News

व्यक्ति विशेष

भाग – 287.

उपन्यासकार आर. के. नारायण

आर. के. नारायण (1906-2001) भारतीय अंग्रेज़ी साहित्य के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक थे. वे अपने सरल और सजीव लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं, जो भारतीय जीवन की सादगी और दैनिक संघर्षों को दर्शाती है. उनका पूरा नाम राशीपुरम कृष्णस्वामी अय्यर नारायणस्वामी था, लेकिन वे आर. के. नारायण के नाम से प्रसिद्ध हुए.

उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में उनके काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर लिखी गई कहानियाँ और उपन्यास शामिल हैं. मालगुड़ी, एक काल्पनिक दक्षिण भारतीय कस्बा है, जो भारतीय जीवन की विविधता और संस्कृति का प्रतीक बन गया है. उनके लेखन में हास्य और मानवीय भावनाओं की गहरी समझ दिखती है, जिससे उनके पात्र वास्तविक और सजीव महसूस होते हैं.

प्रमुख उपन्यास: –

स्वामी एंड फ्रेंड्स (Swami and Friends): – यह उनका पहला उपन्यास था, जिसमें बालक स्वामी और उसके दोस्तों की कहानी है। इसे भारतीय साहित्य में एक क्लासिक माना जाता है.

द इंग्लिश टीचर (The English Teacher): – इस उपन्यास में एक शिक्षक की कहानी है, जो जीवन में प्रेम और आत्म-साक्षात्कार के रास्ते से गुजरता है.

द गाइड (The Guide): – यह उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1960 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. इस उपन्यास में एक टूर गाइड की कहानी है, जो आध्यात्मिक गुरु बन जाता है.

आर. के. नारायण के लेखन में सरल भाषा और सहज कथानक का उपयोग किया गया है, जो भारतीय जीवन की जटिलताओं को बिना किसी बनावटीपन के प्रस्तुत करता है. उनके उपन्यासों और कहानियों को न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी सराहा गया है। उनके कुछ उपन्यासों पर फिल्में और टीवी शोज भी बनाए गए, जिनमें “मालगुड़ी डेज़” बहुत लोकप्रिय हुआ.

आर. के. नारायण को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्म भूषण और पद्म विभूषण शामिल हैं. उनकी कृतियाँ आज भी भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती हैं.

==========  =========  ===========

 साहित्यकार डॉ. रामविलास शर्मा

डॉ. रामविलास शर्मा हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकार, आलोचक और विचारक थे. वे विशेष रूप से मार्क्सवादी दृष्टिकोण से साहित्य और संस्कृति के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका लेखन हिंदी साहित्य के साथ-साथ भारतीय समाज, संस्कृति और भाषा के गहन विश्लेषण को प्रस्तुत करता है.

रामविलास शर्मा का जन्म 10 अक्टूबर, 1912 ई. में उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में उच्चगाँव सानी में हुआ था. उन्होंने ‘लखनऊ विश्वविद्यालय’ से अंग्रेज़ी में एम.ए. किया और फिर पी-एच.डी. की उपाधि वर्ष 1938 में प्राप्त की. वर्ष 1938 से ही आप अध्यापन क्षेत्र में आ गए.

डॉ. शर्मा ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी, विशेष रूप से आलोचना के क्षेत्र में. उनके साहित्यिक विचार और सिद्धांतों ने साहित्य को समाज और राजनीति से जोड़ने का काम किया. वे हिंदी भाषा और उसकी सांस्कृतिक विरासत के एक बड़े समर्थक थे और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के लिए जोर देते थे.

प्रमुख रचनाएँ: –

भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी: – जिसमें उन्होंने भाषा, संस्कृति और समाज के विकास का गहन विश्लेषण किया.

महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण: – इस पुस्तक में हिंदी साहित्य के नवजागरण काल और महावीर प्रसाद द्विवेदी के योगदान पर चर्चा की गई है.

भारतीय संस्कृति और हिंदी प्रदेश: – इसमें भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषी क्षेत्रों के सांस्कृतिक आयामों पर प्रकाश डाला गया है.

