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धूर्त और स्वार्थी बेटा

अध्याय 2: स्वार्थ का नया खेल

कुछ वर्ष बीत गए. सुरेश शहर में खूब फला-फूला, उसकी संपत्ति बढ़ती गई, पर उसका हृदय और कठोर होता गया. रमेश अपनी पत्नी के साथ गाँव में ही रहा, अपनी माँ की यथासंभव सेवा करता रहा, पर सुरेश के आगे उसकी एक न चली.

सुरेश का एक बेटा था, मोहित. वह अपने पिता की ही परछाईं था – लालची और धूर्त. सुरेश ने अब एक नया खेल खेलना शुरू किया. उसे गाँव की कुछ और जमीन पर नजर थी, जो जमुना देवी के नाम पर अभी भी थोड़ी बची थी. उसने मोहित को अपनी माँ के पास भेजना शुरू कर दिया, मीठी-मीठी बातें करने के लिए, उनका विश्वास जीतने के लिए.

भोली जमुना देवी अपने पोते के प्यार में फिर से बंध गईं. उन्हें कहाँ पता था कि यह स्नेह भी एक चाल है, उनके बचे-खुचे को हथियाने का षड्यंत्र है. मोहित धीरे-धीरे अपनी दादी के करीब आता गया, उनकी कमजोरियों को पहचानता गया.

एक दिन, सुरेश अपनी पत्नी रीना के साथ गाँव आया. इस बार उनके चेहरे पर पहले से भी अधिक कठोरता थी. उन्होंने जमुना देवी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह अपनी बाकी जमीन भी मोहित के नाम कर दें. जब बूढ़ी माँ ने इनकार किया, तो उनका असली रूप सामने आ गया.

शेष भाग अगले अंक में…,

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