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व्यक्ति विशेष

भाग - 20.

व्यंग्यकार बाबू गुलाबराय

व्यंग्यकार बाबू गुलाबराय, जिनका असली नाम ब्रह्मव्रत शर्मा था, एक प्रसिद्ध भारतीय व्यंग्यकार और हास्य कवि थे. वे भारतीय साहित्य में अपने हास्य और व्यंग्य काव्य के लिए प्रसिद्ध हैं. वे अपनी कविताओं और लेखों में समाज की समस्याओं, राजनीति के मुद्दों, और दिनचर्या के विभिन्न पहलुओं पर मजाक और व्यंग्य करते थे. बाबू गुलाबराय का काव्य आम लोगों के जीवन की सामाजिक, राजनीतिक, और व्यक्तिगत घटनाओं पर आधारित था और उनकी कविताओं में आधुनिक भारतीय समाज की तस्वीर दिखाई देती थी. उनके कविताओं में हास्य, व्यंग्य, और सर्कास्टिक भाषा का उपयोग होता था, जिससे वे अपने संदेशों को मजेदार और सार्थक तरीके से प्रस्तुत करते थे.

बाबू गुलाबराय का काव्य भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और उन्होंने अपने योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित भी हुये. उनकी कविताओं में उनकी विशेष भाषा और व्यंग्य कौशल की प्रशंसा की जाती है, और वे आज भी भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं.

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गणितज्ञ डी. आर. कापरेकर

डॉ. डी. रघुनाथ अनंत कापरेकर, जिन्हें डॉ. डी. आर. कापरेकर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय गणितज्ञ थे. उन्होंने गणित और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए थे. कापरेकर का जन्म 17 जनवरी, 1905 को हुआ था. उन्होंने भारतीय गणित समाज को अपनी शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से योगदान किया.

उन्होंने संख्या गणित, संख्या सिद्धांत, और अद्वितीय संख्याओं के बारे में अपने अनुसंधान के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की. उन्होंने भारतीय गणित में अपने अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कार जीते, जैसे कि श्रीधराचार्य पुरस्कार और रामानुजन पुरस्कार. डॉ. डी. आर. कापरेकर का योगदान भारतीय गणित और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा और उन्हें भारतीय गणित समुदाय में गणितज्ञ के रूप में बहुत प्रमुख माना जाता है.

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अभिनेता एल. वी. प्रसाद

 एल. वी. प्रसाद, जिनका पूरा नाम अक्कीनेनी लक्ष्मी वारा प्रसाद राव है, एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म अभिनेता और निर्माता थे. वे भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के अभिनेता माने जाते हैं और उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध हुए.

एल. वी. प्रसाद का जन्म 17 जनवरी 1908 आन्ध्र प्रदेश के इलुरु तालुका में एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने तेलुगु सिनेमा में कई महत्वपूर्ण फ़िल्मों में काम किया और अपने अद्वितीय अभिनय के लिए प्रसिद्ध हुए. कुछ प्रमुख फ़िल्में जिनमें वे काम कर चुके हैं, वह हैं “इंतिक़ाम” (1965), “गुदाचारुडु” (1969), “प्रेमनगर” (1971), “प्रेम पान्डित” (1972), और “मुरारी” (1983) आदि.

उन्होंने अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते, जैसे कि नेशनल अवार्ड्स और फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स. उनका अभिनय सिनेमा के साथ-साथ नाटक में भी महत्वपूर्ण था. वे एक प्रमुख तेलुगु फ़िल्म निर्माता भी थे और उन्होंने कई फ़िल्मों की निर्माण में भी भाग लिया. एल. वी. प्रसाद का अभिनय कैरियर भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उन्हें उनके योगदान के लिए सिनेमा इंडस्ट्री द्वारा सम्मानित किया गया है.

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राजनेता एवं अभिनेता एम जी रामचंन्द्रन    

एम. जी. रामचंद्रन, जिन्हें पॉलिटिकली और सिनेमा के क्षेत्र में “माना” जाता है, एक प्रमुख भारतीय राजनेता और अभिनेता थे. उन्होंने केरल राज्य के सीनियर पॉलिटिकल नेता के रूप में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए थे, साथ ही सिनेमा में भी एक उल्लेखनीय अभिनय करियर बनाया.

