Dharm

योगिनी एकादशी…

सत्संग की समाप्ति के बाद भक्तों ने महाराज जी से पूछा कि, महाराज जी आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की जो एकादशी होती है, उस एकादशी व्रत की महिमा व विधि के बारे में बताएं. महाराज जी सूना है कि, इस एकादशी का व्रत करने से मनोकामना की पूर्ति व 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करने के बराबर फल भी मिलता है.

वाल व्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, अषाढ़ का महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष(साल) का चौथा महीना होता है और ईस्वी कैलेंडर के अनुसार जून या जुलाई का महीना होता है. इसे वर्षा ऋतू का महीना भी कहा जाता है चुकिं इस महीने में भारत देश में काफी वर्षा भी होती है. वाल व्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन को ही योगिनी एकादशी कहते हैं. इस एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. पद्म पुराण के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत करने से साधक के सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करता है.

वाल व्यास सुमन जी महाराज कहते है कि, सम्पूर्ण ब्रह्मांड में प्रसिद्ध है ये एकादशी, इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं, तथा मुक्ति प्राप्त होती है. योगिनी एकादशी व्रत करने से पहले की रात्रि में ही व्रत एक नियम शुरु हो जाते हैं. यह व्रत दशमी तिथि कि रात्रि से शुरु होकर द्वादशी तिथि के प्रात: काल में दान कार्यो के बाद व्रत समाप्त होता है. महाराज जी कहते है कि वर्ष 2024 में योगिनी एकादशी का व्रत मंगलवार 02 जुलाई को मनाया जायेगा.

पूजन सामाग्री: –

वेदी, कलश, सप्तधान, पंच पल्लव, रोली, गोपी चन्दन, गंगा जल, दूध, दही, गाय के घी का दीपक, सुपाड़ी, शहद, पंचामृ्त, मोगरे की अगरबत्ती, ऋतू फल, फुल, आंवला, अनार, लौंग, नारियल, नीबूं, नवैध, केला और तुलसी पत्र व मंजरी.

 व्रत विधि: –

सबसे पहले आपको एकादशी के दिन सुबह उठ कर स्नान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है. उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा के लिए धूप, दीप, नारियल और पुष्प का प्रयोग करना चाहिए. अंत में भगवान विष्णु के स्वरूप का स्मरण करते हुए ध्यान लगायें, उसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके, कथा पढ़ते हुए  विधिपूर्वक पूजन करें.

ध्यान दें…. एकादशी की रात्री को जागरण अवश्य ही करना चाहिए, दुसरे दिन द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को अन्न दान व दक्षिणा देकर इस व्रत को संपन्न करना चाहिए.

विशेष: –

02 जुलाई 2024 को एकादशी का व्रत है. इस दिन माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पास पान का पत्ता हल्दी लगाकर माता के चरणों में अर्पण करें साथ ही भगवान् भोलेनाथ और हनुमान जी को पान का पत्ता अर्पण करें. एकादशी के दिन संध्या (शाम) के समय तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक लगाकर तुलसी के पौधे को प्रणाम करना चाहिए. भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी को मिश्री का भोग लगायें व पारण के समय मिश्री जरुर ग्रहण करें.

