Dharm

शिव के शिष्य…

शिव तो जगत के गुरु हैं. मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले उन्होंने अपना ज्ञान सप्त ऋषियों को दिया था. सप्त ऋषियों ने शिव से ज्ञान लेकर अलग-अलग दिशाओं में फैलाया और दुनिया के कोने-कोने में शैव धर्म, योग और ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया. इन सातों ऋषियों ने ऐसा कोई व्यक्ति नहीं छोड़ा जिसको शिव कर्म, परंपरा आदि का ज्ञान नहीं सिखाया गया हो. परशुराम और रावण भी शिव के शिष्य थे.

शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत ‍की थी जिसके चलते आज भी नाथ, शैव, शाक्त आदि सभी संतों में उसी परंपरा का निर्वाह होता आ रहा है. आदि गुरु शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने भी इसी परंपरा को और आगे बढ़ाया.

भगवान शिव ही पहले योगी हैं जिन्होंने अपने ज्ञान के विस्तार के लिए 07 ऋषियों को चुना और उनको योग के अलग-अलग पहलुओं का ज्ञान दिया, जो योग के 07 बुनियादी पहलू बन गए. वक्त के साथ इन 07 रूपों से सैकड़ों शाखाएं निकल आईं. बाद में योग में आई जटिलता को देखकर पतंजलि ने 300 ईसा पूर्व मात्र 200 सूत्रों में पूरे योग शास्त्र को समेट दिया. योग का 8वां अंग मोक्ष है जबकि 07  अंग तो उस मोक्ष तक पहुंचने के लिए है.

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Shiva’s disciple…

Shiva is the Guru of the world. According to beliefs, he first gave his knowledge to the seven sages. The seven sages took the knowledge from Shiva and spread it in different directions and spread Shaivism, Yoga and knowledge in every corner of the world. These seven sages did not leave any person who was not taught the knowledge of Shiva’s deeds, traditions etc. Parashuram and Ravana were also disciples of Shiva.

It was Shiva who started the Guru and disciple tradition, due to which even today the same tradition is being followed by all the saints like Nath, Shaiva, Shakta etc. Adi Guru Shankaracharya and Guru Gorakhnath also took this tradition further.

Lord Shiva is the first Yogi who chose 07 sages to expand his knowledge and gave them the knowledge of different aspects of Yoga, which became the 07 basic aspects of Yoga. With time, hundreds of branches emerged from these 07 forms. Later, seeing the complexity of Yoga, Patanjali summarised the entire Yoga Shastra in just 200 sutras in 300 BC. The 8th part of yoga is salvation while the 7th part is to reach that salvation.

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