एम. जी. रामचंद्रन का जन्म 17 जनवरी, 1917 को कैंडी, श्रीलंका में हुआ था. उन्होंने तमिलनाडु राज्य के राजनीतिक दायरों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं का सही समय पर निभाया. उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया और राज्य के विकास में अपना योगदान दिया. सिनेमा के क्षेत्र में भी एम. जी. रामचंद्रन को “माना” के नाम से जाना जाता है. उन्होंने तमिल सिनेमा में कई महत्वपूर्ण फ़िल्मों में अभिनय किया और उनका अभिनय सिनेमा इंडस्ट्री में प्रसिद्ध हुआ. उन्होंने अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी जीते. एम. जी. रामचंद्रन का कार्यकाल राजनीति और सिनेमा के बीच एक अनोखा संघर्ष था, और उन्होंने दोनों क्षेत्रों में अपना योगदान दिया. उनकी भूमिका और योगदान के लिए उन्हें भारतीय समाज द्वारा सम्मानित किया गया है.

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फ़िल्म निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही  

कमाल अमरोही एक फ़िल्म निर्माता, निर्देशक, और लेखक थे, जो भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए. उन्होंने अपनी कई महत्वपूर्ण फ़िल्मों के लिए मशहूर हैं, और उनकी फ़िल्म “प्यासा” (1957) एक क्लासिक फ़िल्म मानी जाती है.

कमाल अमरोही का जन्म 17 जनवरी 1918 को ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत अमरोहा में हुआ था. उन्होंने अपना कैरियर फ़िल्म इंडस्ट्री में शुरू किया था और उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म “महल” (1949) के साथ ही महत्वपूर्ण पहचान बनाई. कमाल अमरोही की सबसे मशहूर फ़िल्म “प्यासा” (1957) थी, जिसमें गुरु दत्त ने मुख्य भूमिका निभाई थी. यह फ़िल्म समाज के द्वारा कविता और कला के महत्व को दर्शाने वाली थी और इसे सिनेमा के माध्यम से महत्वपूर्ण संदेश के रूप में जाना जाता है.

कमाल अमरोही के और भी कई महत्वपूर्ण फ़िल्में हैं, जैसे कि ” पाकीजा ” (1957) और “राज कपूर की आवाज़ में” (1961)। वे फ़िल्म निर्माता, निर्देशक, और लेखक के रूप में अपने काम के लिए सम्मानित हुए और उनका योगदान भारतीय सिनेमा के विकास में महत्वपूर्ण था. कमाल अमरोही का निधन 2 फ़रवरी 1993 को हुआ था, लेकिन उनका योगदान सिनेमा में आज भी याद किया जाता है.

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साहित्यकार रांगेय राघव

रांगेय राघव एक भारतीय साहित्यकार और कवि थे, जो अपनी रचनाओं में भारतीय साहित्य और संस्कृति को महत्वपूर्ण भूमिका देने के लिए प्रसिद्ध थे। उनका जन्म 17 जनवरी 1923, आगरा में हुआ था और उनका निधन 12 सितम्बर 1962 को आगरा में हुआ था.

रांगेय राघव का साहित्यिक कार्य प्राचीन भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रति उनके गहरे रुझान को प्रकट करता था. उन्होंने कविता, कहानी, नाटक, और निबंध लिखे और उनके काव्य में धार्मिक और आध्यात्मिक तत्वों को महत्व दिया. रांगेय राघव का काव्य और साहित्य कृतियों में संस्कृत भाषा का बहुत अद्वितीय और सुंदर उपयोग था, जो उनके रचनाओं को विशेष बनाता था. उन्होंने भारतीय संस्कृति के अनेक पहलुओं को उनके लेखों में प्रकट किया, जैसे कि धार्मिकता, भक्ति, और मानवता.

रांगेय राघव के लेखन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति को उनकी कविता और निबंधों के माध्यम से बढ़ावा देना और भारतीय समाज को संवेदनशील बनाना था. उनका साहित्य भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से में शामिल है और उन्हें उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है.

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जैन लेखक महावीर सरन

महावीर सरन एक प्रमुख जैन लेखक और जैन धर्म के प्रति अपनी गहरी समर्पणा के लिए प्रसिद्ध थे. वे जैन धर्म, जैन सिद्धांतों, और जैन साहित्य के प्रस्तावना और व्याख्यान करने के लिए मशहूर थे. महावीर सरन ने अपनी जीवन के दौरान जैन धर्म के महत्वपूर्ण विषयों पर विभिन्न पुस्तकें लिखीं और जैन धर्म के सिद्धांतों को समझाने का प्रयास किया. उनके लेखन के क्षेत्र में जैन दर्शन, जीवन का तात्त्विक पहलु, और अहिंसा के महत्व के विषयों पर ख़ासा जोर दिया गया. महावीर सरन की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें उनके जैन धर्म से संबंधित थीं, जैसे कि “जैन दर्शन के मूल सिद्धांत” और “जैन धर्म का मूल”. उनके लेखन के माध्यम से वे जैन धर्म के महत्वपूर्ण विचारों को व्याख्यान करके लोगों को जैन धर्म के माध्यम से जीवन के मूल तत्वों की समझ में मदद करते थे.

