रंगभरी या आमलकी एकादशी…
सत्संग के दौरान एक भक्त ने महाराज जी पूछा कि, महाराज जी फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी होती है उस एकादशी का बड़ा ही अनोखा महात्यम है. महाराज जी सुना है कि इस एकादशी को करने से तीन गुना फल मिलता है. वाल व्यास सुमन जी महाराज कहते है कि हर महीना पावन और पवित्र होता है लेकिन फाल्गुन का महीना मस्ती और उल्लास का महीना होता है. अंग्रेजी पद्धति से मार्च का महीना चल रहा है और हिन्दी से देखें तो ये साल का अंतिम महीना फाल्गुन जिसे वसंत ऋतु के नाम से जानते हैं.
महाराज जी कहते है कि फाल्गुन का महीना इतना पावन है कि, इसकी व्याखा क्या करूं…इसी फाल्गुन महीने में भगवान औघरदानी भूतनाथ नीलकंठ गृहस्थ धर्म का पालन करने के लिए कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को विवाह के बंधन में बंध गये. उसके बाद भगवान शंकर अपनी पत्नी शिवा के साथ फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को काशी नगरी गये थे. महाराज जी कहते है कि दरअसल फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी या रंगभरी एकादशी भी कहते हैं.
व्रत विधि :-
एकादशी के पूर्व दशमी को रात्री में एक बार ही भोजन करना आवश्यक है उसके बाद दुसरे दिन सुबह उठ कर स्नान आदि कार्यो से निवृत होने के बाद व्रत का संकल्प भगवान विष्णु के सामने संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें. भगवान विष्णु की पूजा के लिए धूप, दीप, फल और पंचामृ्त से पूजन करना चाहिए. भगवान विष्णु के स्वरूप का स्मरण करते हुए ध्यान लगायें, उसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके, कथा पढ़ते हुए विधिपूर्वक पूजन करें. ध्यान दें…. एकादशी की रात्री को जागरण अवश्य ही करना चाहिए, दुसरे दिन द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को अन्न दान, जनेऊ व दक्षिणा देकर इस व्रत को संपन्न करना चाहिए.
पूजन सामाग्री :-
वेदी, कलश, सप्तधान, पंच पल्लव, रोली, गोपी चन्दन, गंगा जल, दूध, दही, गाय के घी का दीपक, सुपाड़ी, विल्वपत्र, भांग, धतुरा, मोगरे की अगरबत्ती, ऋतू फल, फुल, आंवला, अनार, लौंग, नारियल, नीबूं, नवैध, केला और तुलसी पत्र व मंजरी.
कथा:-
महाराज जी कहते हैं कि, जब ब्रह्माजी ने सृष्टी रचना करना आरम्भ किया तो उन्होंने सभी प्रकार के जीवों, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, पर्वत और पुरे संसार को बनाया. सृष्टी निर्माण के समय ही आंवले का पेड़ भी उत्पन्न हुआ जिसे देखकर सभी विस्मित हुए. उसी समय एक आकाशवाणी हुई… यह वृक्ष सभी पेड़-पौधों में उत्तम है और यह भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय आंवला का वृक्ष है जिसके स्मरण से, स्पर्श से और खाने से तीन गुना फल मिलता है. यह वृक्ष सब पापों को हरने वाला है. वाल व्यास सुमन जी महाराज कहते है इस वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कन्ध में रुद्र, टहनियों में मुनि, देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण एवं फलों में सारे प्रजापति निवास करते हैं. फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा व परिक्रमा करनी चाहिए.
एकादशी का फल:-
एकादशी प्राणियों के परम लक्ष्य, भगवद भक्ति, को प्राप्त करने में सहायक होती है. यह दिन प्रभु की पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने के लिए अति शुभकारी एवं फलदायक माना गया है. इस दिन व्यक्ति इच्छाओं से मुक्त हो कर यदि शुद्ध मन से भगवान की भक्तिमय सेवा करता है तो वह अवश्य ही प्रभु की कृपा पात्र बनता है.
वाल व्यास सुमन जी महाराज,
महात्मा भवन, श्रीराम-जानकी मंदिर,
राम कोट, अयोध्या. 8709142129.
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Rangbhari or Amalaki Ekadashi…
During the Satsang, a devotee asked Maharaj ji that, Maharaj ji, the Ekadashi which is held in the Shukla Paksha of Falgun month, that Ekadashi has a very unique Mahatyam. Maharaj ji, I have heard that doing this Ekadashi gives three times the fruit. Wal vyas suman ji Maharaj says that every month is auspicious and holy but the month of Phalgun is the month of fun and gaiety. According to the English method, the month of March is going on and if seen in Hindi, it is the last month of the year, Falgun, which is known as Vasant Ritu.
Maharaj ji says that the month of Phalgun is so holy that, how to explain it… In this Phalgun month, Lord Aughardani Bhootnath Neelkanth got married on Krishna Paksha Chaturdashi to follow the Grihastha Dharma. After that Lord Shankar went to Kashi city with his wife Shiva on Ekadashi of Phalgun Shukla Paksha. Maharaj ji says that actually Falgun Shukla Paksha Ekadashi is also known as Amalaki or Rangbhari Ekadashi.
Fasting method: –
Before Ekadashi, it is necessary to have food only once in the night on Dashami, after waking up in the morning on the second day after taking bath, etc., the resolution of the fast should be resolved in front of Lord Vishnu. After that establish the idol or picture of Lord Vishnu. To worship Lord Vishnu, worship should be done with incense, lamp, fruits, and Panchamrit. Meditate while remembering the form of Lord Vishnu, after that recite Vishnu Sahastranam and worship it methodically while reciting the story. Pay attention… Jagran must be done on the night of Ekadashi, on the second day of Dwadashi, this fast should be completed by giving food donations, Janeu, and Dakshina to Brahmins.
Worship material: –
Vedi, Kalash, Saptadhan, Panch Pallav, Roli, Gopi sandalwood, Ganga water, milk, curd, cow’s ghee lamp, supari, bilw – Patra, cannabis, dhatura, mogre incense sticks, seasonal fruits, flowers, amla, pomegranate, cloves, Coconut, Lemon, Nawaidh, Banana and Tulsi Patra and Manjari.
Story:-
Maharaj ji says that, when Brahma ji started creating the universe, he created all kinds of living beings, animals, birds, trees and plants, mountains, and the whole world. Amla tree was also born at the time of creation, seeing which everyone was amazed. At the same time, there was a voice from the sky… This tree is the best among all trees and plants and it is the most beloved Amla tree of Lord Vishnu, whose remembrance, touch, and eating give three times the results. This tree is the destroyer of all sins. Val vyas suman ji Maharaj says that Lord Vishnu resides in the root of this tree, Brahma above, Rudra in the wings, Muni in the branches, Gods, Vasu in the leaves, Marudgana in the flowers, and Prajapati in the fruits. Amla tree should be worshiped and circumambulated on the day of Falgun Shukla Paksha Ekadashi.
Results of Ekadashi: –
Ekadashi helps in achieving the ultimate goal of living beings, devotion to God. This day is considered very auspicious and phaladaayee to serve the Lord with full devotion. On this day, if a person frees himself from desires and does devotional service to God with a pure heart, then he definitely becomes blessed by God.
Wal vyas suman ji Maharaj,
Mahatma Bhawan, Shri Ramjanaki
Temple, RamKot, Ayodhya.
Mo:-8709142129.