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व्यक्ति विशेष

भाग – 142.

एस. जगन्नाथन

एस.जगन्नाथन भारतीय रिज़र्व बैंक के दसवें गवर्नर थे. इनका पूरा नाम सरूकाई जगन्नाथन था. एस.जगन्नाथन का जन्म 18 मई  1914 को हुआ और उनका निधन 1996 में हुआ था. एस.जगन्नाथन का कार्यकाल 16 जून 1970 से 19 मई, 1975 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के दसवें गवर्नर के रूप में कार्य किया।

एस.जगन्नाथन भारतीय सिविल सेवा के सदस्य थे और गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल से पहले उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ थीं, जिनमें भारत के कार्यकारी के रूप में कार्य करना भी शामिल था. विश्व बैंक में निदेशक. आरबीआई में अपने शासन के दौरान, जगन्नाथन ने 1973 के तेल झटके के कारण उच्च मुद्रास्फीति की अवधि देखी, जिसके कारण बहुत सक्रिय मौद्रिक नीति उपाय किए गए.

एस.जगन्नाथन के कार्यकाल में उनके हस्ताक्षर के साथ ₹20 और ₹50 के भारतीय रुपये के नोटों की शुरुआत हुई और क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों जैसी संस्थाओं की स्थापना हुई. आरबीआई में अपने कार्यकाल के बाद, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यकारी निदेशक की भूमिका निभाई थी.

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राजनीतिज्ञ  एच डी देवगौड़ा

एच डी देवगौड़ा जिनका पूरा नाम हरदानहल्ली डोड्डेगौड़ा देवगौड़ा है. वो  भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं. उन्होंने 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.

देवगौड़ा का जन्म 18 मई 1933 को कर्नाटक के हरदानहल्ली गाँव में हुआ था. देवगौड़ा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कर्नाटक राज्य विधान सभा से की और बाद में वे जनता दल और जनता दल (सेकुलर) के प्रमुख नेता बने. उन्हें विशेषकर उनके ग्रामीण मूल के कारण और उनकी सरल जीवन शैली के लिए जाना जाता है.

देवगौड़ा का प्रधान मंत्रित्व काल एक गठबंधन सरकार के रूप में था, जिसमें कई राजनीतिक दलों का समर्थन था. उनका कार्यकाल भले ही छोटा था, लेकिन उन्होंने विभिन्न आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर काम किया. वे जनता दल (सेकुलर) पार्टी के प्रमुख सदस्य हैं और राजनीति में उनका व्यापक अनुभव और विचारधारा कई लोगों के लिए प्रेरणादायक है. देवगौड़ा को उनके विनम्र और सरल स्वभाव के लिए भी जाना जाता है.

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अभिनेता आशीष रॉय

आशीष रॉय भारतीय टेलीविजन और फिल्म उद्योग में एक जाने-माने अभिनेता थे. उनका जन्म 18 मई 1965 को हुआ और उनका निधन 23 नवंबर 2020 को हुआ था.

आशीष रॉय ने विभिन्न धारावाहिकों और फिल्मों में काम किया, जहां उन्होंने अपनी विशेषता और विविधता से पहचान बनाई. आशीष रॉय मुख्य रूप से सहायक भूमिकाओं में नजर आए, और उन्होंने अपने चरित्र चित्रणों के माध्यम से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई.

उनके कुछ प्रमुख टीवी शोज में “बनेगी अपनी बात”, “ससुराल सिमर का” और “ब्योमकेश बक्शी” शामिल हैं. इन धारावाहिकों में उनके द्वारा निभाई गई भूमिकाएँ विविध और यादगार थीं. आशीष रॉय ने अपने अभिनय कौशल से न केवल प्रशंसा पाई, बल्कि उन्होंने अपने चरित्रों को जीवंत कर दिखाया. आशीष रॉय का योगदान और उनकी भूमिकाएं आज भी कई लोगों को प्रेरित करती हैं.

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वनस्पति विज्ञानी पंचानन माहेश्वरी

पंचानन माहेश्वरी एक प्रसिद्ध भारतीय वनस्पति विज्ञानी थे, जिन्होंने पौधों के ऊतक संवर्धन और प्रजनन विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 9 नवंबर 1904 को हुआ था और उन्होंने अपने शोध कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त की. माहेश्वरी का प्रमुख कार्य पौधों के अंगों के विकास और अंगी बीजों के गर्भाशय संबंधी अध्ययन पर केंद्रित था.

