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जगन्नाथपुरी रथोत्सव…

जगन्नाथपुरी रथोत्सव जिसे आमतौर पर रथ यात्रा भी कहा जाता है, ओडिशा के पुरी में हर वर्ष  आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक उत्सव है. यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के सम्मान में मनाया जाता है. यह रथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (आमतौर पर जून या जुलाई में) आयोजित की जाती है.

इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के लिए ‘नंदी घोष’, बलभद्र के लिए ‘तालध्वज’, और सुभद्रा के लिए ‘देवदलन’ के लिए तीन विशाल रथ बनाकर अत्यंत भव्य तरीके से सजाया जाता है और पुरी के विभिन्न स्थानों से लकड़ी और अन्य सामग्री लाकर इन्हें तैयार किया जाता है.

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके मुख्य मंदिर, श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर तक रथों में ले जाया जाता है. इस यात्रा को हजारों श्रद्धालु खींचते हैं, और यह प्रक्रिया बेहद श्रद्धा और उत्साह के साथ की जाती है. रथ यात्रा के दौरान, श्रद्धालु ‘जय जगन्नाथ’ के नारे लगाते हैं और भक्ति गीत गाते हैं.

गुंडिचा मंदिर – भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है, और यहीं पर भगवान एक सप्ताह तक रहते हैं. इस अवधि के बाद भगवान वापस श्रीमंदिर लौटते हैं, उसे ‘बहुदा यात्रा’ कहा जाता है.

रथ यात्रा से पहले ‘स्नान यात्रा’ का आयोजन होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को विशेष रूप से स्नान कराया जाता है. रथ यात्रा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी है. यह पर्व भक्ति, समर्पण, और मानवता के उच्च आदर्शों का प्रतीक है.

 रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा का प्रतीक है. इस दिन को देखने और इसमें शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु पुरी आते हैं. रथ यात्रा में किसी भी जाति, धर्म या समुदाय के लोग शामिल हो सकते हैं, जिससे यह उत्सव समानता और समरसता का संदेश देता है. यह पर्व भगवान जगन्नाथ के जीवन और उनकी लीलाओं का स्मरण कराता है और भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है.

जगन्नाथपुरी रथोत्सव एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो भक्ति, उत्साह और समुदाय की भावना को प्रकट करता है. यह न केवल ओडिशा, बल्कि पूरे भारत और विश्व के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस उत्सव के माध्यम से, लोग भगवान जगन्नाथ के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट करते हैं और समाज में प्रेम, शांति और समानता का संदेश फैलाते हैं.

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Jagannathpuri Rathotsav…

Jagannathpuri Rathotsav, also commonly called Rath Yatra, is an important Hindu religious festival held every year in Puri, Odisha. This festival is celebrated in honor of Lord Jagannath, his brother Balabhadra, and his sister Subhadra. This Rath Yatra is held on the second day of Shukla Paksha of Ashad month (usually in June or July).

In this Rath Yatra, three huge chariots are built and decorated in a very grand manner for Lord Jagannath, ‘Nandi Ghosh’ for Balabhadra, ‘Taldhwaj’ for Balabhadra, and ‘Devdalan’ for Subhadra and these are prepared by bringing wood and other materials from various places in Puri.

Lord Jagannath, Balabhadra, and Subhadra are taken in chariots from their main temple, Srimandir, to the Gundicha Temple. This journey is pulled by thousands of devotees, and the process is done with great devotion and enthusiasm. During the Rath Yatra, devotees chant ‘Jai Jagannath’ and sing devotional songs.

Gundicha Temple – Believed to be the house of Lord Jagannath’s aunt, the Lord stays here for a week. After this period, the Lord returns to the Srimandir, which is called the ‘Bahuda Yatra’.

Before the Rath Yatra, a ‘Snaan Yatra’ is organized, in which the idols of Lord Jagannath, Balabhadra, and Subhadra are given a special bath. The importance of Rath Yatra is not only from religious but also from social and cultural points of view. This festival symbolizes devotion, dedication, and high ideals of humanity.

The Rath Yatra is a symbol of the immense reverence of devotees towards Lord Jagannath. Millions of devotees come to Puri to see and participate in this day. People of any caste, religion, or community can participate in the Rath Yatra, due to which this festival gives the message of equality and harmony. This festival commemorates the life and pastimes of Lord Jagannath and provides spiritual peace to the devotees.

Jagannathpuri Rathotsav is an important religious and cultural festival, that manifests devotion, enthusiasm, and a sense of community. It is an important festival for devotees not only from Odisha but also from all over India and the world. Through this festival, people express their reverence and devotion toward Lord Jagannath and spread the message of love, peace, and equality in society.

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