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व्यक्ति विशेष

भाग – 228.

तेजी बच्चन

तेजी बच्चन एक जानी-मानी भारतीय व्यक्तित्व थीं, जो हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की मां थीं. तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त 1914 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद (जिसे पहले लायलपुर कहा जाता था) में हुआ था.

वह साहित्य और कला में गहरी रुचि रखती थीं और उन्होंने अपने जीवन में कई सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाई. तेजी बच्चन एक शिक्षिका भी थीं और उन्होंने कई वर्षों तक पढ़ाया. उन्होंने अपने पति हरिवंश राय बच्चन के साहित्यिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, उन्हें प्रोत्साहित किया और उनके रचनात्मक कार्यों में सहयोग दिया.

तेजी बच्चन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही राष्ट्रीय आंदोलन से भी जुड़ाव था. वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थीं और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया. उनका निधन 21 दिसंबर 2007 को मुंबई में हुआ. उनके जीवन और कार्यों ने न केवल उनके परिवार, बल्कि हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डाला.

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वैज्ञानिक विक्रम साराभाई

विक्रम साराभाई भारतीय वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् थे, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. उनका पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था, और उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था. उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है.

विक्रम साराभाई ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी. उनके नेतृत्व में 1969 में इसरो की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना था. उनके निर्देशन में भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, 1975 में लॉन्च हुआ.

उन्होंने कॉस्मिक किरणों और उच्च ऊर्जा भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध किए. उन्होंने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की, जो आज भी विज्ञान और अनुसंधान के प्रमुख संस्थानों में से एक है. विक्रम साराभाई ने कई अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना में भी योगदान दिया, जैसे कि भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद, और परमाणु ऊर्जा विभाग के विकास में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था.

साराभाई का मानना था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए होना चाहिए. उन्होंने कई शिक्षा और सामाजिक विकास से जुड़ी परियोजनाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

विक्रम साराभाई का निधन 30 दिसंबर 1971 को कोवलम, केरल में हुआ. उनकी उपलब्धियों के सम्मान में, उन्हें मरणोपरांत पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान दिए गए. उनका योगदान आज भी भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रेरणा स्रोत बना हुआ है.

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया

सिद्दारमैया एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो कर्नाटक राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनका जन्म 12 अगस्त 1947 को कर्नाटक के मैसूर जिले के सिद्दारमनहुंडी गाँव में हुआ था. सिद्दारमैया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक वरिष्ठ नेता हैं और कर्नाटक में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक माने जाते हैं.

सिद्दारमैया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनता पार्टी से की थी और 1983 में पहली बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए. वह वकील से राजनीतिज्ञ बने और जल्दी ही राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नेता बन गए. सिद्दारमैया 2013 से 2018 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में उन्होंने कई सामाजिक कल्याण योजनाओं को लागू किया, जिनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं थीं: –

अन्न भाग्य योजना: –  इस योजना के तहत गरीब परिवारों को सस्ती दर पर चावल उपलब्ध कराया गया.

किट्टूर रानी चेन्नम्मा स्कीम: – महिलाओं के कल्याण के लिए चलाई गई विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभ दिए गए.

इंदिरा कैंटीन: – गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए सस्ते भोजन की सुविधा प्रदान की गई.

राजनीतिक विचारधारा: – सिद्दारमैया की राजनीति मुख्य रूप से समाजवाद और सामाजिक न्याय पर आधारित है. उन्होंने दलितों, पिछड़े वर्गों, और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए हमेशा आवाज उठाई है.

वर्ष 2023 में, सिद्दारमैया ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वह अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की. उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल की. सिद्दारमैया को उनके प्रशासनिक कौशल और सामाजिक कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है. उन्होंने कर्नाटक की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है.

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अभिनेत्री सारा अली खान

सारा अली खान एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्म उद्योग (बॉलीवुड) में काम करती हैं. उनका जन्म 12 अगस्त 1995 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. सारा बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री अमृता सिंह की बेटी हैं. वह बॉलीवुड के प्रसिद्ध पटौदी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, और उनके दादा मंसूर अली खान पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे.

