क्रान्तिकारी शिवप्रसाद गुप्त
शिवप्रसाद गुप्त (1883-1944) एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजसेवी थे. उन्होंने अपने जीवन को देश की सेवा और स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित किया. उनका जन्म 28 जून, 1883 को बनारस, उत्तर प्रदेश के एक समृद्ध वैश्य परिवार में हुआ था. उन्होंने संस्कृत, फ़ारसी और हिन्दी का अध्ययन घर पर ही किया था. शिवप्रसाद गुप्त ने इलाहाबाद से स्नात्तक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी
शिवप्रसाद गुप्त ने ‘आज’ नाम से एक राष्ट्रवादी दैनिक पत्र निकाला था. आगे चलकर उन्होंने ‘अमर भारती’ और ‘सन्मार्ग’ जैसी पत्रिकाओं की स्थापना की, जिनका उद्देश्य राष्ट्रीयता को प्रोत्साहित करना और स्वतंत्रता संग्राम के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना था. उन्होंने वाराणसी में भारत माता मंदिर की स्थापना की, जो भारत के भूगोल को प्रदर्शित करने वाला एक अनूठा मंदिर है. यह मंदिर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके गहरे समर्पण का प्रतीक है.
शिवप्रसाद गुप्त ने समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और शिक्षा के माध्यम से समाज सुधार का कार्य किया. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के कई नेताओं और आंदोलनों को वित्तीय सहायता प्रदान की. उनका घर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल था.
शिवप्रसाद गुप्त का जीवन सादगी और सेवा का उदाहरण था. वे महात्मा गांधी और अन्य प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के निकट सहयोगी थे. उनका निधन 24 अप्रैल, 1944 को हुआ, लेकिन उनका योगदान और समर्पण आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है.
शिवप्रसाद गुप्त का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने सामर्थ्य और संसाधनों का उपयोग समाज और देश की सेवा के लिए कर सकता है. उनकी देशभक्ति और समाजसेवा की भावना आज भी प्रेरणादायक है.
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पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव
पी. वी. नरसिम्हा राव (पामुलपर्ती वेंकट नरसिम्हा राव) (1921-2004) भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने 1991 – 96 तक भारत के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और सुधारों के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है. उनके नेतृत्व में देश में कई महत्वपूर्ण आर्थिक और नीतिगत बदलाव आए.
पी. वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले के एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया.
राव का राजनीतिक जीवन काफी विस्तृत और प्रभावशाली रहा. वे कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख नेता थे और विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे. उन्होंने 1971-73 के दौरान वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अपने कार्यकाल में कई समाज सुधार और विकास योजनाओं को लागू किया.
नरसिम्हा राव ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में विभिन्न मंत्रालयों, जैसे गृह, विदेश, रक्षा और मानव संसाधन विकास, में मंत्री के रूप में कार्य किया. वर्ष 1991 में भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था उस दौर में प्रधानमंत्री बने. उनके नेतृत्व में, भारत ने आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया.
राव ने वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए. इन सुधारों में लाइसेंस राज का अंत, विदेशी निवेश को प्रोत्साहन, और कर सुधार शामिल थे. राव ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार के लिए खोलने के प्रयास किए, जिससे भारतीय उद्योग और व्यापार में नए अवसर पैदा हुए. राव ने शिक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके कार्यकाल में उच्च शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहन मिला.
पी. वी. नरसिम्हा राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को हुआ. उन्हें भारतीय राजनीति के एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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निशानेबाज जसपाल राणा
जसपाल राणा एक भारतीय निशानेबाज हैं, जिन्होंने अपने कैरियर में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है. वे विशेष रूप से पिस्टल शूटिंग में माहिर हैं और उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय निशानेबाजी के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान दिलाया है.
जसपाल राणा का जन्म 28 जून 1976 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुआ था. उनके पिता नारायण सिंह राणा भी एक निशानेबाज थे और उन्होंने ही जसपाल को इस खेल के प्रति प्रेरित किया. जसपाल ने बहुत कम उम्र में ही निशानेबाजी में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी और उनके पिता ने उन्हें इस खेल में प्रशिक्षित किया.
