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व्यक्ति विशेष

भाग - 58.

राजनीतिज्ञ शारदा मुखर्जी

शारदा मुखर्जी एक प्रतिष्ठित भारतीय राजनीतिज्ञ थीं, जिनका जन्म 24 फरवरी 1919 को राजकोट, गुजरात में हुआ था. वे आंध्र प्रदेश और गुजरात की राज्यपाल के पद पर रह चुकी हैं. उनका प्रारंभिक जीवन मुंबई में बीता, जहां उन्होंने कैथेड्रल गर्ल्स हाई स्कूल, एल्फिंस्टन कॉलेज और लॉ कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के पहले प्रमुख सुब्रतो मुखर्जी से विवाह किया​​.

शारदा मुखर्जी ने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे 1962 और 1967 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं. उन्होंने सांसद के रूप में राष्ट्रीय जहाजरानी बोर्ड, रक्षा मामलों की सलाहकार समिति और राष्ट्रीय लघु बचत योजना सलाहकार बोर्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें 5 मई 1977 को आंध्र प्रदेश की राज्यपाल नियुक्त किया गया था और बाद में 14 अगस्त 1978 से 8 मई 1983 तक गुजरात की राज्यपाल रहीं​​​​.

उनकी मृत्यु 2007 में मुंबई में हुई। शारदा मुखर्जी का जीवन और कैरियर भारतीय राजनीति में उनके योगदान और समाज सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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अभिनेत्री पूजा भट्ट

पूजा भट्ट एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, फिल्म निर्माता, और फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने 1990 के दशक में भारतीय सिनेमा में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई. वह प्रसिद्ध फिल्म निर्माता महेश भट्ट और लोरेन ब्राइट की बेटी हैं और अभिनेता राहुल भट्ट की बहन और अलिया भट्ट और शाहीन भट्ट की सौतेली बहन हैं.

पूजा भट्ट ने अपने कैरियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की थी और उन्होंने “डैडी” (1989) फिल्म में अभिनय किया, जिसे उनके पिता महेश भट्ट ने निर्देशित किया था. उन्होंने इस फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए काफी प्रशंसा प्राप्त की. इसके बाद, पूजा ने “दिल है कि मानता नहीं” (1991), “सड़क” (1991), “जुनून” (1992), “तड़ीपार” (1993), और “बॉर्डर” (1997) जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया.

1990 के दशक के मध्य में, पूजा ने अभिनय से ब्रेक लेने का फैसला किया और फिल्म निर्माण और निर्देशन की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस, ‘पूजा भट्ट प्रोडक्शन्स’ के तहत “पाप” (2004) और “जिस्म 2” (2012) जैसी फिल्में प्रोड्यूस और डायरेक्ट कीं.

पूजा भट्ट ने अपने कैरियर में विविध भूमिकाएं निभाई हैं और उन्होंने अपने अभिनय, निर्माण, और निर्देशन के माध्यम से भारतीय सिनेमा में एक विशेष स्थान बनाया है. उनके काम ने उन्हें उद्योग में एक सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है.

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गजल गायक तलत महमूद

तलत महमूद एक प्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक और अभिनेता थे, जिन्हें उनकी कंपकंपी आवाज़ के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. उन्होंने 1940 और 1950 के दशकों में अपने गायन कैरियर के दौरान बहुत लोकप्रियता हासिल की. तलत ने अपने कैरियर में कई यादगार गजलें और फिल्मी गीत गाए, जिन्होंने उन्हें संगीत की दुनिया में एक अमिट पहचान दी.

तलत महमूद ने अपने संगीत कैरियर की शुरुआत 1944 में कलकत्ता में की थी. उन्होंने तपन कुमार के नाम से बांग्ला गीत गाए और फिर फिल्मों में अभिनय और पार्श्व गायन किया। तलत ने 1950 में फिल्म ‘बाबुल’ के लिए दिलीप कुमार के लिए गाने गाए, जिससे उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई​​.

तलत महमूद ने बॉलीवुड में कई प्रमुख फिल्मों के लिए गायन किया और उनका संगीत आवाज, शब्द, और भाव की सामर्थ्य को निखारा. उनका सर्वाधिक प्रसिद्ध गाना ‘ज़िंदगी भर नहीं भूलेगा’ है, जिसे लोग अभी भी याद करते हैं. उन्होंने गजलों, शायरी और लव सॉन्ग्स के लिए विशेष पसंद को दर्शाया. उनकी गायन की शैली और शब्दों का चयन आज भी समय से पहले है और उन्हें गाजल के राजा के रूप में याद किया जाता है.

