
व्यक्ति विशेष -505.
देवेन्द्रनाथ ठाकुर
देवेन्द्रनाथ टैगोर (देवेन्द्रनाथ ठाकुर) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व संगठनकर्ता और भारतीय धार्मिक और सामाजिक विचारक थे. उनका जन्म 15 मई 1817 को कोलकाता, बंगाल प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब कोलकाता, भारत) में हुआ था, और उनकी मृत्यु 19 जनवरी 1905 को हुई थी. वे नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पिता थे.
देवेन्द्रनाथ टैगोर को ब्रह्म समाज के प्रमुख नेता के रूप में जाना जाता है. उन्होंने भारतीय समाज में सामाजिक सुधार और सामाजिक सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. देवेन्द्रनाथ टैगोर ने ब्रह्म समाज की स्थापना की और इसके माध्यम से मानवता, सामाजिक समानता, और जाति व्यवस्था के खिलाफ उठे मुद्दों को प्रमोट किया. उन्होंने धर्म में व्यक्तिगत अनुशासन को महत्वपूर्ण धार्मिक अवधारणाओं के रूप में स्वीकार किया और उनके द्वारा प्रबंधित समाज को “ब्रह्म समाज” कहा जाने लगा.
उनकी उच्च चरित्र और आध्यात्मिक ज्ञान के कारण उन्हें ‘महर्षि’ की उपाधि दी गई. उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की, जो बाद में उनके पुत्र रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ.
देवेन्द्रनाथ टैगोर का अनुभव, उनके बेटे रवींद्रनाथ टैगोर के विचारों को प्रभावित करता है, जिन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता कविता “गीतांजलि” और अन्य उपन्यास और कविताएँ लिखी. रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य के महान कवि और दार्शनिक के रूप में प्रसिद्ध हुए और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय गीत “जन गण मन” की रचना की.
========== ========= ===========
क्रान्तिकारी सुखदेव थापर
क्रान्तिकारी सुखदेव थापर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिन्हें आमतौर पर बस सुखदेव के नाम से जाना जाता है. सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को लुधियाना, पंजाब में हुआ था. वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सक्रिय सदस्य थे, जो एक क्रांतिकारी समूह था जिसका उद्देश्य ब्रिटिश राज से भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करना था.
सुखदेव को उनकी सबसे प्रसिद्ध कार्रवाई, लाहौर साजिश केस में भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ शामिल होने के लिए जाना जाता है.1928 में, उन्होंने लाहौर में जे.पी. सॉन्डर्स, एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी, की हत्या में भाग लिया, जो लाला लाजपत राय की मौत के लिए जिम्मेदार माना जाता था.
सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फाँसी दी गई, और उनकी मृत्यु ने देश भर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक प्रतिक्रिया और विरोध को उत्प्रेरित किया. सुखदेव की वीरता और बलिदान ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में एक प्रमुख स्थान दिलाया है.
========== ========= ===========
अभिनेता नजीर हुसैन
नजीर हुसैन जिन्हें भारतीय सिनेमा के विशिष्ट कैरेक्टर अभिनेताओं में गिना जाता है. उन्होंने हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं. उनका जन्म 15 मई 1922 को उसिया गॉव, दिलदारनगर के पास में हुआ था और उन्होंने लगभग पांच दशकों तक फिल्म उद्योग में काम किया. नजीर हुसैन को अक्सर पिता, चाचा, या अधिकारी जैसी भूमिकाओं में देखा गया, और उन्होंने अपने अभिनय से इन किरदारों को गहराई और प्रामाणिकता प्रदान की.
नजीर हुसैन ने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न प्रकार की फिल्मों में काम किया, जिसमें कई सुपरहिट फिल्में शामिल हैं. उन्होंने कई प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ काम किया और उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में ‘यादों की बारात’, ‘दोस्ती’, और ‘ज्वार भाटा’ शामिल हैं. उन्होंने अपनी अभिनय शैली से दर्शकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया.
नजीर हुसैन ने न केवल अपनी अभिनय प्रतिभा से बल्कि अपने सौम्य स्वभाव और व्यावसायिकता से भी फिल्म उद्योग में सम्मान प्राप्त किया. उनका निधन 16 अक्टूबर 1987 को मुंबई में हुआ, लेकिन उनका काम और योगदान आज भी भारतीय सिनेमा के प्रेमियों द्वारा सराहा जाता है.
