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व्यक्ति विशेष

भाग – 202.

बेगम आबिदा अहमद

बेगम आबिदा अहमद  भारत के पाँचवें राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद की पत्नी थीं. आबिदा बेगम का जन्म 17 जुलाई, 1923 को उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में हुआ था और इनकी मृत्यु 7 दिसम्बर, 2003 को हुई थी.

आबिदा के पिता का नाम मुहम्मद सुल्तान हैदर ‘जोश’ था, जो ब्रिटिश हुकूमत की सिविल सर्विस में थे.  आबिदा बेगम ने ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ (ए.एम.यू.) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.

बेगम आबिदा का विवाह भारत के पूर्व राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद से 9 नवम्बर, वर्ष 1945 को हुआ था. विवाह के समय फ़ख.रुद्दीन अली अहमद इनसे उम्र में काफ़ी बड़े थे. उनकी उम्र 40 वर्ष थी, जबकि आबिदा बेगम मात्र 22 वर्ष की थीं.

आबिदा बेगम ने अपने राजनीतिक सफर के अंतर्गत कांग्रेस इं के टिकट पर बरेली, उत्तर प्रदेश की सीट से लोकसभा का उपचुनाव जीता और वर्ष 1981 में सांसद निर्वाचित हुईं थी.

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फ़्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों भारतीय वायु सेना के एक वीर सैनिक थे, जिन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी और वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वे भारतीय वायु सेना के पहले और एकमात्र ऐसे पायलट हैं जिन्हें यह सर्वोच्च सैन्य सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया है.

निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म  17 जुलाई 1943 को लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश भारत में सेखों गुज्जर सिख परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम फ्लाइट लेफ्टिनेंट तारलोक सिंह सेखों था. उन्हें 4 जून 1967 को पायलट अधिकारी के रूप में भारतीय वायुसेना में सम्मिलित किया गया था.

 14 दिसंबर 1971 को फ्लाइंग ऑफिसर सेखों श्रीनगर एयर बेस की सुरक्षा के लिए तैनात थे. उस दिन उन्होंने चार पाकिस्तानी जेएफ-86 सबरे जेट्स के हमले का सामना किया। सेखों ने अपने ग्नाट फाइटर जेट में बहादुरी से दुश्मन का मुकाबला किया और दो दुश्मन विमानों को मार गिराया। हालाँकि, वे इस संघर्ष में वीरगति को प्राप्त हुए.

उनकी इस अदम्य साहस और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. उनके इस सर्वोच्च बलिदान ने उन्हें भारतीय सैन्य इतिहास में एक अमर नायक बना दिया है.

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अभिनेत्री ज़रीना वहाब

ज़रीना वहाब एक फिल्म और टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हिंदी, मलयालम, तेलुगु, और तमिल फिल्मों में काम किया है. अपने सरल और स्वाभाविक अभिनय के लिए प्रसिद्ध हैं ज़रीना.

ज़रीना वहाब का जन्म 17 जुलाई 1959 में विशाखपटनम में हुआ था. जरीना हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, तेलुगु फिल्मों में भी सक्रीय है. जरीना हिंदी के अलावा, तेलुगु, उर्दू और अंग्रेजीं भाषा का पूरा ज्ञान रखतीं हैं साथ ही जरीना ने एफटी आई आई पुणे से अभिनय का भी प्रशिक्षण लिया है.

ज़रीना ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1974 में की. उनका अभिनय कैरियर मुख्य रूप से 1970 – 80 के दशक में प्रमुखता पर था. उन्होंने अपनी सहज और सजीव अभिनय शैली से दर्शकों का दिल जीता.

फ़िल्में: – चित्रलेखा (1974), घरौंदा (1977), चिटचोर (1976), सावन को आने दो (1979), गहरी चाल (1977).

ज़रीना ने टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया है और विभिन्न धारावाहिकों में विविधतापूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं. ज़रीना वहाब की शादी अभिनेता आदित्य पंचोली से हुई है. उनके दो बच्चे हैं, जिसमें उनका बेटा सूरज पंचोली भी एक अभिनेता है.

ज़रीना वहाब को उनके अद्वितीय अभिनय के लिए विभिन्न पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अपने कैरियर में कई उल्लेखनीय फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.

ज़रीना वहाब एक प्रेरणादायक अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के माध्यम से भारतीय सिनेमा में अपनी पहचान बनाई है.

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अभिनेता रवि किशन शुक्ला

रवि किशन शुक्ला, जिन्हें आमतौर पर रवि किशन के नाम से जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्माता और राजनेता हैं. उन्होंने हिंदी, भोजपुरी, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में अभिनय किया है और अपनी विशिष्ट अभिनय शैली और ऊर्जावान व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध हैं.

रवि किशन का जन्म 17 जुलाई 1971 को उत्तर-प्रदेश के जौनपुर में हुआ था. वह एक बेहद ही गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्‍लुक रखते हैं. उनके पिता गांव में पुजारी थे. अभिनेता रवि किशन की शादी प्रीति से हुई है. उनके तीन बेटियां और एक बेटा है.

रवि किशन ने अपने कैरियर की शुरुआत 1992 में हिंदी फिल्म “पीतांबर” से की. उन्हें वास्तविक पहचान 2003 में आई फिल्म “तेरे नाम” से मिली. इसके बाद उन्होंने भोजपुरी सिनेमा में भी कदम रखा और बहुत जल्दी एक प्रमुख अभिनेता बन गए.