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अभिनेता जॉय मुखर्जी

जॉय मुखर्जी एक फिल्म अभिनेता थे, जिन्होंने 1960 और 1970 के दशक में हिंदी सिनेमा में अपनी एक विशेष पहचान बनाई. वह 24 फ़रवरी, 1939 को जन्मे थे और 9 मार्च, 2012 को उनका निधन हो गया. जॉय मुखर्जी ने अपने कैरियर की शुरुआत 1960 में फिल्म “लव इन शिमला” से की थी, जिसे उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए काफी सराहा गया.

उन्हें उनकी आकर्षक उपस्थिति और रोमांटिक हीरो के रूप में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता था. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जैसे कि “फिर वही दिल लाया हूँ”, “लव इन टोक्यो”, “शगिर्द” और “एक मुसाफिर एक हसीना”. जॉय मुखर्जी के अभिनय कैरियर ने उन्हें उस समय के सबसे लोकप्रिय और सफल अभिनेताओं में से एक बना दिया.

उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें उनके योगदान और सिनेमा के प्रति उनकी अद्वितीय प्रतिभा के लिए याद किया जाता है. जॉय मुखर्जी न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक निर्देशक के रूप में भी काम किया, जिसमें उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन किया. उनके काम ने उन्हें एक महत्वपूर्ण और यादगार व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया, जिसकी उनके प्रशंसक आज भी सराहना करते हैं.

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पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता

जयललिता जयराम, जिन्हें आमतौर पर जयललिता के नाम से जाना जाता है, भारतीय राजनीति की एक प्रमुख हस्ती थीं. वह तमिलनाडु की छठी बार मुख्यमंत्री बनीं और अन्नाद्रमुक पार्टी (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम) की एक प्रमुख नेता थीं. उनका जन्म 24 फरवरी 1948 को हुआ था, और उनका निधन 5 दिसंबर 2016 को हुआ था.

जयललिता का कैरियर राजनीति से पहले तमिल सिनेमा में था, जहां उन्होंने एक अभिनेत्री के रूप में काफी सफलता प्राप्त की. उन्होंने 140 से अधिक फिल्मों में काम किया और विभिन्न भाषाओं में अभिनय किया, जिसमें तमिल, तेलुगु, कन्नड़, हिंदी और मलयालम शामिल हैं. उनकी फिल्मों ने उन्हें दक्षिण भारत में एक घरेलू नाम बना दिया.

राजनीति में उनका प्रवेश उनके मेंटर एम.जी.रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ उनके संबंधों के माध्यम से हुआ, जो खुद एक पूर्व फिल्म स्टार और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे. जयललिता ने अन्नाद्रमुक पार्टी में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं और अंततः पार्टी की प्रमुख बन गईं. उनके नेतृत्व में, पार्टी ने कई चुनावी सफलताएँ प्राप्त कीं, और वह तमिलनाडु की राजनीति में एक प्रभावशाली शक्ति बन गईं.

जयललिता को उनकी नीतियों और प्रशासनिक क्षमता के लिए व्यापक रूप से सराहा गया था, विशेष रूप से सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के क्षेत्र में. उन्होंने महिलाओं, बच्चों और गरीबों के लिए कई लाभकारी योजनाएँ शुरू कीं. हालांकि, उनका कैरियर विवादों से भी भरा था, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप और न्यायिक मुकदमे शामिल थे.

उनकी मृत्यु के बाद, जयललिता को तमिलनाडु और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण और विभाजनकारी आकृति के रूप में याद किया जाता है. उनकी विरासत उनके अनुयायियों और आलोचकों दोनों के बीच जीवंत चर्चाओं का विषय बनी हुई है.

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अभिनेत्री श्रीदेवी

श्रीदेवी भारतीय सिनेमा की एक अभिनेत्री थीं. उनका जन्म 13 अगस्त 1963 को हुआ था, और उनका निधन 24 फरवरी 2018 को दुबई में एक दुखद दुर्घटना में हुआ. श्रीदेवी ने अपने चार दशकों से अधिक लंबे कैरियर में भारतीय सिनेमा की कई भाषाओं में काम किया, जिसमें तमिल, हिंदी, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ शामिल हैं.

