Article

जुनून…

एक छोटे से गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम था रामू। बचपन से ही रामू बाकी बच्चों से थोड़ा अलग था. जहाँ सभी बच्चे क्रिकेट या कबड्डी खेलते, वहाँ रामू अपने पुराने डफली के साथ बैठकर गाने गाता और अपनी दुनिया में खो जाता.

गाँव के लोग अक्सर उसे देखकर हँसते और कहते, “ये रामू तो अपने ही राग में मगन रहता है, इस दुनिया से इसका कोई लेना-देना नहीं.” लेकिन रामू को इन बातों की कोई परवाह नहीं थी. उसका मानना था कि हर इंसान को अपने दिल की सुननी चाहिए और वही करना चाहिए जो उसे खुशी दे.

एक दिन गाँव में मेला लगा और हर तरफ रौनक थी. उस मेले में कई कलाकार वहाँ आए हुए थे. रामू भी अपनी डफली लेकर मेले में पहुँचा. मेले में एक प्रतियोगिता हो रही थी, जहाँ हर किसी को अपनी कला दिखाने का मौका दिया जा रहा था. लोग रामू को देखकर हँसने लगे, “क्या ये लड़का अपनी डफली बजाकर प्रतियोगिता जीतेगा?”

लेकिन रामू ने हिम्मत नहीं हारी. उसने मंच पर जाकर अपने डफली की ताल पर ऐसा गाना गाया कि पूरा मेला झूम उठा. उसकी कला और आत्मविश्वास ने सभी का दिल जीत लिया. वही लोग, जो उसका मजाक उड़ाते थे, अब उसकी तारीफ करते थक नहीं रहे थे.

उस दिन के बाद से रामू को सबने एक नए नजरिए से देखना शुरू कर दिया. उन्होंने सीखा कि हर इंसान का अपना राग और अपनी डफली होती है, और अगर वह अपने जुनून के साथ उस पर डट जाए, तो उसे दुनिया की परवाह नहीं करनी चाहिए.

:

Related Articles

Back to top button