========== ========= ===========
अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने
माधुरी दीक्षित नेने, जो अपने मंत्रमुग्ध करने वाले नृत्य और शानदार अभिनय कौशल के लिए जानी जाती हैं, भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं. उनका जन्म 15 मई 1967 को मुंबई में हुआ था. माधुरी ने वर्ष 1980 के दशक के मध्य से हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाई और वर्ष 1990 के दशक में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया.
उनकी प्रमुख फिल्मों में “तेज़ाब”, “बेटा”, “हम आपके हैं कौन..!”, “दिल तो पागल है”, और “देवदास” शामिल हैं. माधुरी ने न केवल अपने अभिनय के लिए, बल्कि अपने नृत्य के लिए भी कई पुरस्कार जीते हैं. वह कत्थक और अन्य नृत्य शैलियों में प्रशिक्षित हैं, जिसे उन्होंने अपनी फिल्मों में बखूबी प्रस्तुत किया है.
माधुरी दीक्षित ने श्रीराम नेने से विवाह किया है और उनके दो बेटे हैं. विवाह के बाद, उन्होंने अमेरिका में कुछ समय बिताया, लेकिन बाद में वापस भारत आ गईं और फिल्मों में अपने कैरियर को फिर से शुरू किया. माधुरी दीक्षित ने टेलीविजन पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, विशेष रूप से डांस रियलिटी शोज में जज के रूप में. उनका अभिनय और नृत्य दोनों ही उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक विशेष स्थान पर रखते हैं.
========== ========= ===========
इतिहासकार यदुनाथ सरकार
यदुनाथ सरकार एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार थे, जिन्हें भारतीय इतिहास, विशेष रूप से मुगल साम्राज्य और मराठा इतिहास पर उनके गहन शोध के लिए जाना जाता है. वे भारत में इतिहास लेखन के उच्चतम मानकों के लिए विख्यात थे और उनके द्वारा लिखे गए ऐतिहासिक ग्रंथ आज भी इतिहास के विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत माने जाते हैं.
यदुनाथ सरकार का जन्म 10 दिसंबर 1870 को पश्चिम बंगाल के राजशाही (अब बांग्लादेश में) जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में महारत हासिल की और बाद में इतिहास की ओर रुचि बढ़ी.\ उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत रिपन कॉलेज (अब सूर्य सेन कॉलेज) में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाने से की. हालांकि, उनकी रुचि इतिहास लेखन में थी, और उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से हटकर भारतीय इतिहास का गहन अध्ययन करना शुरू किया.
प्रमुख रचनाएँ: –
History of Aurangzib (5 खंड): – यह औरंगजेब के शासन और मुगल साम्राज्य के पतन का विस्तृत अध्ययन है.
Fall of the Mughal Empire (4 खंड): – मुगल साम्राज्य के पतन पर उनकी अत्यधिक चर्चित और प्रमाणिक कृति.
Shivaji and His Times: – मराठा साम्राज्य और छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक अध्ययन.
Mughal Administration: – मुगल प्रशासन की संरचना और उसकी कार्यप्रणाली का अध्ययन.
यदुनाथ सरकार को भारतीय इतिहास में प्राथमिक स्रोतों (जैसे फारसी पांडुलिपियों) का उपयोग करके गहन और प्रमाणिक लेखन के लिए जाना जाता है. उनके लेखन में तथ्यात्मकता, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, और गहराई पर जोर दिया गया है, जिससे उन्होंने इतिहास लेखन में नई ऊंचाइयां स्थापित कीं. उन्होंने मराठा और मुगल इतिहास के संदर्भ में भारतीय और विदेशी दोनों दृष्टि कोणों का समन्वय किया.
यदुनाथ सरकार को वर्ष 1926 में नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था. वे भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (Indian Historical Research) के अग्रणी सदस्यों में से एक थे. वर्ष 1954 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया.