राणा ने 1994, 1998, और 2006 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते. उनके एशियाई खेलों में प्रदर्शन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई. उन्होंने 1998 और 2002 के कॉमनवेल्थ खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते. जसपाल राणा ने विश्व चैंपियनशिप में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और कई पदक जीते. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और कई पदक जीते.
जसपाल राणा को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और खेल में योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं. वर्ष 1994 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वर्ष 1997 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
निशानेबाजी से सक्रिय प्रतिस्पर्धा से संन्यास लेने के बाद, जसपाल राणा ने युवा निशानेबाजों को प्रशिक्षित करने का कार्य शुरू किया। वे वर्तमान में अपने स्वयं के शूटिंग अकादमी के माध्यम से नए निशानेबाजों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और भारतीय निशानेबाजी को नए ऊँचाइयों तक पहुँचाने में योगदान दे रहे हैं.
जसपाल राणा का जीवन और कैरियर भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियाँ हासिल कीं, बल्कि देश का नाम भी रोशन किया.
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निर्देशक राज कँवर
राज कँवर (1961-2012) एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक, निर्माता और लेखक थे, जिन्होंने मुख्यतः हिंदी सिनेमा में काम किया. उनका फिल्मी कैरियर 1990 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने कई हिट फिल्मों का निर्देशन किया, जिससे वे बॉलीवुड के प्रमुख निर्देशकों में से एक बन गए.
राज कँवर का जन्म और पालन-पोषण भारत में हुआ था. उन्होंने फिल्म निर्माण और निर्देशन में अपना कैरियर बनाने का सपना देखा और इसे साकार करने के लिए उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा.
राज कँवर ने कई हिट फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से कई आज भी भारतीय सिनेमा में याद की जाती हैं.
प्रमुख फिल्मों: –
दीवाना (1992): – यह राज कँवर की पहली निर्देशित फिल्म थी और यह बहुत बड़ी हिट साबित हुई. इस फिल्म में शाहरुख खान, ऋषि कपूर और दिव्या भारती मुख्य भूमिकाओं में थे. इस फिल्म ने शाहरुख खान को एक प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित किया.
अंदाज़ (1994): – इस फिल्म में अक्षय कुमार और करिश्मा कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता प्राप्त की.
जीत (1996): – सनी देओल, सलमान खान और करिश्मा कपूर अभिनीत इस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया और इसे दर्शकों ने खूब सराहा.
बादल (2000): – इस फिल्म में बॉबी देओल और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म एक एक्शन-थ्रिलर थी और इसे भी दर्शकों ने पसंद किया.
बाबुल (2006): – अमिताभ बच्चन, सलमान खान, रानी मुखर्जी और जॉन अब्राहम अभिनीत इस फिल्म ने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया.
राज कँवर का निजी जीवन सादगीपूर्ण था. वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते थे. दुर्भाग्यवश, 3 फरवरी 2012 को राज कँवर का कनाडा में निधन हो गया. वे एक किडनी बीमारी से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उनका देहांत हो गया.
राज कँवर ने अपने निर्देशन कैरियर में कई यादगार फिल्में बनाई और बॉलीवुड को कई प्रतिभाशाली कलाकार दिए. उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं और वे अपने काम के माध्यम से हमेशा याद किए जाएंगे. उनका योगदान भारतीय सिनेमा में अमूल्य है और उनकी फिल्मों की गूंज आने वाली पीढ़ियों तक बनी रहेगी.
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अभिनेत्री जैस्मीन भसीन
जैस्मीन भसीन एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्यतः हिंदी टेलीविजन और फिल्म उद्योग में काम करती हैं. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और बाद में टेलीविजन और फिल्मों में अपनी पहचान बनाई.
