
पांचवें राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद
फ़ख़रुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवें राष्ट्रपति थे और उन्होंने 24 अगस्त 1974 से अपने निधन तक, 11 फरवरी 1977 तक, इस पद पर कार्य किया. उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद अवधि के दौरान था, जिसमें इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा शामिल है.
उन्होंने आपातकाल की घोषणा के लिए आवश्यक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा प्रहार माना जाता है. उनके निधन के समय वह अभी भी राष्ट्रपति के पद पर थे, जिसके बाद बासप्पा दानप्पा जत्ती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था.
फ़ख़रुद्दीन अली अहमद का जन्म 13 मई, 1905 को पुरानी दिल्ली के हौज़ क़ाज़ी इलाक़े में हुआ और उनका निधन 11 फरवरी, 1977 को हुआ था.
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हास्य अभिनेता असित सेन
असित सेन एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेता थे, जिन्होंने मुख्य रूप से हिन्दी और बंगाली सिनेमा में काम किया. वे अपनी हास्य भूमिकाओं के लिए विशेष रूप से जाने जाते थे.
असित सेन का जन्म 13 मई, 1917 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में हुआ और उनका निधन 18 सितंबर, 1993 को हुआ था. असित सेन ने 200 से अधिक बॉलीवुड फ़िल्मों में हास्य और चरित्र अभिनेता का किरदार निभाकर अपने अभिनय की अलग पहचान बनाई.
असित सेन ने 1950 -70 के दशकों में अनेक फिल्मों में काम किया और उन्होंने अपने किरदारों के माध्यम से दर्शकों को खूब हँसाया. उनकी कुछ प्रमुख फिल्में हैं “आनंद”, “मेरे अपने”, “चुपके चुपके”, और “बावर्ची” जैसी. उनकी कॉमिक टाइमिंग और अभिनय कौशल की कई समीक्षकों ने प्रशंसा की है.
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नृत्यांगना टी. बालासरस्वती
टी. बालासरस्वती, जिन्हें बाला के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय भरतनाट्यम नर्तकी थीं. उनका जन्म 13 मई 1918 को हुआ था, और वे एक संगीतमय परिवार से आती थीं, जहां उन्होंने बचपन से ही नृत्य की शिक्षा प्राप्त की. बालासरस्वती ने भरतनाट्यम को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई और इस पारंपरिक दक्षिण भारतीय नृत्य शैली की एक उत्कृष्ट प्रतिनिधि बनीं.
उनके नृत्य में अभिनय और भावपूर्ण अभिव्यक्ति का गहरा मिश्रण था, जिसे अभिनय कहा जाता है। बाला ने न केवल भारत में, बल्कि अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रस्तुतियाँ दीं, जहाँ उन्होंने भरतनाट्यम के सौंदर्य और तकनीकी पक्ष को उजागर किया. उनकी कला ने कई नए नर्तकियों को प्रेरित किया और उनका योगदान भरतनाट्यम की दुनिया में आज भी सराहा जाता है। उन्होंने कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए, जिसमें पद्म भूषण और पद्म विभूषण भी शामिल हैं. टी. बालासरस्वती का निधन 09 फ़रवरी 1984 को हुआ था.
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राजनीतिज्ञ कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय जनता पार्टी से संबंधित हैं. वह मध्य प्रदेश के इंदौर से आते हैं और वहां की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व माने जाते हैं. विजयवर्गीय ने अपने राजनीतिक कैरियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी शामिल है. कैलाश विजयवर्गीय का जन्म 13 मई, 1956 को इन्दौर में हुआ था.
उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा में कई बार विधायक के रूप में सेवा की है और विभिन्न विभागों में मंत्री पद संभाला है। विजयवर्गीय को उनकी संगठनात्मक क्षमता और चुनावी रणनीतियों के लिए जाना जाता है, और वह भाजपा के राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण रणनीतिकारों में से एक हैं. वह पार्टी में विभिन्न अहम भूमिकाओं में रह चुके हैं, जिसमें राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उनका कार्यकाल भी शामिल है.
