विश्व आईवीएफ दिवस
विश्व आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) दिवस हर वर्ष 25 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य आईवीएफ और अन्य सहायक प्रजनन तकनीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इन तकनीकों के माध्यम से जन्मे बच्चों और उनके परिवारों का सम्मान करना है.
25 जुलाई 1978 को, दुनिया का पहला “टेस्ट ट्यूब बेबी” लुईस ब्राउन का जन्म इंग्लैंड में हुआ था. इस घटना ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत की और उन जोड़ों के लिए एक नई उम्मीद पैदा की जो प्राकृतिक तरीके से संतान प्राप्ति में असमर्थ थे. इस महत्वपूर्ण घटना की याद में विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है.
आईवीएफ दिवस का मुख्य उद्देश्य आईवीएफ और अन्य सहायक प्रजनन तकनीकों के बारे में जागरूकता फैलाना है. इसके माध्यम से लोगों को इन प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाती है और उनके लाभ और संभावित जोखिमों के बारे में बताया जाता है. आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने वाले जोड़ों को मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है. उन्हें यह एहसास दिलाना कि वे अकेले नहीं हैं और उन्हें हर संभव सहायता और समर्थन उपलब्ध है.
आईवीएफ दिवस के दिन उन वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों का भी सम्मान किया जाता है जिन्होंने आईवीएफ और अन्य सहायक प्रजनन तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आईवीएफ उन जोड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है जो प्राकृतिक तरीके से संतान प्राप्ति में असमर्थ हैं. यह तकनीक उन्हें माता-पिता बनने का अवसर प्रदान करती है.
आईवीएफ एक उन्नत चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें अंडाणु और शुक्राणु को शरीर के बाहर मिलाकर भ्रूण का निर्माण किया जाता है. इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है. आईवीएफ प्रक्रिया में कई उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि आईसीएसआई (Intracytoplasmic Sperm Injection), पीजीडी (Preimplantation Genetic Diagnosis), और अन्य, जो विभिन्न प्रजनन समस्याओं को हल करने में मदद करती हैं.
विश्व आईवीएफ दिवस उन सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जो प्रजनन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं या कर चुके हैं. यह दिन आईवीएफ और अन्य सहायक प्रजनन तकनीकों के महत्व को समझने और स्वीकारने का है. इसके माध्यम से हम उन जोड़ों को समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, और उन वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का सम्मान कर सकते हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है.
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World IVF Day
World IVF (In Vitro Fertilization) Day is celebrated every year on 25 July. The purpose of this day is to raise awareness about IVF and other assisted reproductive technologies and to honor children and their families born through these techniques.
On 25 July 1978, the world’s first “test-tube baby” Louise Brown was born in England. This event started a new revolution in the field of reproductive medicine and created a new hope for couples who were unable to have children naturally. World IVF Day is celebrated in memory of this important event.
The main objective of IVF Day is to spread awareness about IVF and other assisted reproductive technologies. Through this, people are informed about these procedures and their benefits and possible risks. Providing mental and emotional support to couples undergoing IVF procedures is also an important objective of this day. To make them realize that they are not alone and that all possible help and support is available to them.
IVF Day also honors scientists and medical experts who have contributed significantly to the development of IVF and other assisted reproductive technologies. IVF is an important option for couples who are unable to have children naturally. This technique allows them to become parents.
IVF is an advanced medical procedure in which an embryo is created by mixing eggs and sperm outside the body. The embryo is then implanted in the woman’s uterus. Several advanced techniques can be used in the IVF process, such as ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection), PGD (Preimplantation Genetic Diagnosis), and others, which help solve various fertility problems.
World IVF Day is an important occasion for all those who are facing or have faced fertility challenges. This day is to understand and accept the importance of IVF and other assisted reproductive technologies. Through this, we can provide support and encouragement to couples who wish to have children and honor the scientists and physicians who have made groundbreaking contributions in this field.