उन्होंने विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों के लिए अनुकूल पौधों के टिशू कल्चर तकनीकों का विकास किया, जिससे पौधों के विकास और प्रजनन में क्रांति आई. उनके काम ने वनस्पति विज्ञान में नई तकनीकों को प्रोत्साहित किया और पौधों के ऊतक संवर्धन के क्षेत्र में नई दिशाएं प्रदान कीं.

माहेश्वरी को उनके वैज्ञानिक योगदानों के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए, और वे भारतीय वनस्पति समाज के संस्थापक सदस्य भी थे. उनकी मृत्यु 18 जून 1966 को हुई, लेकिन उनकी विरासत वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में आज भी प्रेरणादायक है.

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राजनीतिज्ञ अनिल माधब दवे

अनिल माधव दवे एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ लंबे समय तक काम किया और विशेष रूप से पर्यावरण के क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. उनका जन्म 6 जुलाई 1956 को मध्य प्रदेश में हुआ और उनकी मृत्यु 18 मई 2017 को हुई थी.

अनिल माधव दवे को जुलाई 2016 में भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. उनके कार्यकाल में, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें कीं और वे विशेष रूप से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए भी जाने जाते थे. उन्होंने “नर्मदा समग्र” नामक एक अभियान चलाया जिसका उद्देश्य नर्मदा नदी के किनारे के इलाकों का विकास और संरक्षण करना था.

दवे एक उत्साही पायलट भी थे और उन्होंने अपने जीवन में कई बार छोटे विमानों को उड़ाया. उनकी दृष्टि और प्रयासों ने भारत में पर्यावरण नीति और प्रबंधन में गहरा प्रभाव डाला. उनकी अचानक मृत्यु से राजनीति और पर्यावरण क्षेत्र में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया.

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अभिनेत्री रीमा लागू

रीमा लागू भारतीय सिनेमा और टेलीविजन इंडस्ट्री की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 1980 के दशक से लेकर 2000 के दशक तक अपने अभिनय का लोहा मनवाया. उनका जन्म 21 जून 1958 को हुआ और उनकी मृत्यु 18 मई 2017 को हुई थी. रीमा लागू विशेष रूप से हिंदी और मराठी फिल्मों में सक्रिय थीं और उन्होंने कई हिट फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं थी.

रीमा लागू को मुख्य रूप से ‘माँ’ की भूमिकाओं के लिए जानी जाती है, जिन्होंने फिल्मों में अपने प्यार भरे, समझदार और कभी-कभी सख्त चरित्रों से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई. उनकी कुछ प्रमुख फिल्में में “मैंने प्यार किया”, “हम आपके हैं कौन..!”, और “वास्तव” शामिल हैं. इन फिल्मों में उन्होंने मातृ चरित्रों को जीवंत किया, जिससे उन्हें बहुत प्यार और सम्मान मिला.

रीमा लागू ने टेलीविजन पर भी अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी, जहाँ उन्होंने कई लोकप्रिय धारावाहिकों में काम किया. “तू तू मैं मैं” और “श्रीमान श्रीमती” जैसे शोज में उनके प्रदर्शन ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई. उनके निधन से भारतीय फिल्म और टेलीविजन उद्योग ने एक चमकदार सितारा खो दिया, लेकिन उनकी फिल्में और धारावाहिक उन्हें हमेशा याद रखेंगे.

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धार्मिक गुरु जय गुरुदेव

जय गुरुदेव एक भारतीय धार्मिक गुरु थे जिनका असली नाम तुलसी दास था. उन्होंने मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में अपना धार्मिक प्रचार किया. उनके अनुयायी उन्हें जय गुरुदेव के नाम से पुकारते थे, जो उनके धार्मिक संदेश और शिक्षाओं का एक हिस्सा बन गया.

जय गुरुदेव का जन्म 8 सितंबर 1896 को हुआ था और उनकी मृत्यु 18 मई 2012 को हुई थी. वे एक साधारण परिवार से थे और उन्होंने अपने जीवन को संत मत के प्रचार और अध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित किया. उनकी शिक्षाओं में शाकाहार, अहिंसा और सत्य के महत्व पर बल दिया गया.

जय गुरुदेव का धार्मिक आंदोलन विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रभावशाली था और उनके अनुयायियों ने एक बड़ा सामुदायिक नेटवर्क बनाया. उन्होंने एक बड़ा आश्रम भी स्थापित किया, जो मथुरा के पास स्थित है और आज भी उनके अनुयायी वहां नियमित रूप से इकट्ठा होते हैं और उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं. उनके जीवन और कार्यों ने भारतीय धार्मिक परंपरा में एक विशिष्ट स्थान बनाया है.

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