रामविलास शर्मा का निधन 30 मई, 2000 को हुआ था. डॉ. रामविलास शर्मा को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और शलाका सम्मान प्रमुख हैं. उनका साहित्यिक दृष्टिकोण और उनकी योगदानशीलता हिंदी साहित्य को एक नई ऊँचाई तक ले गए.

==========  =========  ===========

वैज्ञानिक शिवराज रामशरण

शिवराज रामशरण एक प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक थे, जिन्हें क्रिस्टलोग्राफी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 10 अक्टूबर 1923 को मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ था. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से बीएससी ऑनर्स और एमएससी की डिग्री प्राप्त की, और बाद में प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी.वी. रमन के मार्गदर्शन में पीएचडी की.

अपने कैरियर के दौरान, शिवराज रामशरण ने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी में महत्वपूर्ण काम किया और राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं के विज्ञान विभाग में सुधार के लिए अहम भूमिका निभाई. उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रोफेसर के रूप में भी सेवाएं दीं. उन्हें वर्ष 1966 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और वर्ष 1985 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

उनकी प्रमुख पुस्तकों में “सी.वी. रमन और साइंटिफिक पेपर्स ऑफ सी.वी. रमन” शामिल है. उनका निधन 29 दिसंबर 2003 को बेंगलुरु में हुआ था.

==========  =========  ===========

हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह

बलबीर सिंह सीनियर भारतीय हॉकी के इतिहास में एक महान खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता थे. उन्हें हॉकी के सबसे सफल और प्रभावशाली खिलाड़ियों में से एक माना जाता है. उनका पूरा नाम बलबीर सिंह दोसांझ था. बलबीर सिंह तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता रहे, और उन्होंने भारतीय हॉकी टीम को वर्ष 1948 (लंदन), वर्ष 1952 (हेलसिंकी), और वर्ष1956 (मेलबर्न) ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि वर्ष 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में फाइनल मुकाबले के दौरान आई, जब उन्होंने नीदरलैंड्स के खिलाफ 5 गोल किए, जो आज भी एक रिकॉर्ड है. बलबीर सिंह की अगुवाई में भारत ने मेलबर्न ओलंपिक वर्ष 1956 में लगातार तीसरी बार स्वर्ण पदक जीता.

उनकी हॉकी के क्षेत्र में अतुलनीय उपलब्धियों के कारण उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था, और वर्ष 2012 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने उन्हें आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम खिलाड़ियों में से एक चुना. बलबीर सिंह के योगदान ने भारतीय हॉकी को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई, और वे भारतीय खेल इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक माने जाते हैं. उनका निधन 25 मई 2020 को हुआ, लेकिन उनका खेल में योगदान सदैव याद किया जाएगा​.

==========  =========  ===========

अभिनेत्री रेखा

रेखा, जिनका पूरा नाम भानुरेखा गणेशन है, भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सदाबहार अभिनेत्रियों में से एक हैं. उनका जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में हुआ था. उनके पिता, जेमिनी गणेशन, तमिल सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता थे, और उनकी मां पुष्पावल्ली तेलुगु सिनेमा की अभिनेत्री थीं.

रेखा का फिल्मी कैरियर पाँच दशकों से अधिक समय तक फैला हुआ है, और उन्होंने लगभग 180 से अधिक फिल्मों में काम किया है. वह अपने अनूठे अभिनय, खूबसूरती और शालीनता के लिए जानी जाती हैं.

फ़िल्में: –

उमराव जान (1981): – यह रेखा के कैरियर की सबसे प्रतिष्ठित फ़िल्मों में से एक मानी जाती है, जिसमें उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

खूबसूरत (1980), सिलसिला (1981), मुकद्दर का सिकंदर (1978) और मिस्टर नटवरलाल (1979) जैसी फिल्में भी उनकी यादगार भूमिकाओं में गिनी जाती हैं. वर्ष 1980 के दशक में रेखा हिंदी सिनेमा की सबसे चर्चित अभिनेत्रियों में से एक रहीं, और उनका अभिनय न केवल उनकी फिल्मों के लिए, बल्कि उनके स्टाइल, शख्सियत और आकर्षण के लिए भी जाना जाता है.

