अन्तिम वाइसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन
लॉर्ड माउंटबेटन का पूरा नाम लुइस फ्रांसिस अल्बर्ट विक्टर निकोलस माउंटबेटन था. उनका जन्म 25 जून 1900 को हुआ था और वे ब्रिटिश नौ-सेना के एक उच्च अधिकारी थे. माउंटबेटन ब्रिटिश भारत के अंतिम वाइसरॉय और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर-जनरल थे. उन्होंने 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के दौरान ब्रिटिश शासन को समाप्त करने और भारत तथा पाकिस्तान के विभाजन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
लॉर्ड माउंटबेटन का जीवनकाल 1900 -79 तक रहा और उन्हें ब्रिटेन में भी एक महत्वपूर्ण सैन्य और राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है. उनके कार्यकाल के दौरान भारत के विभाजन और स्वतंत्रता की प्रक्रिया में उनके द्वारा लिए गए निर्णयों का आज भी गहन अध्ययन और चर्चा होती है.
वर्ष 1979 में, आयरलैंड गणराज्य में एक बम विस्फोट के कारण माउंटबेटन की हत्या कर दी गई थी. यह बम विस्फोट आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (IRA) द्वारा किया गया था.
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स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी
सुचेता कृपलानी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थीं. उनका जन्म 25 जून 1908 को हुआ था. वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की प्रमुख आवाज़ों में से एक थीं और महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए कई आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया.
सुचेता कृपलानी का राजनीतिक जीवन भी बहुत महत्वपूर्ण था. स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया और बाद में 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. वह भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं.
उनका योगदान सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने स्वतंत्रता के बाद के भारत के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सुचेता कृपलानी का निधन 1 दिसंबर 1974 को हुआ. उनकी विरासत आज भी भारतीय राजनीति और समाज में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है.
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संगीत निर्देशक मदन मोहन
मदन मोहन का पूरा नाम मदन मोहन कोहली था. उनका जन्म 25 जून 1924 को बगदाद (इराक़) में हुआ था, जहाँ उनके पिता रईस-उल-हसन कोहली नौकरी करते थे. मदन मोहन भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध संगीत निर्देशक थे और उन्हें हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास में सबसे उत्कृष्ट संगीतकारों में से एक माने जाते है.
मदन मोहन का संगीत विशेष रूप से उनके शास्त्रीय संगीत की मजबूत पकड़ और भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1950 से लेकर 1970 के दशक तक कई प्रसिद्ध फिल्मों के लिए संगीत दिया.
फिल्मों: – अनपढ़ (1962), वो कौन थी? (1964), मेरा साया (1966), हकीकत (1964) और दिल की राहें (1973).
उनके गाने लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी और अन्य प्रमुख गायकों द्वारा गाए गए और आज भी संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं.
मदन मोहन की मृत्यु 14 जुलाई 1975 को हुई. उनकी संगीत की विरासत आज भी जीवित है और उनके गाने संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं.
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आठवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह
विश्वनाथ प्रताप सिंह जिन्हें आमतौर पर वी. पी. सिंह के नाम से जाना जाता है, भारत के आठवें प्रधानमंत्री थे. उनका जन्म 25 जून 1931 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. वी. पी. सिंह भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण नेता थे और उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं.
वी. पी. सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद और फिरोज़ाबाद में प्राप्त की और बाद में पॉलिटिक्स में कदम रखा. उन्होंने विभिन्न राजनीतिक पदों पर कार्य किया, जिनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के रक्षा मंत्री शामिल हैं. वह राजीव गांधी सरकार में वित्त मंत्री भी रहे.
वर्ष 1989 में वी. पी. सिंह ने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर जन मोर्चा का गठन किया, जो बाद में जनता दल में परिवर्तित हुआ. जनता दल ने 1989 के आम चुनावों में जीत हासिल की और वी. पी. सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने. उनके कार्यकाल में उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया, जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई. यह निर्णय भारतीय राजनीति और समाज में बहुत प्रभावशाली और विवादास्पद साबित हुआ.
वी. पी. सिंह का प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल 1989 – 90 तक रहा. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया और बोफोर्स घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वी. पी. सिंह का निधन 27 नवंबर 2008 को हुआ. उनकी राजनीतिक विरासत आज भी भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाती है.
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हास्य अभिनेता सतीश शाह
सतीश शाह एक भारतीय हास्य अभिनेता हैं, जो हिंदी फिल्म और टेलीविजन उद्योग में अपने अद्वितीय हास्य अभिनय के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म 25 जून 1951 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. सतीश शाह ने अपने कैरियर की शुरुआत थिएटर से की और बाद में उन्होंने फिल्मों और टेलीविजन में अपनी पहचान बनाई.
फिल्में: –
जाने भी दो यारों (1983) – इस फिल्म में उनके अभिनय को बहुत सराहा गया और यह एक कल्ट क्लासिक मानी जाती है.
हम साथ साथ हैं (1999) – इस फिल्म में उन्होंने अपने हास्य अभिनय से दर्शकों का दिल जीता.