महावीर सरन का योगदान जैन समुदाय में बड़ा माना जाता है, और उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से जैन धर्म को गहरी रूप से समझाने में मदद की. उनके लेखन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जैन धर्म के महत्वपूर्ण प्रामाणिक उपनिषद्द के बारे में था, जिन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों को समर्थन दिया.

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गीतकार जावेद अख़्तर  

जावेद अख़्तर एक प्रमुख भारतीय गीतकार, गीतकार, और लेखक हैं, जो भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं. उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई बड़ी हिट फ़िल्मों के लिए गीत लिखे हैं, जिनमें “दिल चाहता है,” “काल हो ना हो,” “कभी अलविदा ना कहना,” और “रोका कैसे बताओं तुम्हें” जैसी फ़िल्में शामिल हैं.

जावेद अख़्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को हुआ था. उनके माता-पिता के बीच भी गीतकारी और साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान था, जिसका वे अच्छी तरह से इस्तेमाल करते आए हैं. उनका पिता काव्य रचना में मशहूर फ़िल्म लेखक और गीतकार थे, जबकि उनकी मां एक महत्वपूर्ण हिंदी फ़िल्म अभिनेत्री थीं. जावेद अख़्तर ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जैसे कि नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड, फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड, और फ़िल्मफ़ेयर फ़िल्मक्रिटिक्स अवॉर्ड आदि. उन्हें उनके गीतकारी के लिए सम्मानित किया गया है और वे हिंदी सिनेमा के महत्वपूर्ण गीतकारों में से एक माने जाते हैं. उनके गीत उनकी शानदार गीतकारी कौशल और विचारशीलता को प्रकट करते हैं और उन्हें भारतीय सिनेमा के अद्वितीय योगदान के लिए याद किया जाता है.

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अकबर की सोतेली माँ बेगा बेगम

बेगा बेगम, मुग़ल सम्राट अकबर की सोतेली मां थी। उनका जन्म 1523 में हुआ था, और उनके पिता का नाम मिर्ज़ा खान होता है, जो अकबर की मां हमीदा बानो की पुरानी सास रुक़ैया सुल्तान बेगम से शादी करते समय विधवा थे.

बेगा बेगम अकबर के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनका समर्थन और संजीवनी बोटी की कहानी बहुत प्रसिद्ध है. संजीवनी बोटी की कहानी के अनुसार, अकबर की जान बचाने के लिए उन्होंने अपनी सोतेली मां बेगा बेगम से उपाय के रूप में एक चमत्कारी पौध की मदद मांगी, जिससे अकबर की जान बचाई गई. इस कहानी से बेगा बेगम का सच्चा और गर्वनिय चरित्र प्रकट होता है, जिन्होंने अपने पुत्र की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया. बेगा बेगम का नाम भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है, और वह अकबर की जीवन की महत्वपूर्ण व्यक्ति थी, जिनका समर्थन और प्यार अकबर के लिए महत्वपूर्ण था.

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गायिका और नर्तकी गौहर जान

गौहर जान एक गायिका, नर्तकी, और संगीत शैलीकार थीं, जिन्होंने भारतीय संगीत और संगीत उद्योग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध हुई.

गौहर जान का जन्म 26 जून 1873 को आजमगढ़, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, ठुमरी और ख़याल गाने की अद्वितीय कला के प्रति प्रसिद्ध थीं. गौहर जान की आवाज़ और संगीतीय दक्षता उन्हें भारतीय संगीत उद्योग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाई.

वे एक प्रमुख कवायदार, गायिका, और संगीतकार थीं और उन्होंने अपनी गायकी कौशल के साथ-साथ नर्तन भी किया. उनका प्रमुख योगदान थुमरी संगीत के क्षेत्र में था, जिसका वे प्रमुख प्रतिष्ठित चेहरा थीं. गौहर जान का नाम भारतीय संगीत के इतिहास में महत्वपूर्ण है और उन्हें भारतीय संगीत की दुनिया में एक महत्वपूर्ण गायिका और कलाकार के रूप में याद किया जाता है.

