Dharm

सुन्दरकाण्ड-14…

…मंदोदरी-रावण संवाद…

चौपाई :-

उहाँ निसाचर रहहिं ससंका। जब ते जारि गयउ कपि लंका।।

निज निज गृहँ सब करहिं बिचारा। नहिं निसिचर कुल केर उबारा ।।

वाल्व्याससुमनजी महाराज श्लोक का अर्थ बताते हुए कहते है कि, वहाँ लंका में जब से हनुमान जी लंका को जलाकर गए, तब से राक्षस भयभीत रहने लगे. अपने-अपने घरो मे सब विचार करते है कि अब राक्षस कुल की रक्षा का कोई उपाय नही है.

जासु दूत बल बरनि न जाई। तेहि आएँ पुर कवन भलाई।।

दूतन्हि सन सुनि पुरजन बानी। मंदोदरी अधिक अकुलानी ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, जिसके दूत के बल का वर्णन नही किया जा सकता, उसके स्वयं नगर मे आने पर कौन भलाई है अब हम लोगो की बड़ी बुरी दशा होगी. दूतियो से नगरवासियो के वचन सुनकर मंदोदरी बहुत ही व्याकुल हो गई.

रहसि जोरि कर पति पग लागी। बोली बचन नीति रस पागी।।

कंत करष हरि सन परिहरहू। मोर कहा अति हित हियँ धरहु ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, वह एकांत मे हाथ जोड़कर पति – रावण  के चरणो मे लगी और नीतिरस से भीगी हुई वाणी बोली – हे प्रियतम ! श्रीहरि से विरोध छोड़ दीजिए. मेरे कहने को अत्यंत ही हितकर जानकर ह्रदय मे धारण कीजिए.

समुझत जासु दूत कइ करनी। स्त्रवहीं गर्भ रजनीचर धरनी।।

तासु नारि निज सचिव बोलाई। पठवहु कंत जो चहहु भलाई ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, जिनके दूत की करनी का विचार करते ही राक्षसो की स्त्रियो के गर्भ गिर जाते है. हे प्यारे स्वामी ! यदि भला चाहते है, तो अपने मंत्री को बुलाकर उसके साथ उनकी स्त्री को भेज दीजिए.

तब कुल कमल बिपिन दुखदाई। सीता सीत निसा सम आई।।

सुनहु नाथ सीता बिनु दीन्हें। हित न तुम्हार संभु अज कीन्हें ।।

श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराज जी कहते है कि, सीता आपके कुल रूपी कमलो के वन को दुःख देने वाली जाड़े की रात्रि के समान आई है. हे नाथ ! सुनिए, सीता को लौटाए बिना शम्भु और ब्रह्मा भी आपका भला नही कर सकते.

वालव्याससुमनजीमहाराज,

 महात्मा भवन,

श्रीरामजानकी मंदिर,

राम कोट, अयोध्या.

Mob: – 8709142129.

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Sunderkand-14…

…Mandodari-Ravan dialogue…

Choupai:-

Uhaan Nisaachar Rahahin SasankaJab Te Jaari Gayu Kapi Lanka।।

Nij Nij Grhan Sab Karahin BichaaraNahin Nisichar Kul Ker Ubaara ।।

Explaining the meaning of the verse, Valvyassuman ji Maharaj says that ever since Hanuman ji went to Lanka after burning it, the demons started living in fear there. Everyone in their homes thinks that now there is no way to protect the Rakshasa clan.

Jassu Doot Bal Barin N JaaiTehi Aae Pur Kwan Bhalaai।।

Dootiinh Sn Suni Purajn BaniMndodri Adhik Akulani।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj Ji says that whose messenger’s power cannot be described, what good is there if he comes to the city, now we will be in a very bad condition. Mandodari became very distressed after hearing the words of the townspeople from the messengers.

Rahasee Jori Kar Pati Pag LaageeBolee Bachchan Neeti Ras Paagee।।

Kant Karsh Hari San ParihaarahoonMor Kaha Ati Hit Hiyan Dharahu।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj ji says that she folded her hands in solitude and fell at the feet of her husband Ravana and said in a voice drenched with nectar – O beloved! Give up your opposition to Sri Hari. Consider my words as extremely beneficial and take them to heart.

Samujhat Jaasu Doot Kai KaranStravaheen Garbh Rajaneechar Dharani।।

Taasu Naaree Nij Sachiv BolaeePathavahu Kant Jo Chaahahu Saant।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj ji says that the women of the demons lose their pregnancies as soon as they think about the actions of their messenger. Oh, dear lord! If you want good, then call your minister and send his wife along with him.

Tab Kul Kamal Bipin Pasalaee Seeta Seeta Nisa Sam Aaee।।

Sunahu Naath Seeta Binu Deenhen Hit Na Tumhaar Sambhu Aj Keenhen।।

Explaining the meaning of the verse, Maharaj ji says that Sita has come like a winter night to give sorrow to the lotus forest of your family. Hey Nath! Listen, even Shambhu and Brahma cannot do you any good without returning Sita.

Mahatma Bhawan,

Shriramjanaki Temple,

Ram Kot, Ayodhya.

Mob: – 8709142129.

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