
समय बीतता गया. अमन बड़ा हो गया, लेकिन लक्ष्मी की याद उसके दिल में हमेशा ताज़ा रही. उसने गाँव के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. वह गाँव के युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने के लिए प्रेरित करता.
अमन ने गाँव में एक छोटा सा संग्रहालय बनवाया, जहाँ उसने उस जली हुई बस्ती से मिली कुछ चीजें, बावड़ी से मिले शिलालेखों की प्रतियां और गाँव की अन्य ऐतिहासिक वस्तुओं को रखा. वह खुद बच्चों को संग्रहालय घुमाता और उन्हें अपने गाँव की कहानियाँ सुनाता.
एक दिन, शहर से कुछ पुरातत्वविद् गाँव में आए. वे गाँव के आसपास के पुराने मंदिरों और खंडहरों का अध्ययन कर रहे थे. उन्होंने अमन के संग्रहालय के बारे में सुना और उससे मिलने आए. अमन ने उन्हें अपनी खोजों और गाँव के इतिहास के बारे में बताया.
पुरातत्वविदों को अमन की जानकारी और समर्पण देखकर बहुत खुशी हुई. उन्होंने कहा कि अमन ने जो काम किया है वह बहुत महत्वपूर्ण है और इससे गाँव के इतिहास को समझने में मदद मिलेगी. उन्होंने अमन को आगे भी इस काम को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया.
धीरे-धीरे, अमन का काम दूर-दूर तक फैलने लगा. दूसरे गाँवों के लोग भी अपनी भूली हुई कहानियों और विरासतों को बचाने के लिए उससे सलाह लेने आने लगे. अमन अब सिर्फ अपने गाँव का ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र का भी ‘विरासत का रखवाला’ बन गया था.
एक पूर्णिमा की रात, अमन बरगद के पेड़ के नीचे अकेला बैठा था. चाँद की रोशनी में पेड़ की पत्तियाँ चमक रही थीं. उसे अचानक लक्ष्मी का साया याद आया. उसे अब डर नहीं लगा, बल्कि एक कृतज्ञता महसूस हुई.
उस साये ने उसे एक नया रास्ता दिखाया था. अगर वह उस रात जंगल में न भटकता और उस साये से न मिलता, तो शायद वह कभी अपने गाँव के इतिहास और विरासत के महत्व को नहीं समझ पाता.
अमन ने आसमान की ओर देखा. उसे लगा जैसे कहीं दूर, एक हल्की सी मुस्कान तैर रही हो. शायद लक्ष्मी की आत्मा अब पूरी तरह से शांत और प्रसन्न थी, यह जानकर कि उसकी कहानी को भुलाया नहीं गया और उसके कारण किसी और को अपनी विरासत का महत्व समझने की प्रेरणा मिली.
बरगद का पेड़ आज भी गाँव के बाहर खड़ा है, एक मौन गवाह उस साये की कहानी का जिसने एक लड़के के जीवन को बदल दिया और उसे अपनी जड़ों से प्यार करना सिखाया. और अमन, उस पेड़ के नीचे बैठकर, आने वाली पीढ़ियों को उन कहानियों को सुनाता रहता है, जो कभी भूली जा सकती थीं.
शेष भाग अगले अंक में…,