यमन) इजराइल के लिए सुरक्षा चुनौती पैदा करते हैं. दोनों देश एक-दूसरे के ऊर्जा संयंत्रों, सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी नेटवर्क पर साइबर हमले करते रहे हैं.
अमेरिका इजराइल का सबसे बड़ा सहयोगी है और उसने हाल के हमलों में इजराइल को रक्षा तकनीक मुहैया कराई है. सऊदी अरब और UAE जैसे सुन्नी देश ईरान के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं, लेकिन वे इजराइल के साथ खुले तौर पर गठबंधन नहीं बनाना चाहते वहीं, रूस और चीन ईरान के समर्थक हैं और संयुक्त राष्ट्र में उसके हितों की रक्षा करते हैं.
यदि ईरान परमाणु हथियार बनाने में सफल होता है, तो इजराइल प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक कर सकता है. प्रॉक्सी युद्ध और साइबर हमले बढ़ सकते हैं. अमेरिका और यूरोपीय देश ईरान पर और भी प्रतिबंध लगा सकते हैं.
इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष सिर्फ दो देशों का मामला नहीं, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए खतरा है. दोनों पक्षों के बीच शक्ति प्रदर्शन जारी रहने से क्षेत्र में युद्ध का खतरा बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज करने होंगे, नहीं तो पूरे विश्व के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.