सारा ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई में की और फिर उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क से इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. सारा अली खान ने 2018 में अपनी पहली फिल्म “केदारनाथ” से बॉलीवुड में डेब्यू किया, जिसमें उनके साथ सुशांत सिंह राजपूत ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म को दर्शकों और आलोचकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और सारा की अभिनय क्षमता की सराहना की गई.

प्रमुख फिल्में:

सिंबा (2018): – “केदारनाथ” के बाद सारा ने रोहित शेट्टी की फिल्म “सिंबा” में रणवीर सिंह के साथ अभिनय किया. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल रही और सारा की लोकप्रियता में और इजाफा हुआ.

लव आज कल (2020): – इस फिल्म में सारा ने कार्तिक आर्यन के साथ काम किया, लेकिन फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली.

कुली नंबर 1 (2020): – यह फिल्म 1995 में आई गोविंदा और करिश्मा कपूर की फिल्म “कुली नंबर 1” का रीमेक थी, जिसमें सारा ने वरुण धवन के साथ अभिनय किया.

सारा अली खान अपने स्वाभाविक अभिनय, चुलबुले व्यक्तित्व और स्पष्ट बोलने की शैली के लिए जानी जाती हैं. वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और उनके बहुत बड़े प्रशंसक वर्ग हैं. सारा ने अपने कैरियर की शुरुआत में ही कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के पुरस्कार भी शामिल हैं.

सारा अली खान ने कम समय में ही बॉलीवुड में अपनी जगह बना ली है और वह भारतीय सिनेमा के उभरते सितारों में से एक हैं. उनके अभिनय के साथ-साथ उनके फैशन सेंस और व्यक्तित्व को भी युवा दर्शकों के बीच बहुत पसंद किया जाता है.

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अभिनेत्री सायेशा सहगल

सायेशा सहगल एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम करती हैं. उनका जन्म 12 अगस्त 1997 को हुआ था. सायेशा सहगल बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार और अभिनेत्री सायरा बानो की नातिन हैं. उनके माता-पिता अभिनेता सुमित सहगल और शायनी आहूजा हैं.

सायेशा ने अपने कैरियर की शुरुआत 2015 में तेलुगु फिल्म “अखिल” से की, जिसमें उन्होंने नागार्जुन के बेटे अखिल अक्किनेनी के साथ मुख्य भूमिका निभाई. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल नहीं रही, लेकिन सायेशा के प्रदर्शन की सराहना की गई. सायेशा ने 2017 में तमिल फिल्म “वनमगन” से तमिल सिनेमा में कदम रखा. इस फिल्म में उनके अभिनय को खूब सराहा गया, और इसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों में अपने कैरियर को आगे बढ़ाया.

प्रमुख फिल्में: –

“वनमगन” (2017): – तमिल सिनेमा में उनकी पहली फिल्म, जिसमें उन्होंने जयम रवि के साथ काम किया.

“कदम कधंधा” (2017): – इस तमिल फिल्म में भी सायेशा ने मुख्य भूमिका निभाई.

“गजनीकांत” (2018): – यह फिल्म आर्य के साथ एक कॉमेडी फिल्म थी, जिसमें सायेशा की भूमिका को दर्शकों ने पसंद किया.

“काप्पन” (2019): – इस मल्टीस्टारर फिल्म में सायेशा ने सूर्या और मोहनलाल के साथ काम किया. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और सायेशा की लोकप्रियता को और बढ़ाया.

सायेशा सहगल ने मार्च 2019 में तमिल अभिनेता आर्य से शादी की. उनकी शादी दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में एक बड़ा समारोह था और इसमें कई फिल्मी हस्तियों ने हिस्सा लिया. सायेशा को उनकी डांसिंग स्किल्स के लिए भी जाना जाता है, और उन्होंने अपनी फिल्मों में कई डांस सीक्वेंस किए हैं, जिन्हें दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया. वह अपने खूबसूरत अंदाज और अभिनय के लिए दक्षिण भारतीय सिनेमा में जानी जाती हैं.

सायेशा सहगल ने अपने छोटे से कैरियर में ही तमिल और तेलुगु सिनेमा में एक खास जगह बनाई है और वह भविष्य में और भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आ सकती हैं.