रेखा ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स और पद्म श्री (2010) भी शामिल हैं. उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी और अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ उनके संबंधों को लेकर भी मीडिया में काफी चर्चा रही, लेकिन रेखा ने हमेशा अपनी निजी ज़िंदगी को गोपनीय रखा.

रेखा का योगदान न केवल फिल्मों तक सीमित रहा, बल्कि उन्होंने अपने ग्रेस और एलिगेंस से बॉलीवुड को एक नई पहचान दी है. उनकी उपस्थिति आज भी हर समारोह में दिलचस्पी का केंद्र होती है, और उन्हें एक प्रतिष्ठित अदाकारा के रूप में देखा जाता है जो भारतीय सिनेमा के लिए एक प्रेरणा बनी हुई हैं​.

==========  =========  ===========

गजल गायक जगजीत सिंह

जगजीत सिंह भारतीय ग़ज़ल गायक, संगीतकार और एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने ग़ज़ल गायिकी को नए मुकाम तक पहुँचाया. उन्हें ग़ज़ल गायिकी का बादशाह कहा जाता है, और उन्होंने हिंदी सिनेमा और म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई. जगजीत सिंह का असली नाम जगत सिंह ढिल्लों था, और उनका जन्म राजस्थान के श्री गंगानगर में हुआ था.

जगजीत सिंह का संगीत का सफर वर्ष 1970 के दशक में शुरू हुआ और वह अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ युगल एल्बम “द अनफॉरगेटेबल्स” (वर्ष 1976) से प्रसिद्धि में आए. यह एल्बम एक मील का पत्थर साबित हुआ और ग़ज़ल गायकी को एक नया स्वरूप दिया, जिसमें सादगी और आधुनिकता का संगम था.

प्रसिद्ध ग़ज़लें: –

“होशवालों को खबर क्या” (फ़िल्म सरफ़रोश),

“तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो” (फ़िल्म अर्थ),

“झुकी झुकी सी नजर” (फ़िल्म अर्थ).

उनकी ग़ज़लों का खास आकर्षण उनकी भावनात्मक गहराई और सरल संगीत संयोजन में था, जो श्रोताओं के दिलों को छूता था. जगजीत सिंह ने ग़ज़ल को घर-घर तक पहुँचाया और इसे शास्त्रीय संगीत की सीमाओं से बाहर निकालकर लोकप्रिय संगीत का रूप दिया.

जगजीत सिंह को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म भूषण (वर्ष 2003) से सम्मानित किया गया. उनका निधन 10 अक्टूबर 2011 को हुआ, लेकिन उनकी ग़ज़लें आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं.

==========  =========  ===========

राजनीतिज्ञ मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक थे. उनका जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई गाँव में हुआ. उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 1967 में की और भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार कार्य किया: – पहली बार वर्ष 1989 से 91, दूसरी बार वर्ष 1993 से 95, और तीसरी बार वर्ष 2003 – 07.

समाजवादी पार्टी की स्थापना: – उन्होंने वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की, जो उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख राजनीतिक दल बन गई. सपा ने राज्य में विकास और सामाजिक न्याय की नीतियों पर जोर दिया.

केंद्रीय राजनीति में योगदान: – मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया.

मुलायम सिंह यादव को उनकी विशेष शैली, सामर्थ्य और जनसंख्या के प्रति अपनी नीतियों के लिए जाना जाता है. वे समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से आवाज उठाते थे. उनका राजनीतिक सफर उनके पुत्र अखिलेश यादव द्वारा आगे बढ़ाया गया, जो वर्तमान में समाजवादी पार्टी के प्रमुख हैं.

उनका निधन 10 अक्टूबर 2022 को हुआ, और उन्हें भारतीय राजनीति में एक प्रेरणादायक नेता के रूप में याद किया जाता है. उनके योगदान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई​.

:

Related Articles

Back to top button