कवि धीरेन्द्र वर्मा
धीरेन्द्र वर्मा एक हिंदी कवि, आलोचक और शिक्षाविद् थे. उन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी रचनाओं के माध्यम से विशेष स्थान बनाया. उनका जन्म 17 मई, 1897 को बरेली (उत्तर प्रदेश) के भूड़ मोहल्ले में हुआ और उनका निधन 23 अप्रैल, 1973 को हुआ था.
धीरेन्द्र वर्मा ने अपने साहित्यिक कैरियर में कई महत्वपूर्ण कृतियाँ लिखीं। उनके कार्यों में गहराई और विचारशीलता की विशेषता देखी जा सकती है, और उन्होंने हिंदी आलोचना में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। धीरेन्द्र वर्मा की कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं जिनमें उन्होंने साहित्यिक आलोचना और विश्लेषण का प्रयोग किया है। उनका निधन 1990 में हुआ था.
उनके कार्यों में उनकी गहरी बुद्धिमत्ता और समझ का पता चलता है, और उनके द्वारा छोड़ी गई साहित्यिक विरासत आज भी हिंदी साहित्य के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है.
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क्रिकेटर बीएस चंद्रशेखर
भगवत सुब्रमण्यम चंद्रशेखर भारतीय क्रिकेट के महान लेग-स्पिन और गुगली गेंदबाजों में से एक हैं. उनका जन्म 17 मई 1945 को मैसूर में हुआ था. चंद्रशेखर ने 1960 – 70 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अपनी असाधारण गेंदबाजी से कई मैचों में भारत को जीत दिलाई.
उन्होंने अपने कैरियर में 58 टेस्ट मैचों में भाग लिया और 242 विकेट लिए. उनका बेस्ट बॉलिंग प्रदर्शन 8/79 रहा, जो उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ दिया था. चंद्रशेखर के गेंदबाजी शैली अनूठी थी; उनके पास बड़ी तेजी और अप्रत्याशित गति थी, जिससे बल्लेबाज अक्सर चकित रह जाते थे.
उनके कैरियर की विशेषताओं में उनका पोलियो से प्रभावित हुआ दाहिना हाथ भी शामिल है, जिसके बावजूद उन्होंने अपनी गेंदबाजी कौशल को निखारा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की. चंद्रशेखर की गेंदबाजी में उनकी अनिश्चितता और गेंद की फिरकी ने उन्हें दुनिया के शीर्ष गेंदबाजों में से एक बना दिया। उन्हें 1970 के दशक में भारतीय क्रिकेट की स्वर्णिम तिकड़ी का हिस्सा माना जाता है, जिसमें बिशन सिंह बेदी और एरापल्ली प्रसन्ना भी शामिल थे.
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गजल गायक पंकज उधास
पंकज उधास एक गजल गायक हैं, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज और भावपूर्ण गायन से गजल संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. उनका जन्म 17 मई 1951 को जेतपुर में हुआ था और वे संगीत के एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं. उनकी गजलों में एक विशेष शैली और गहराई होती है, जिसने उन्हें विश्वव्यापी प्रसिद्धि दिलाई है.
पंकज उधास के कैरियर की शुरुआत 1980 के दशक में हुई और उन्होंने “चिट्ठी आई है” जैसी गजलों के साथ बड़ी प्रसिद्धि हासिल की. उनकी अन्य प्रसिद्ध गजलों में “और आहिस्ता कीजिये बातें”, “जीये तो जीये कैसे” शामिल हैं. पंकज उधास ने अपनी गजलों के माध्यम से न केवल पुरानी पीढ़ी बल्कि नई पीढ़ी के श्रोताओं को भी गजल संगीत की ओर आकर्षित किया है.
उनका संगीत न केवल भारत में, बल्कि विश्व भर में संगीत प्रेमियों के दिलों में गहराई से बसा है, और वे अपने लंबे कैरियर में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित हो चुके हैं.
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अभिनेत्री प्रीति गांगुली
प्रीति गांगुली एक भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी फिल्म उद्योग में काम किया. उनका जन्म 17 मई 1953 को हुआ था, और वे प्रसिद्ध अभिनेता अशोक कुमार की बेटी थीं. प्रीति गांगुली ने 1970 – 80 के दशक में अपनी कॉमिक भूमिकाओं के लिए पहचानी गईं. उन्होंने कई फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं और उनका अभिनय कौशल और हास्य टाइमिंग की सराहना की गई.
