एक दुकान…
इंसान एक “दुकान”है
और ज़ुबान “उसका” ताला
ताला” खुलती है, तभी पता चलता है
कि “दुकान” सोने की है या कोयले की
विचार” एक “जल” की तरह है,
आप उसमें “गंदगी” मिला दो तो
वह “नाला” बन जाऐगा,
अगर उसमें “सुगंध” मिला दो तो
*वह “गंगाजल” बन जाएगा
कभी घमंड न करना जिन्दगी मे
तकदीर बदलती रहती है,il
शीशा वही रहता है,
बस तस्वीर बदलती रहती है!!
सदैव प्रसन्न रहें और हँसते रहें
जो व्यक्ति दूर होते हुए भी
हमारे आसपास लगे*
तो समझ लेना उस व्यक्ति का
संबंध हमारी आत्मा से जुड़ा है
भाग्यशाली वे नही होते
जिन्हें सब कुछ अच्छा मिलता है
बल्कि वे होते है,
जिन्हें जो मिलता है,
उसे वो अच्छा बना लेते है।
=========== ============ ===========
Man is a “shop”
and lock his tongue
The lock opens, only then it is known
whether the “shop” is of gold or of coal
“Thought” is like “water”,
If you add “dirt” to it
He will become a “drain”,
if you add “scent” to it
*He will become “Gangajal”
never be proud in life
Fate keeps changing
the glass remains the same,
The picture just keeps on changing!!
always be happy and keep smiling
the person who is away
around us*
so understand that person
A relationship is related to our soul
lucky they are not
who gets everything good
rather they are,
who gets what
He makes him good.
Prabhakar Kumar.