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अभिनेत्री मेघा गुप्ता
मेघा गुप्ता एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जिन्होंने कई लोकप्रिय टीवी शोज़ में काम किया है. मेघा का जन्म 13 मई 1985 को लखनऊ में हुआ था.
उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत छोटे पर्दे पर की और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई. मेघा गुप्ता को विशेष रूप से “कुसुम”, “कुमकुम – एक प्यारा सा बंधन”, और “मैं तेरी परछाई हूं” जैसे सीरियल्स में उनके किरदारों के लिए जाना जाता है.
उन्होंने न केवल डेली सोप्स में काम किया है, बल्कि कई रियलिटी शोज़ में भी भाग लिया है. मेघा गुप्ता अपने अभिनय के साथ-साथ अपनी आकर्षक उपस्थिति के लिए भी प्रशंसित हैं और उन्होंने अपनी प्रतिभा के माध्यम से दर्शकों के बीच एक विशेष स्थान बनाया है.
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मलिक अंबर
मलिक अम्बर भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण और रोचक व्यक्तित्व थे, जिनका जीवन अद्भुत परिवर्तनों और उपलब्धियों से भरा हुआ था. उनका जन्म 1548 में हुआ था, और वह मूल रूप से अफ्रीका के हब्शी (एथियोपिया) क्षेत्र से थे. बचपन में वे गुलाम बना लिए गए थे और बाद में उन्हें दक्षिण भारत लाया गया, जहाँ उन्होंने अपने जीवन को एक शक्तिशाली सैन्य और प्रशासनिक नेता के रूप में पुनर्निर्मित किया.
मलिक अम्बर ने अहमदनगर सल्तनत में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और अंततः वह इसके पेशवा (प्रधान मंत्री) बने. उनके काल में अहमदनगर ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ कई युद्धों में मुकाबला किया. मलिक अम्बर ने अपने गुरिल्ला युद्ध तकनीकों और जल युद्ध कौशल के लिए खास पहचान बनाई. उन्होंने औरंगजेब के पिता शाहजहां के खिलाफ युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
मलिक अम्बर ने खदकी (जो बाद में औरंगाबाद के नाम से प्रसिद्ध हुई) को बसाया और विकसित किया, जो उस समय के लिए उनकी प्रशासनिक क्षमता का प्रमाण है।.उनकी मृत्यु 1626 में हुई थी. मलिक अम्बर की विरासत उनके साहसिक और रणनीतिक कौशल के रूप में आज भी याद की जाती है.
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पुरातत्त्वविद रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर
रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर एक प्रमुख भारतीय पुरातत्त्वविद और संस्कृत विद्वान थे। उनका जन्म 19 नवम्बर 1837 को हुआ था और उन्होंने भारतीय पुरातत्त्व, धर्म और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. भांडारकर ने विशेष रूप से वैदिक साहित्य और धर्म, पुराणों, और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अध्ययन में उल्लेखनीय कार्य किया.
भांडारकर को उनके विस्तृत शोध कार्यों और भारतीय पुरातत्त्व के इतिहास को समझने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने न केवल संस्कृत ग्रंथों का गहन अध्ययन किया, बल्कि प्राचीन भारतीय सभ्यताओं की भाषा और सांस्कृतिक परंपराओं को भी समझने में विशेष योगदान दिया. उन्होंने विभिन्न विद्वानों के साथ मिलकर काम किया और अपने शोध प्रबंधों के माध्यम से पुरातत्त्व विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशाओं का संकेत दिया.
उनकी उल्लेखनीय विद्वता और गहरी समझ ने उन्हें उनके समकालीनों के बीच एक सम्मानित स्थान दिलाया और आज भी उन्हें भारतीय पुरातत्त्व विद्या और संस्कृत अध्ययन के एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में याद किया जाता है. रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर का निधन 13 मई 1950 को हुआ था.