श्रीदेवी ने बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की और जल्द ही भारतीय सिनेमा में प्रमुख नायिका के रूप में उभरीं. उन्होंने अपनी अद्वितीय अभिनय प्रतिभा, नृत्य कौशल, और सौंदर्य के साथ लाखों दिलों को जीता. उनकी कुछ सबसे यादगार फिल्मों में “सदमा”, “मिस्टर इंडिया”, “चांदनी”, “लम्हे”, और “इंग्लिश विंग्लिश” शामिल हैं.

श्रीदेवी को उनकी विविध भूमिकाओं और शक्तिशाली प्रदर्शनों के लिए व्यापक रूप से सराहा गया था. उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिसमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.

श्रीदेवी की अचानक मृत्यु ने उनके प्रशंसकों और भारतीय फिल्म उद्योग को गहरे शोक में डुबो दिया. उनका जीवन और कैरियर भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान और अमिट छाप के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

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अभिनेत्री ललिता पवार

ललिता पवार भारतीय सिनेमा की एक अनुभवी और प्रतिष्ठित अभिनेत्री थीं, जिन्होंने लगभग 700 फिल्मों में अपने अभिनय के जौहर दिखाए. उनका जन्म 18 अप्रैल 1916 को हुआ था और उनका निधन 24 फरवरी 1998 को हुआ। ललिता पवार का कैरियर लगभग सात दशकों तक फैला हुआ था, जिसमें उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया.

ललिता पवार ने अपने कैरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी और धीरे-धीरे मुख्य भूमिकाओं में नजर आईं. हालांकि, उन्हें विशेष रूप से उनके चरित्र भूमिकाओं और खासकर विलेन की भूमिकाओं में उनके अद्भुत अभिनय के लिए जाना जाता है. उनके अभिनय ने अक्सर उन्हें सख्त माँ, सास या फिर नेगेटिव चरित्रों के रूप में पेश किया, जिनमें उनकी अद्वितीय अभिव्यक्ति और शक्तिशाली स्क्रीन प्रेजेंस ने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया.

उनके कुछ यादगार फिल्मों में “श्री 420”, “अनाड़ी”, “मृत्युदंड”, और “सौदागर” शामिल हैं. ललिता पवार की विशेषता उनकी विविधतापूर्ण भूमिकाओं में थी, जिसने उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमिट स्थान दिलाया.

उनकी मृत्यु के बाद भी, ललिता पवार की फिल्मों और उनके अभिनय को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के रूप में याद किया जाता है. उनका काम नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है, और उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक के रूप में याद किया जाता है.

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अमर चित्रकथा अनंत पै

अमर चित्रकथा (ACK) भारतीय साहित्य, मिथक, इतिहास, और संस्कृति को कॉमिक बुक फॉर्मेट में पेश करने वाली एक प्रसिद्ध प्रकाशन श्रृंखला है. इसकी स्थापना 1967 में अनंत पै द्वारा की गई थी, जो एक उद्यमी और शिक्षाविद थे. अनंत पै का उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारत के विविध इतिहास, पुराणिक कथाओं, और नायकों के बारे में शिक्षित करना था, जिन्हें वे शायद ही कभी स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ते.

अमर चित्रकथा की किताबें अपने आकर्षक चित्रण और सरल भाषा के लिए जानी जाती हैं, जो पाठकों को भारतीय विरासत से जोड़ती हैं. इन कॉमिक्स ने न केवल बच्चों बल्कि वयस्कों को भी आकर्षित किया है. अनंत पै ने इस श्रृंखला के माध्यम से सैकड़ों किताबें प्रकाशित कीं, जिसमें महाभारत, रामायण, जीवनियाँ महान व्यक्तित्वों की, और भारतीय लोककथाएँ शामिल हैं.

अनंत पै का मानना था कि बच्चों को उनकी जड़ों और संस्कृति से परिचित कराने से उनमें एक सकारात्मक आत्म-छवि विकसित होगी. उनका यह प्रयास इतना सफल रहा कि अमर चित्रकथा ने भारतीय प्रकाशन उद्योग में एक मील का पत्थर स्थापित किया. अनंत पै के नेतृत्व में, ACK ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों के बीच भी भारतीय संस्कृति की जानकारी फैलाई.

अनंत पै का निधन 24 फरवरी 2011 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत अमर चित्रकथा के माध्यम से आज भी जीवित है. उनके द्वारा स्थापित शैक्षिक और मनोरंजक मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का काम जारी है, जिससे उनका सपना आज भी पूरा हो रहा है.

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