चौपाई :-
चलत महाधुनि गर्जेसि भारी। गर्भ स्त्रवहिं सुनि निसिचर नारी।।
नाघि सिंधु एहि पारहि आवा। सबद किलकिला कपिन्ह सुनावा ।।
वाल्व्याससुमनजीमहाराज श्लोक का अर्थ बताते हुए कहते है कि, चलते समय उन्होने महाध्वनि से भारी गर्जन किया, जिसे सुनकर राक्षसो की स्त्रियो के गर्भ गिरने लगे. उसके बाद समुन्द्र लाँघकर वे इस पार आए और उन्होने वानरो को किलकिला शब्द सुनाया.
हरषे सब बिलोकि हनुमाना। नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना।।
मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा। कीन्हेसि रामचन्द्र कर काजा।।
श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, हनुमानजी को देखकर सब हर्षित हो गए और तब वानरो ने अपना नया जन्म समझा. हनुमानजी का मुख प्रसन्न है और शरीर मे तेज विराजमान है, जिससे उन्होने समझ लिया कि ये श्रीरामचन्द्रजी का कार्य कर आए है.
मिले सकल अति भए सुखारी। तलफत मीन पाव जिमि बारी।।
चले हरषि रघुनायक पसा। पूँछत कहत नवल इतिहासा ।।
श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, सभी हनुमान् जी से मिले और बहुत ही सुखी हुए, जैसे तड़पती हुई मछली को जल मिल गया हो. सब हर्षित(खुश) होकर नए-नए वृत्तांत पूछते -पूछते हुए श्रीरघुनाथजी के पास चले.
तब मधुबन भीतर सब आए। अंगद संमत मधु फल खाए।।
रखवारे जब बरजन लागे। मुष्टि प्रहार हनत सब भागे।।
श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, तब सब लोग मधुवन के भीतर आए और अंगद की सम्मति से सबने मधुर फल या (मधु और फल ) खाए. जब रखवाले बरजने लगे, तब घूँसो की मार मारते ही सब रखवाले भाग गए.
दोहा :-
जाइ पुकारे ते सब बन उजार जुबराज।।
सुनि सुग्रीव हरष कपि करि आए प्रभु काज।।
श्लोक का अर्थ बताते हुए महाराजजी कहते है कि, उन सबने जाकर पुकारा कि युवराज अंगद वन उजाड़ रहे है. यह सुनकर सुग्रीव हर्षित (खुश) हुए कि वानर प्रभु का कार्य कर आए है.
वालव्याससुमनजीमहाराज,
महात्मा भवन,
श्रीरामजानकी मंदिर,
राम कोट, अयोध्या.
Mob: – 8709142129.
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…Samundr Ke Is Paar Aana, Sabaka Lautana, Madhuvan Pravesh…
Choupai:-
Chalat Mahaadhuni Garjesi Bhaaree। Garbh Stravahin Suni Nisichar Naaree।।
Naaghi Sindhu Ehi Paarahi Aava। Sabad Kilakila Kapinh Sunaava ।।
वाल्व्याससुमनजीमहाराज श्लोक का अर्थ बताते हुए कहते है कि, चलते समय उन्होने महाध्वनि से भारी गर्जन किया, जिसे सुनकर राक्षसो की स्त्रियो के गर्भ गिरने लगे. उसके बाद समुन्द्र लाँघकर वे इस पार आए और उन्होने वानरो को किलकिला शब्द सुनाया.
Harashe Sab Biloki Hanumaana। Nootan Janm Kapinh Tab Jaana।।
Mukh Prasann Tan Tej Biraaja। Keenhesi Raamachandr Kar Kaaja।।
Explaining the meaning of the verse, Maharajji says that, seeing Hanumanji, everyone became happy and then the monkeys understood their new birth. Hanumanji’s face is happy and his body is bright, due to which he understood that he has come to do the work of Shriramchandraji.
Mile Sakal Ati Bhe Sukhaaree। Talaphat Meen Paav Jimi Baaree।।
Chale Harashi Raghunaayak Pasa। Poonchhat Kahat Naval Itihaasa ।।
Describing the meaning of the verse, Maharajji says that everyone met Hanuman ji and became very happy as if a fish in agony got water. Everyone is happy (happy) and went to Shrirghunathji asking for new stories.
Tab Madhuban Bheetar Sab Aae। Angad Sammat Madhu Phal Khae।।
Rakhavaare Jab Barajan Laage। Mushti Prahaar Hanat Sab Bhaage।।
Explaining the meaning of the verse, Maharajji says that, then everyone came inside Madhuvan and everyone ate sweet fruits (honey and fruits) with the consent of Angad. When the keepers started barking, all the keepers ran away as soon as they were hit with punches.
Doha…
Jai Pukaare Te Sab Ban UjaarJubaraaj।।
Suni Sugreev Harash Kapi Kari Aae Prabhu Kaaj।।
Explaining the meaning of the verse, Maharajji says that all of them went and called out that Yuvraj Angad was destroying the forest. Sugriva was happy to hear that the monkeys had come to do the Lord’s work.
Walvyassumanji Maharaj,
Mahatma Bhawan,
Shriramjanaki Temple,
Ram Kot, Ayodhya.
Mob:- 8709142129