
बारिश की पहली बूंदों ने गाँव की मिट्टी को भिगो दिया था, लेकिन इसके साथ ही दिलों में भी एक नई उम्मीद जाग उठी थी. हर कोई इस बदलाव को महसूस कर रहा था—जैसे जीवन ने एक नया मोड़ ले लिया हो.
किसानों ने बारिश के बाद अपने खेतों में बीज डालने शुरू कर दिए. “अब फसल अच्छी होगी!” रामू काका ने उत्साह से कहा. गाँव के छोटे बच्चे भी अपने बुजुर्गों के साथ खेतों में दौड़ने लगे, मिट्टी को महसूस करने लगे.
बारिश के बाद गाँव की गलियों में चहल-पहल बढ़ गई थी. हलवाई की दुकान पर गरमागरम जलेबी और समोसे की महक हवा में घुल गई थी. लोग बारिश का आनंद लेते हुए चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे.
गाँव के युवा इस अवसर को नई शुरुआत के रूप में देख रहे थे. कुछ ने पढ़ाई में आगे बढ़ने का संकल्प लिया, तो कुछ ने अपने छोटे व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई. बारिश ने सिर्फ़ खेतों को नहीं, बल्कि सपनों को भी सींच दिया था.
बारिश की इन बूंदों ने गाँव को फिर से जीवंत कर दिया था. यह सिर्फ़ पानी नहीं था, बल्कि नई उम्मीदों की पहली दस्तक थी.