भोजपुरी फिल्में: –  सैयां हमार (2003),  पंडित जी बताई ना बियाह कब होई (2005), देवरा बड़ा सतावेला (2010), पटना से पाकिस्तान (2015).

हिंदी फिल्में: –  फिर हेरा फेरी (2006),  लक बाय चांस (2009), वेलकम टू सज्जनपुर (2008), रावण (2010).

रवि किशन ने टेलीविजन रियलिटी शो “बिग बॉस” (2006) में भी भाग लिया और वे तीसरे स्थान पर रहे. उन्होंने विभिन्न टेलीविजन शो होस्ट भी किए हैं और एक लोकप्रिय टीवी पर्सनालिटी बने हैं.

रवि किशन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हुए हैं. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वे संसद सदस्य के रूप में सक्रिय हैं और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर काम कर रहे हैं.

रवि किशन को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं. उन्हें भोजपुरी सिनेमा में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सराहा गया है. रवि किशन एक बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं जिन्होंने अभिनय, निर्माण और राजनीति में अपनी जगह बनाई है. उनके समर्पण और मेहनत ने उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सफल बनाया है.

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राजनीतिज्ञ इंदुलाल याज्ञिक

इंदुलाल याज्ञिक (इंदुलाल कनैयालाल याज्ञिक) एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, और सामाजिक कार्यकर्ता थे. वे विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं.

इंदुलाल याज्ञिक  का जन्म 22 फ़रवरी, सन 1892 को गुजरात के खेड़ा ज़िले में हुआ था  और इनकी मृत्यु 17 जुलाई, 1972 को हुआ. इंदुलाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में प्राप्त की और बाद में इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने लंदन में अपने प्रवास के दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेना शुरू किया.

इंदुलाल याज्ञिक ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों से प्रभावित थे और उन्होंने गुजरात में कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन बाद में उन्होंने “महागुजरात आंदोलन” का नेतृत्व किया, जो गुजरात राज्य की स्थापना की मांग के लिए एक आंदोलन था.

इंदुलाल याज्ञिक ने 1956 में महागुजरात जन परिषद की स्थापना की, जिसने गुजरात के लिए एक अलग राज्य की मांग की. इस आंदोलन के कारण 1 मई 1960 को गुजरात को महाराष्ट्र से अलग एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया.

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, इंदुलाल याज्ञिक ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने लोकसभा के सदस्य के रूप में भी सेवा की. उनकी राजनीतिक सक्रियता और समाज सेवा के लिए उन्हें बहुत सम्मानित किया गया.

इंदुलाल याज्ञिक ने अपने जीवन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया. वे एक प्रेरणादायक नेता और समाज सुधारक थे. उनके योगदान को आज भी गुजरात और भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.

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अभिनेत्री, गायिका और फ़िल्म निर्माता कानन देवी

कानन देवी भारतीय सिनेमा की एक अभिनेत्री, गायिका और फिल्म निर्माता थीं. वे भारतीय सिनेमा की पहली सुपरस्टार और बंगाली फिल्मों की सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक थीं. उनका योगदान हिंदी और बंगाली सिनेमा दोनों में महत्वपूर्ण रहा है.

कानन देवी का जन्म  पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 22 अप्रैल, 1916 को एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था और इनका निधन 17 जुलाई 1992 को कोलकाता में हुई थी. कानन देवी ने अपने कैरियर की शुरुआत 1926 में मूक फिल्मों से की. उनकी पहली फिल्म थी “जयदेव” (1926). उन्होंने जल्द ही अपनी अदाकारी और गायन से दर्शकों का दिल जीत लिया.

फिल्में: –  विधिलिपि (1937),  साथी (1938),  विधि डांडी (1939), विमला (1939), नर्तकी (1940).

उनकी अभिनय क्षमता के साथ-साथ उनकी गायकी भी बेहद लोकप्रिय हुई. उनकी आवाज़ और संगीत में उत्कृष्टता के कारण वे जल्दी ही एक प्रमुख गायिका बन गईं. कानन देवी एक सफल अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक प्रतिभाशाली गायिका भी थीं. उन्होंने कई फिल्मों में गीत गाए और उनकी आवाज़ ने उन्हें और भी प्रसिद्ध बना दिया. उनकी आवाज़ में सजीवता और मिठास थी, जिसने उन्हें संगीत प्रेमियों के दिलों में खास जगह दिलाई. कानन देवी ने फिल्म निर्माण में भी हाथ आजमाया और कुछ फिल्में प्रोड्यूस कीं. उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी, श्रीमती पिक्चर्स, की स्थापना की और कई उल्लेखनीय फिल्मों का निर्माण किया.

कानन देवी को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. वर्ष 1968 में, उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा, उन्हें विभिन्न संगीत और फिल्म संस्थानों द्वारा भी सम्मानित किया गया.

कानन देवी का निजी जीवन काफी संघर्षमय रहा. उन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और अपनी मेहनत और समर्पण से सफलता प्राप्त की. उनका जीवन सिनेमा प्रेमियों और आगामी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है.

कानन देवी भारतीय सिनेमा की एक ऐसी हस्ती थीं, जिन्होंने अपने अद्वितीय योगदान से सिनेमा को समृद्ध किया। उनके अभिनय, गायन और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में किए गए कार्यों ने उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है.

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