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इतिहासविद भगवतशरण उपाध्याय

भगवतशरण उपाध्याय एक प्रतिष्ठित भारतीय इतिहासकार और विद्वान थे, जिनका महत्वपूर्ण योगदान भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में रहा है. उनका जन्म 25 फरवरी 1905 को हुआ था और उनका निधन 23 अप्रैल 1992 को हुआ.

भगवतशरण उपाध्याय ने भारतीय इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक शोध किया. उन्होंने भारतीय इतिहास के मध्यकालीन युग पर विशेष ध्यान दिया और इस विषय पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और लेख लिखे. “मुगल साम्राज्य की नींव” (The Foundation of Mughal Empire): – इस पुस्तक में उन्होंने मुगलों के भारत में आगमन और उनके साम्राज्य की नींव पर शोध किया. “भारत का इतिहास” (History of India): -यह एक व्यापक और महत्वपूर्ण काम है, जिसमें उन्होंने भारतीय इतिहास की विभिन्न अवधियों का समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. उपाध्याय ने भारतीय विश्वविद्यालयों में इतिहास के अध्यापक के रूप में भी कार्य किया और कई विद्यार्थियों को इतिहास के प्रति रुचि और समझ विकसित करने में मदद की. उन्होंने भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रमों को विकसित करने में भी योगदान दिया.

भगवतशरण उपाध्याय का इतिहास लेखन समृद्ध ऐतिहासिक स्रोतों और प्रमाणों पर आधारित था. उन्होंने भारतीय इतिहास को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समझने की कोशिश की और इतिहास की व्यापक दृष्टि प्रस्तुत की. उनके काम को भारतीय इतिहासकारों और विद्वानों द्वारा सम्मान मिला, लेकिन कभी-कभी उनकी दृष्टिकोण और विश्लेषणों को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा.

भगवतशरण उपाध्याय का योगदान भारतीय इतिहास के अध्ययन में महत्वपूर्ण है, और उनके कार्य आज भी ऐतिहासिक शोध और अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में माने जाते हैं.

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निर्माता-निर्देशक गुलशन कुमार

गुलशन कुमार एक प्रमुख भारतीय फिल्म निर्माता और व्यवसायी थे, जिनका प्रमुख योगदान हिंदी फिल्म उद्योग में रहा. उनका जन्म 5 मई 1951 को दिल्ली में हुआ था और उनका निधन 1997 में हुआ. वह टी-सीरीज़ म्यूजिक कंपनी के संस्थापक के रूप में भी जाने जाते हैं.

गुलशन कुमार ने 1980 के दशक में टी-सीरीज़ म्यूजिक कंपनी की स्थापना की, जो जल्द ही भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री का एक प्रमुख नाम बन गया. टी-सीरीज़ ने कई हिट फिल्मी गानों, भजनों, और एल्बमों का निर्माण किया, जो भारतीय संगीत प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय हुए. गुलशन कुमार ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1990 के दशक में की. उन्होंने कई हिट बॉलीवुड फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें प्रमुख फिल्में शामिल हैं: –

“आशिकी” (1990): – यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी सफलता थी और इसके संगीत ने काफी लोकप्रियता हासिल की. फिल्म ने टी-सीरीज़ के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित किया.

“सत्यमेव जयते” (1992): – इस फिल्म में भी गुलशन कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

“खिलाड़ी” (1992): – अक्षय कुमार और शिल्पा शेट्टी अभिनीत इस फिल्म ने भी अच्छी सफलता प्राप्त की.

गुलशन कुमार ने भारतीय संगीत और फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्होंने कई नए कलाकारों और संगीतकारों को भी मौका दिया. वर्ष 1997 में, गुलशन कुमार की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या का मामला एक बड़ी सुर्खियों में रहा और यह भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ा सदमा था. उनके हत्या के पीछे आपराधिक तत्वों और संगठनों का हाथ होने की बात सामने आई.

गुलशन कुमार के काम और योगदान ने भारतीय फिल्म और संगीत उद्योग पर गहरा प्रभाव डाला. उनकी विरासत आज भी टी-सीरीज़ म्यूजिक कंपनी के माध्यम से जीवित है.

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