मैंने प्यार किया (1989) – इसमें उन्होंने एक महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाई.
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995) – इस सुपरहिट फिल्म में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
टेलीविजन: –
ये जो है ज़िंदगी (1984-1985) – इस शो में उनकी भूमिका ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया.
साराभाई वर्सेज साराभाई (2004-2006) – इस लोकप्रिय शो में उन्होंने इंद्रवदन साराभाई की भूमिका निभाई, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है.
सतीश शाह का अभिनय कैरियर चार दशकों से भी अधिक समय तक फैला है और उन्होंने विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में अपनी कला का प्रदर्शन किया है. उनकी कॉमिक टाइमिंग और विशिष्ट अभिनय शैली ने उन्हें भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के सबसे प्रतिष्ठित हास्य कलाकारों में से एक बना दिया है.
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अभिनेत्री करिश्मा कपूर
करिश्मा कपूर एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री हैं, जिन्होंने 1990 – 2000 के दशक में बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई. उनका जन्म 25 जून 1974 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. करिश्मा कपूर कपूर परिवार से हैं, जो भारतीय फिल्म उद्योग का एक प्रतिष्ठित परिवार है. वह राज कपूर की पोती और रणधीर कपूर और बबीता की बेटी हैं. उनकी बहन करीना कपूर भी एक प्रमुख बॉलीवुड अभिनेत्री हैं.
करिश्मा कपूर ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1991 में फिल्म “प्रेम कैदी” से की थी. उनकी प्रारंभिक फिल्मों में उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया और धीरे-धीरे अपनी अभिनय क्षमता से दर्शकों का दिल जीता।
फिल्में: –
राजा हिन्दुस्तानी (1996) – इस फिल्म में आमिर खान के साथ उनकी जोड़ी को बहुत सराहा गया और फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.
दिल तो पागल है (1997) – इस फिल्म में उनकी भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला.
फिजा (2000) – इस फिल्म में उनकी अभिनय क्षमता को बहुत सराहा गया और उन्होंने कई पुरस्कार जीते।
जुबैदा (2001) – इस फिल्म में उन्होंने एक जटिल किरदार निभाया और उनकी भूमिका को आलोचकों ने काफी सराहा. इसके अलावा
बीवी नं. 1 (1999), हम साथ साथ हैं (1999), अंदाज अपना अपना (1994) और हीरो नं. 1 (1997).
करिश्मा कपूर ने 2003 में उद्योगपति संजय कपूर से शादी की, लेकिन 2016 में उनका तलाक हो गया. उनके दो बच्चे हैं.
करिश्मा कपूर ने अपने कैरियर में कई पुरस्कार और सम्मान जीते हैं, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कार और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं. उनके अभिनय और नृत्य कौशल ने उन्हें भारतीय सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक बना दिया है.
करिश्मा कपूर ने अपने कैरियर में विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में अपनी कला का प्रदर्शन किया है और भारतीय फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है.
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स्वतंत्रता सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती
स्वामी सहजानंद सरस्वती एक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और किसान नेता थे. उनका जन्म 22 फरवरी 1889 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में हुआ था. वह स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध हुए और उन्होंने भारतीय किसानों के अधिकारों और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
स्वामी सहजानंद सरस्वती का वास्तविक नाम नवरत्न था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में ही प्राप्त की और बाद में धार्मिक शिक्षा के लिए काशी (वर्तमान वाराणसी) चले गए. वहाँ उन्होंने संस्कृत और वेदों का अध्ययन किया और संन्यास ग्रहण कर लिया. इसके बाद उन्होंने अपना नाम स्वामी सहजानंद सरस्वती रखा.
स्वामी सहजानंद सरस्वती ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया. उन्होंने अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) की स्थापना की, जो किसानों के अधिकारों और समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच था. उन्होंने किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया.
स्वामी सहजानंद सरस्वती ने भारतीय किसानों की समस्याओं को उजागर करने और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए कई किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया. उनके नेतृत्व में किसान आंदोलनों ने जमींदारी प्रथा के खिलाफ और किसानों के हितों के लिए बड़ी सफलता प्राप्त की.
वर्ष 1936 में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की, जिसने किसानों की समस्याओं और उनके अधिकारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई. इस सभा ने किसानों के अधिकारों की रक्षा और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई आंदोलन किए. स्वामी सहजानंद सरस्वती ने कई पुस्तकों और लेखों के माध्यम से किसानों की समस्याओं और उनके समाधान पर प्रकाश डाला. उनकी लेखनी ने किसानों को जागरूक किया और उनके संघर्ष को मजबूती प्रदान की.
स्वामी सहजानंद सरस्वती का निधन 26 जून 1950 को हुआ. उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी विरासत और उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी भारतीय किसान आंदोलनों और समाज सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
स्वामी सहजानंद सरस्वती का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और किसानों के अधिकारों के संघर्ष में अविस्मरणीय है. उनके संघर्ष और प्रयासों ने भारतीय किसानों को एक नई दिशा दी और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रेरित किया.