जैस्मीन भसीन का जन्म 28 जून 1990 को कोटा, राजस्थान में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोटा से प्राप्त की और बाद में मुंबई में स्थानांतरित हो गईं, जहां उन्होंने अपने मॉडलिंग और अभिनय कैरियर की शुरुआत की. जैस्मीन भसीन ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और विभिन्न विज्ञापनों में काम किया. बाद में उन्होंने टेलीविजन और फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया.
टेलीविजन कैरियर: –
टशन-ए-इश्क (2015-2016): – जैस्मीन ने इस शो में ट्विंकल तनेजा का किरदार निभाया, जिससे उन्हें काफी लोकप्रियता मिली.
दिल से दिल तक (2017-2018): – इस शो में उन्होंने तनुश्री भानुशाली का किरदार निभाया और दर्शकों के बीच और भी प्रसिद्ध हो गईं.
नागिन 4 (2019-2020): – उन्होंने इस शो में नैवेदिता लुचानी का किरदार निभाया, जिससे उन्हें और भी पहचान मिली.
खतरों के खिलाड़ी 9 (2019): – जैस्मीन ने इस रियलिटी शो में हिस्सा लिया और अपनी बहादुरी से दर्शकों को प्रभावित किया.
बिग बॉस 14 (2020-2021): – जैस्मीन ने इस रियलिटी शो में भी हिस्सा लिया और अपने चुलबुले और सच्चे स्वभाव से दर्शकों का दिल जीता.
जैस्मीन ने कुछ पंजाबी और तमिल फिल्मों में भी काम किया है…
वणम (2011): – यह उनकी पहली तमिल फिल्म थी.
बिल्ला 2 (2012): – इस तमिल फिल्म में उन्होंने एक सहायक भूमिका निभाई.
पंजाबी फिल्में: – उन्होंने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है, जो पंजाबी सिनेमा में उनकी पहचान को मजबूत करती हैं.
जैस्मीन भसीन का व्यक्तिगत जीवन उनके प्रशंसकों के बीच चर्चा का विषय रहा है. वे अपने सह-कलाकार अली गोनी के साथ अपने संबंधों को लेकर भी सुर्खियों में रही हैं. दोनों ने बिग बॉस 14 में हिस्सा लिया था और वहीं से उनके रिश्ते की खबरें बाहर आईं.
जैस्मीन भसीन ने अपने अभिनय कैरियर में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं. उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और मेहनत ने उन्हें टेलीविजन उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है. भसीन सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और उनके इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक पर लाखों फॉलोअर्स हैं. वे अपने फैंस के साथ अपनी जिंदगी के खास पलों को साझा करती रहती हैं.
जैस्मीन भसीन का कैरियर और उनकी मेहनत उन्हें भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग में एक प्रमुख स्थान दिलाते हैं. उनकी ऊर्जा, प्रतिभा और सच्चाई उन्हें उनके प्रशंसकों के बीच बहुत पसंदीदा बनाती है.
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वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद पी. सी. महालनोबिस
प्रशांत चंद्र महालनोबिस (पी. सी. महालनोबिस) (1893-1972) एक प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद थे, जिनका योगदान भारतीय सांख्यिकी में अतुलनीय है. उन्हें भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना का श्रेय दिया जाता है और वे महालनोबिस दूरी (Mahalnobis Distance) के लिए भी प्रसिद्ध हैं, जो एक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय उपाय है.
प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था. उनके पिता, प्रबोध चंद्र महालनोबिस, एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद थे. पी. सी. महालनोबिस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बंगाल में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड गए, जहां उन्होंने भौतिकी में डिग्री प्राप्त की.
महालनोबिस ने 1931 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की. यह संस्थान भारत में सांख्यिकी के अध्ययन और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बन गया है. उनके नेतृत्व में, ISI ने सांख्यिकी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए और उच्च शिक्षा में नए मानक स्थापित किए.
महालनोबिस दूरी एक सांख्यिकीय उपाय है जिसका उपयोग विभिन्न आंकड़ों के बीच समानताओं और असमानताओं को मापने के लिए किया जाता है. यह विशेष रूप से बहुविकल्पीय सांख्यिकी और क्लस्टर विश्लेषण में महत्वपूर्ण है.