कथा: –

प्राचीन काल में अलकापुरी नाम की नगरी में कुबेर नाम का राजा राज्य करता था. वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था और वह भगवान शिव पर हमेशा ताजे फूल अर्पित किया करता था. उसके माली का नाम हेम था जो उसके लिए फूल लाया करता था, उसकी पत्नी  विशालाक्षी के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था. एक दिन हेम माली पूजा कार्य में न लग कर, अपनी स्त्री के साथ रमण करने लगा. उधर राजा कुबेर को उसकी राह देखते -देखते दोपहर हो गई, तो उसने क्रोध पूर्वक अपने सेवकों को हेम माली का पता लगाने की आज्ञा दी. सेवकों ने उसका पता लगा कर वह कुबेर के पास जाकर कहने लगे, हे राजन, वह माली अभी तक अपनी स्त्री के साथ रमण कर रहा है. सेवकों की बात सुनकर कुबेर ने हेम माली को बुलाने की आज्ञा दी. जब हेम माली राजा कुबेर के सम्मुख पहुंचा तो कुबेर ने उसे श्राप दिया कि, तू स्त्री का वियोग भोगेगा मृत्यु लोक में जाकर कोढी हो जायेगा, उसी समय वह कुबेर के श्राप से स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आ गिरा और कोढी हो गया. स्त्री से बिछुड कर मृ्त्युलोक में आकर उसने काफी दु;ख भोगे.

परन्तु, शिव जी की भक्ति के प्रभाव से उनकी बुद्धि मलीन न हुई, और पिछले जन्म के कर्मों का स्मरण करते हुए, वह हिमालय पर्वत की तरफ चल दिया. वहां पर चलते -चलते उसे एक ऋषि मिले, हेम माली ने उन्हें प्रणाम किया और विनय पूर्वक उनसे प्रार्थना की हेम माली की व्यथा सुनकर ऋषि ने कहा की मैं तुम्हारे उद्धार में तुम्हारी सहायता करूंगा. तुम आषाढ़ मास के कृ्ष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधि-पूर्वक व्रत करो, इस व्रत को करने से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे. मुनि के वचनों के अनुसार हेम माली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया और व्रत के प्रभाव से वह फिर से अपने पुराने रुप में वापस आ गया और अपनी स्त्री के साथ प्रसन्न पूर्वक रहने लगा.

योगिनी एकादशी का महत्व: –

योगिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से हर तरह के चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है. इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राहणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है. किसी भी तरह की कामना की पूर्ति के लिए भी ये व्रत रखा जा सकता है. इस व्रत के प्रभाव से समस्त पाप दूर होते है और अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

एकादशी का फल: –

एकादशी प्राणियों के परम लक्ष्य, भगवद भक्ति, को प्राप्त करने में सहायक होती है. यह दिन प्रभु की पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने के लिए अति शुभकारी एवं फलदायक माना गया है. इस दिन व्यक्ति इच्छाओं से मुक्त हो कर यदि शुद्ध मन से भगवान की भक्तिमयी सेवा करता है तो वह अवश्य ही प्रभु की कृपापात्र बनता है.

वाल व्यास सुमन जी  महाराज,

महात्मा भवन,

श्रीरामजानकी मंदिर,

राम कोट, अयोध्या.

मो0 :- 8709142129.

=============  ================ ========

Yogini Ekadashi…

After the completion of the satsang, the devotees asked Maharaj Ji to tell them about the significance and method of the Ekadashi fast that falls on the Krishna Paksha of the Ashad month. Maharaj Ji, we have heard that observing the fast on this Ekadashi fulfills one’s wishes and also gives results equivalent to feeding 88 thousand Brahmins.

Val Vyas Suman Ji Maharaj says that the month of Ashad is the fourth month of the year according to the Hindu calendar and according to the Christian calendar; it is the month of June or July. It is also called the month of the rainy season as there is a lot of rainfall in India during this month. Val Vyas Suman Ji Maharaj says that the Ekadashi of the Krishna Paksha of Ashad month is called Yogini Ekadashi. Worshipping the Peepal tree on this Ekadashi day has special significance. According to the Padma Purana, observing the Yogini Ekadashi fast destroys all the sins of the devotee and he attains salvation after death.

Val Vyas Suman Ji Maharaj says that this Ekadashi is famous in the entire universe, by observing this fast all sins are destroyed and salvation is attained. Fasting and rules start the night before observing Yogini Ekadashi fast. This fast starts from the night of Dashami Tithi and ends after charity work in the morning of Dwadashi Tithi. Maharaj Ji says that in the year 2024, the fast of Yogini Ekadashi will be observed on Tuesday 02 July.