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अभिनेत्री सुचित्रा सेन   

सुचित्रा सेन भारतीय सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्री थीं, और वे बंगाली सिनेमा के लिए अपनी उत्कृष्ट अभिनय के लिए प्रसिद्ध थीं. उनका जन्म 6 अप्रैल 1931 को बंगाल के पबना ज़िले में हुआ था.

सुचित्रा सेन ने बंगाली सिनेमा के साथ-साथ हिंदी सिनेमा में भी अभिनय किया. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत 1952 में बंगाली फ़िल्म “श्रीमती” से की और उन्होंने इस फ़िल्म में निभाई. इसके बाद, वे बंगाली सिनेमा में अनेक प्रमुख फ़िल्मों में अभिनय करने लगीं, जैसे कि “उत्तर फ़लगुड़ि” और “कुषुम कुशुमी”. हिंदी सिनेमा में, सुचित्रा सेन ने अपनी प्रमुख फ़िल्मों में व्यापक रूप से प्रसिद्ध हुईं, जैसे कि “अनमोल रतन”, “बैगुम बेटी”, और “आंधी” जैसी फ़िल्में. “आंधी” में उन्होंने महिला प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें बहुत प्रशंसा मिली.

सुचित्रा सेन को उनके अद्वितीय अभिनय और गैर-सामान्य रूप से खूबसुरत आवाज़ के लिए याद किया जाता है. उन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई पुरस्कार भी जीते, जिसमें बंगाली सिनेमा के लिए प्रतिष्ठित “बंगाल सिनेमा जीवन सम्मान” भी था. सुचित्रा सेन 17 जनवरी 2014 को बंगाल के कोलकाता शहर में निधन हो गईं, लेकिन उनकी यादें और काम भारतीय सिनेमा के इतिहास में सदैव जिंदा रहेंगी.

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राजनीतिज्ञ ज्योति बसु    

ज्योति बसु एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे और उन्हें सियासी दुनिया में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाना जाता है. वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य थे और पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में लंबे समय तक सेवा करते रहे. ज्योति बसु का जन्म 8 जुलाई 1914 को हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से प्राप्त की. उन्होंने वकालत की पढ़ाई की, लेकिन बाद में राजनीति में अपना कैरियर बनाया.

ज्योति बसु ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में 1977 से 2000 तक केमलपुर विधानसभा सीट से विजयी रूप से चुनाव जीतते रहे, और वे इस पद पर सबसे लंबे समय तक केमलपुर ने कायम किया. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद, पश्चिम बंगाल में उन्होंने एक सोशलिस्ट और मार्क्सवादी नीतियों का पालन किया और विकास के कई क्षेत्रों में सुधार किया. ज्योति बसु को उनके सेवाओं के लिए कई बार सम्मानित किया गया और वे भारतीय सियासत में अपनी लम्बी और सफल सेवाओं के लिए जाने जाते हैं. उनका निधन 17 जनवरी 2010 को हुआ था.

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शास्त्रीय संगीत गायक ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान   

ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान एक प्रमुख भारतीय शास्त्रीय संगीत गायक थे, और वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारतीय संगीत के विभिन्न पहलुओं में माहिर होने का सबूत दिया और उन्होंने शास्त्रीय गायन की अद्वितीय भूमिका निभाई. ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान का जन्म 3 मार्च 1931 को हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत संगीत विद्यापीठ से की और वहां से शास्त्रीय संगीत में मास्टरी हासिल की. वे अल्गवादी संगीतकार और गायक रहे हैं, और उन्होंने अपने गायन की अद्वितीय भूमिका से भारतीय संगीत को नया दिशा देने में मदद की.

ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान का गायन अत्यंत गंभीर और भावपूर्ण होता था, और वे ख़ुद भी एक उच्च शिक्षक और गुरु थे. उन्होंने अपने जीवन में अनेक शिष्यों को शास्त्रीय संगीत का उच्च स्तर पर सिखाया और प्रशिक्षित किया.

ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान को भारत सरकार द्वारा विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, और उन्हें भारतीय संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए बहुत प्रशंसा मिली. उनका निधन 17 जनवरी 2021 को हुआ, लेकिन उनका संगीत और उनकी शिक्षा आज भी भारतीय संगीत के अद्वितीय धरोहर के रूप में जीवित है.

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