महालनोबिस ने भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी आर्थिक योजना ने भारत के औद्योगिक विकास पर विशेष जोर दिया और आर्थिक विकास के लिए सांख्यिकीय तरीकों का उपयोग किया.
पी. सी. महालनोबिस को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया जिनमें प्रमुख हैं … पद्म विभूषण (1968) और कई अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और सांख्यिकी संगठनों के फेलो थे।
पी. सी. महालनोबिस का विवाह निर्मल कुमारी महालनोबिस से हुआ था, जो खुद भी एक विद्वान थीं. महालनोबिस का जीवन सादगी और विद्वता का प्रतीक था.28 जून 1972 को पी. सी. महालनोबिस का निधन हो गया. उनका योगदान और विचारधारा आज भी सांख्यिकी और योजना के क्षेत्र में अनुसंधानकर्ताओं और शिक्षाविदों को प्रेरित करती है.
पी. सी. महालनोबिस का जीवन और कार्य भारतीय विज्ञान और सांख्यिकी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है. उनके योगदान ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सांख्यिकी को एक नई दिशा दी.
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साहित्यकार अमर गोस्वामी
अमर गोस्वामी (1945-2012) एक भारतीय साहित्यकार और पत्रकार थे. हिंदी साहित्य में उनके योगदान को व्यापक रूप से सराहा गया है. उनकी कहानियाँ, उपन्यास और पत्रकारिता कार्य भारतीय समाज और संस्कृति के विविध पहलुओं को उजागर करते हैं.
अमर गोस्वामी का जन्म 26 नवंबर 1945 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मेरठ में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चले गए. उनके परिवार का साहित्यिक वातावरण और उनकी व्यक्तिगत रुचि ने उन्हें साहित्य और लेखन की ओर प्रेरित किया.
अमर गोस्वामी का साहित्यिक कैरियर कई दशकों तक फैला रहा. उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और अन्य साहित्यिक रचनाएँ लिखीं, जो सामाजिक मुद्दों और मानव जीवन के गहरे पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं.
प्रमुख रचनाएँ: –
सुबह के इंतज़ार तक: – इस उपन्यास में सामाजिक और व्यक्तिगत मुद्दों को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया है.
अकेला मकान: – इस उपन्यास में शहरी जीवन के तनाव और चुनौतियों का सजीव चित्रण किया गया है.
कहानी संग्रह: –
काला सूरज: – इस संग्रह में विभिन्न कहानियों के माध्यम से समाज की कुरीतियों और विषमताओं को उजागर किया गया है.
दूसरा आदमी: – इस संग्रह की कहानियाँ मानव मनोविज्ञान और सामाजिक संरचना की जटिलताओं को बारीकी से पकड़ती हैं.
अमर गोस्वामी ने अपने पत्रकारिता कैरियर में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख और रिपोर्ट्स लिखे, जो समाज के विभिन्न मुद्दों पर आधारित थे. गोस्वामी को उनके साहित्यिक और पत्रकारिता कार्य के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. उनमें से कुछ प्रमुख हैं: – साहित्य अकादमी पुरस्कार व गुरुशरण सिंह पुरस्कार.
अमर गोस्वामी का व्यक्तिगत जीवन सादगीपूर्ण और साहित्य के प्रति समर्पित था. वे अपने परिवार के साथ एक सरल और संवेदनशील जीवन जीते थे. उनके जीवनसाथी और बच्चे भी साहित्य के प्रति रुचि रखते हैं. अमर गोस्वामी का निधन 17 जून 2012 को हुआ. उनकी मृत्यु से हिंदी साहित्य जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है.
अमर गोस्वामी का जीवन और कार्य आज भी साहित्य प्रेमियों और समाज सुधारकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उनकी रचनाएँ भारतीय समाज के यथार्थ को दर्शाती हैं और पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं. उनकी साहित्यिक धरोहर हमेशा जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन प्रदान करती रहेगी.