Puja Items: –

Altar, Kalash, Saptdhan, Panch Pallav, Roli, Gopi Chandan, Ganga Jal, Milk, Curd, Cow Ghee Lamp, Betel Nut, Honey, Panchamrit, Mogra Incense Sticks, Seasonal Fruits, Flowers, Amla, Pomegranate, Cloves, Coconut, Lemon, Navaidh, Banana and Tulsi Leaves and Manjri.

Vrat Vidhi: –

First of all, you should wake up early in the morning on Ekadashi and take a bath and take a vow to fast. After that, an idol or picture of Lord Vishnu is installed. After that, incense, lamp, coconut and flowers should be used for the worship of Lord Vishnu. Finally, meditate while remembering the form of Lord Vishnu, after that, recite Vishnu Sahasranama and worship properly while reading the story.

Note…. Jagran must be done on the night of Ekadashi, next day on Dwadashi morning; this fast should be completed by donating food and dakshina to Brahmins.

Special: –

There is a fast of Ekadashi on 02 July 2024. On this day, apply turmeric on a betel leaf near the idol or picture of Goddess Lakshmi and offer it at the feet of the Goddess. Also, offer betel leaves to Lord Bholenath and Hanuman ji. On the day of Ekadashi, one should light a lamp of cow ghee in front of the Tulsi plant in the evening and bow to the Tulsi plant. Offer sugar candy to Lord Vishnu and Goddess Lakshmi and consume sugar candy at the time of Parana.

Story: –

In ancient times, a king named Kuber ruled in a city named Alakapuri. He was an ardent devotee of Lord Shiva and he always used to offer fresh flowers to Lord Shiva. His gardener’s name was Hem who used to bring flowers for him. He was living a happy life with his wife Vishalakshi. One day, instead of doing worship, Hem Mali started enjoying with his wife. On the other hand, King Kuber waited for him till afternoon. He angrily ordered his servants to find out about Hem Mali. The servants found out his address and went to Kuber and said, O King, that gardener is still enjoying with his wife. After listening to the servants, Kuber ordered them to call Hem Mali. When Hem Mali reached in front of King Kuber, Kuber cursed him that, you would suffer separation from your wife and would become a leper after going to the mortal world. At the same time, due to Kuber’s curse, he fell from heaven to earth and became a leper. After being separated from his wife, he suffered a lot in the mortal world.

But, due to the effect of devotion to Lord Shiva, his intellect did not get tainted, and remembering the deeds of his previous life, he started walking towards the Himalayas. While walking there, he met a sage, Hem Mali bowed to him and humbly prayed to him. After listening to Hem Mali’s pain, the sage said I will help you in your salvation. You should observe the fast of Yogini Ekadashi of Krishna Paksha of Ashad month as per the rules, by observing this fast all your sins will be destroyed. As per the sage’s words, Hem Mali observed the fast of Yogini Ekadashi and due to the effect of the fast, he again came back to his old form and started living happily with his wife.

Importance of Yogini Ekadashi: –

By observing the fast of Yogini Ekadashi, one gets relief from all kinds of skin diseases. By observing this fast, one gets the same reward as feeding 88 thousand Brahmins. This fast can also be observed to fulfill any kind of desire. By observing this fast, all sins are removed and finally one attains heaven.

Results of Ekadashi: –

Ekadashi helps in achieving the ultimate goal of living beings, Bhagwad Bhakti. This day is considered very auspicious and fruitful for serving the Lord with full devotion. On this day, if a person is free from desires and serves the Lord with devotion with a pure mind, then he becomes the recipient of the grace of the Lord.

Val vyas suman ji Maharaj,

Mahatma Bhawan,

Shri Ram Janaki-Mandir,

Ram Kot, Ayodhya.

Mobile: – 8709142129.

5/5 - (2 votes)
:

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!