प्रीति गांगुली की एक प्रसिद्ध फिल्म “खट्टा मीठा” है, जिसमें उन्होंने मीनू की भूमिका निभाई और इस भूमिका के लिए उन्हें काफी प्रशंसा मिली. इसके अलावा, उन्होंने “दीवार”, “बलिका बधु”, और “धामाका” जैसी कई अन्य फिल्मों में भी काम किया.
प्रीति गांगुली का निधन 2 दिसंबर 2012 को हुआ. उनके निधन के समय उन्हें हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए याद किया गया, और उनकी कॉमेडी भूमिकाओं को विशेष रूप से सराहा गया.
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अभिनेत्री चार्मी कौर
चार्मी कौर एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से तेलुगु सिनेमा में काम किया है, साथ ही उन्होंने हिंदी, तमिल, मलयालम, और कन्नड़ फिल्मों में भी अभिनय किया है. चार्मी का जन्म 17 मई 1987 को हुआ था और उन्होंने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी.
चार्मी की प्रमुख फिल्मों में “मस” (2004), “अनुकोकुंडा ओका रोजू” (2005), और “मंत्रा” (2007) शामिल हैं. इन फिल्मों में उनके प्रदर्शन को काफी सराहा गया और उन्हें व्यापक लोकप्रियता मिली. विशेष रूप से “मंत्रा” में उनके अभिनय की बहुत प्रशंसा हुई, जिसमें उन्होंने एक डरावनी थ्रिलर फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई.
चार्मी ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार भी जीते हैं और उनकी फिल्में व्यावसायिक रूप से सफल रही हैं. फिल्म उद्योग में उनकी योग्यता और योगदान को उच्च मान्यता प्राप्त है. उन्होंने न केवल अभिनय के क्षेत्र में, बल्कि निर्माण में भी अपने कदम रखे हैं, जिससे उनकी व्यापक प्रतिभा का पता चलता है.
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होटल उद्योगपति सी. पी. कृष्णन नायर
सी. पी. कृष्णन नायर एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति थे, जिन्होंने होटल उद्योग में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाई. उन्होंने लीला ग्रुप ऑफ होटल्स की स्थापना की, जो भारत के सबसे लक्जरी होटल चेन्स में से एक है. उनका जन्म 9 फ़रवरी 1922 को केरल में हुआ था, और उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में की थी.
व्यापार में उनका प्रवेश टेक्सटाइल उद्योग से हुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने होटल उद्योग में प्रवेश किया। 1986 में उन्होंने मुंबई में पहला लीला होटल खोला, जिसे लीला पैलेस नाम दिया गया. इसके बाद, उन्होंने देश के कई प्रमुख शहरों में लक्जरी होटल्स की एक श्रृंखला स्थापित की.
उनकी दूरदृष्टि और उद्यमशीलता ने लीला होटल्स को वैश्विक मानकों का होटल ब्रांड बनाया, जिसे उच्च स्तरीय सेवाओं और अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए जाना जाता है. सी. पी. कृष्णन नायर का निधन 17 मई 2014 को हुआ. उनकी विरासत और उनके द्वारा स्थापित मानदंड आज भी भारतीय होटल उद्योग में एक मिसाल के तौर पर देखे जाते हैं.
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अभिनेता प्रकाश मेहरा
प्रकाश मेहरा एक भारतीय फिल्म निर्देशक और निर्माता थे, जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में काम किया. उनका जन्म 13 जुलाई 1939 को हुआ था और उनका निधन 17 मई 2009 को हुआ. प्रकाश मेहरा खासकर 1970 – 80 के दशक में बॉलीवुड में बहुत प्रसिद्ध हुए, जब उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ कई हिट फिल्में बनाईं.
प्रकाश मेहरा की सबसे चर्चित फिल्मों में “जंजीर” (1973), “हेरा फेरी” (1976), “मुकद्दर का सिकंदर” (1978), और “लावारिस” (1981) शामिल हैं. इन फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की, बल्कि अमिताभ बच्चन के कैरियर को भी एक नई दिशा दी और उन्हें ‘एंग्री यंग मैन’ का टैग दिलवाया.
प्रकाश मेहरा का निर्देशन अपने विशिष्ट शैली के लिए जाना जाता है, जिसमें उन्होंने एक्शन, ड्रामा, और भावनाओं का संगम प्रस्तुत किया. उन्होंने भारतीय सिनेमा में व्यावसायिक और कलात्मक दोनों ही पहलुओं में योगदान दिया और उनकी फिल्में आज भी लोकप्रिय हैं.