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शायर हसरत मुहानी
हसरत मोहानी, जिनका असली नाम सैयद फ़ज़्ल-उल-हसन था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और उर्दू के महान शायर थे. उनका जन्म 1 जनवरी 1875 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था. हसरत मोहानी ने अपनी शायरी में रोमांटिक और देशभक्ति के भावों को समान रूप से अभिव्यक्त किया, जिससे वे उर्दू साहित्य में विशेष स्थान रखते हैं.
हसरत मोहानी ने “इंकलाब ज़िंदाबाद” का नारा दिया था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रेरणादायक नारा बन गया. उनके शायरी का संग्रह ‘कुल्लियात-ए-हसरत मोहानी’ में उनकी रचनाओं को संजोया गया है.
उनकी शायरी में जिस तरह से उन्होंने अपनी गहरी भावनाएं और राजनीतिक चेतना को प्रकट किया, वह उन्हें उनके समकालीन शायरों से अलग करता है. हसरत मोहानी ने न केवल शायरी में बल्कि अपने राजनीतिक जीवन में भी समाज के लिए सक्रिय योगदान दिया, जिससे वे एक प्रेरणात्मक व्यक्तित्व बने. हसरत मोहानी का निधन 13 मई 1951 को हुआ था.
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अभिनेता, नाटककार, निर्देशक बादल सरकार
बादल सरकार, जिनका वास्तविक नाम सुधींद्र सरकार था, भारतीय थिएटर जगत में एक प्रमुख नाटककार, निर्देशक और अभिनेता थे. उनका जन्म 15 जुलाई 1925 में कोलकाता में हुआ था और उन्होंने अपने नाटकीय कृतियों के माध्यम से भारतीय थिएटर को नई दिशाएं प्रदान कीं.
बादल सरकार की सबसे अधिक प्रशंसित नाटकों में “एवम इंद्रजीत”, “बाकी इतिहास”, और “पगला घोड़ा” शामिल हैं. उन्होंने “थर्ड थिएटर” की अवधारणा को प्रोत्साहित किया, जिसमें पारंपरिक थिएटर स्थलों के बाहर, अधिक सहज और जन सामान्य के बीच नाटक प्रदर्शित किए जाते थे. इसने थिएटर को और अधिक सुलभ और सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाया।
बादल सरकार ने अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाया, और उनकी रचनाएं अक्सर विचारोत्तेजक और आलोचनात्मक होती थीं. उन्होंने थिएटर के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने की कोशिश की. उनकी मृत्यु 13 मई 2011 में हुई थी लेकिन उनकी विरासत भारतीय थिएटर में आज भी जीवित है.
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आध्यात्मिक गुरु बाबा हरदेव सिंह
बाबा हरदेव सिंह भारतीय धार्मिक समुदाय संत निरंकारी मिशन के पूर्व आध्यात्मिक नेता और गुरु थे. उनका जन्म 23 फरवरी 1954 को हुआ था, और उन्होंने 1980 से अपने निधन तक 2016 में, संत निरंकारी मिशन का नेतृत्व किया था.
बाबा हरदेव सिंह को उनकी सादगी, उनकी शिक्षाओं की गहराई और धार्मिक समरसता के प्रति उनके समर्पण के लिए जाना जाता है. उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और विश्व शांति की वकालत की, और उनका मानना था कि सच्चा धर्म मानवता की सेवा करने में निहित है. उनके नेतृत्व में, संत निरंकारी मिशन ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहुंच बढ़ाई और विभिन्न सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों को आयोजित किया.
उनकी मृत्यु 13 मई 2016 को कनाडा में एक सड़क दुर्घटना में हो गई, जिसने उनके अनुयायियों और समुदाय के सदस्यों को गहरे दुख में डाल दिया. उनके निधन के बाद, उनके बेटे सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने संत निरंकारी मिशन के आध्यात्मिक नेता के रूप में उनकी जगह ली.