यदुनाथ सरकार का जीवन पूरी तरह से अध्ययन, लेखन और शिक्षण के प्रति समर्पित था. उनका निधन 15 मई 1958 को हुआ था. उनके द्वारा लिखित ग्रंथ आज भी इतिहास के क्षेत्र में अनुकरणीय माने जाते हैं. उनकी निर्णायक लेखन शैली, अनुशासित शोध दृष्टिकोण, और इतिहास के प्रति समर्पण के लिए भारतीय इतिहास का स्तंभ माना जाता है.
========== ========= ===========
‘प्रथम आर्मी कमाण्डर इन चीफ़’ के. एम. करिअप्पा
के. एम. करिअप्पा, जिन्हें फील्ड मार्शल कोडंडेरा मदप्पा करिअप्पा के नाम से भी जाना जाता है. वो भारतीय सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ थे. उनका जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक में हुआ था, और उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दीं और बाद में आजाद भारत की सेना के पहले प्रमुख बने.
करिअप्पा ने वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली और वे 15 जनवरी 1949 को भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ बने. उनके कार्यकाल में, उन्होंने विशेष रूप से कश्मीर में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान सेना की रीस्ट्रक्चरिंग और पुनर्गठन पर विशेष ध्यान दिया.
करिअप्पा ने अपने दृढ़ नेतृत्व और सख्त अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने सेना में उच्च स्तरीय प्रोफेशनलिज्म और ईमानदारी को बढ़ावा दिया और सैन्य बलों में जातिवाद और क्षेत्रीयता को खत्म करने के लिए कड़े प्रयास किए.
उनके योगदान के सम्मान में, भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1986 में फील्ड मार्शल की उपाधि से सम्मानित किया. के. एम. करिअप्पा का निधन 15 मई 1993 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत और सेना के प्रति उनके असाधारण योगदान आज भी भारतीय सेना और देश के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं.
========== ========= ===========
उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत
भैरोंसिंह शेखावत एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा की. उनका जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजस्थान के खाचरियावास में हुआ था. शेखावत ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय जनसंघ से की थी और बाद में वह भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख सदस्य बन गए.
भैरोंसिंह शेखावत ने तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया (1977-1980, 1990-1992 और 1993-1998). उनके कार्यकाल में उन्होंने राजस्थान के विकास और विभिन्न समाजिक उपक्रमों पर विशेष ध्यान दिया। उनकी नेतृत्व शैली को विशेष रूप से लोगों के प्रति संवेदनशील और जमीनी स्तर पर जुड़ाव वाली माना जाता था.
वर्ष 2002 में वह भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए और वर्ष 2007 तक इस पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य किया। भैरोंसिंह शेखावत की राजनीतिक यात्रा में उन्होंने राजनीतिक स्थिरता और जनहित में नीतियों को बढ़ावा देने की कोशिश की. उनका निधन 15 मई 2010 को हुआ था. उनकी मृत्यु के साथ ही भारतीय राजनीति ने एक अनुभवी और प्रेरणादायक नेता खो दिया.
========== ========= ===========
किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत
महेंद्र सिंह टिकैत एक प्रमुख भारतीय किसान नेता थे, जिन्होंने भारतीय किसानों के अधिकारों और हितों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे उत्तर प्रदेश के सिसौली गांव से थे और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे.
टिकैत का जन्म 6 अक्टूबर 1935 को हुआ था और उन्होंने किसान समुदाय की आवाज उठाने के लिए विभिन्न आंदोलनों और प्रदर्शनों का नेतृत्व किया. वर्ष 1980 -90 के दशक में उनके नेतृत्व में किसानों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किए, जिसमें मेरठ में हुआ ऐतिहासिक बोट क्लब रैली भी शामिल है.
टिकैत की मुख्य विशेषता उनका ग्रामीण जड़ों से जुड़ा होना और साधारण किसानों की समस्याओं को समझने की क्षमता थी. वे भूमि अधिग्रहण, किसानों के कर्ज माफी, और बेहतर सिंचाई सुविधाओं के लिए लड़ते रहे. महेंद्र सिंह टिकैत का निधन 15 मई 2011 को हुआ. उनके निधन के बाद भी उनके द्वारा स्थापित संगठन और उनके विचार भारतीय किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण बने हुए हैं.