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कोख़ अवतार की शक्ति

कहते हैं कि समाज की रचना करने वाला ईश्वर इसी स्थान से जन्मा है. दुनिया की रचना करने वाला इसी स्थान में नौ महीने पला बढ़ा है. आख़िर कैसी है यह जगह जिसमें से भाव पैदा करने की शक्तियां जन्म लेती हैं, जिसमें से स्पर्श प्रेम स्वाद दृष्टि और सुनने की शक्तियां जन्म लेती हैं. जिसे हम कोख़ कहते हैं. आख़िर, यह दिव्य शक्ति वाली जगह कितनी कष्टकारी होती होगी न ?

क्या यह मायानगरी वाली जगह हमसे कोई हिसाब किताब भी मांगती है? क्या यह जगह हमसे कुछ देने के बदले छीन कर भी ले जाती है? आइए महसूस करते हैं कोख़ के सफ़ऱ को शादी के बाद परिवार की एक चाहत पनप उठती है कि इस घर में अब बच्चों की किलकारियां जल्दी आएं. हर कोई दैनिक काम के साथ साथ बच्चों की उम्मीदों को पालरकर नज़रों में मुस्कान लिए मिलता है. क्योंकि, यह माना जाता है कि जिस घर में छोटे छोटे बच्चे होते हैं उस घर में तनाव और अवसाद नहीं पलते. लेकिन फिर क्या एक स्त्री के जीवन और उसकी सुंदरता का यहीं अंत हो जाता है? मतलब कि किसी स्त्री की सुंदरता को समाज शादी होने तक के लिए ही चाहता है?

देखिए हो सकता है, आपको यह सवाल मेरा अटपटा लगे लेकिन सत्य तो यही है. क्योंकि, वर्तमान में समाज लड़की की शादी के लिए तब ही हां भरने की कोशिश करता है जब वो सन्तुष्ट हो जाए कि उसके घर एक सुंदर बहु आ रही है. क्यों? वो इसलिए ताकि समाज कहे कि भैया अपने लड़के की एक सुंदर कन्या से शादी की. फिर ऐसा क्यों कि शादी होते ही उस स्त्री से एक बच्चे की मांग भी जल्दी रख दी जाती है? बच्चे तो कोई भी स्त्री पैदा करती है सिर्फ़ सुंदर स्त्री ही थोड़ी ही…?

ख़ैर यह असल में कोई सवाल नहीं है लेकिन हक़ीक़त यही है माँ तो माँ ही होती है, जिसके अंदर उसी दिन अपने लिए” वाले भाव समाप्त हो जाते हैं जिस दिन उसकी कोख में अंकुर फूट जाता है. लेकिन क्या इतने से उसका काम चल जाता है?  शायद नहीं, उसे बहुत कुछ त्यागना पड़ता है. और इसलिए ही हमने कहा कि लड़की की सुंदरता सिर्फ लोग शादी होने तक ही देखना चाहते हैं. बाद में उसे माँ का दर्जा देकर सिर्फ जिम्मेदारियों से बांध तारीफ़ें करते हैं और कुछ नहीं. क्योंकि, यदि ऐसा नहीं होता तो कोई भी स्त्री ताने नहीं खाती बच्चे की जिम्मेदारी संभालने के नाम पर.

ख़ैर, एक माँ की कोख़ में जैसे ही अंकुर की आहट होती है, उसका शरीर एक संकेत छोड़ता है. जिसे बनने वाली माँ तो तुरंत महसूस कर लेती है लेकिन परिवार वालों की खुशी के लिए डॉक्टर की भी हां लेना सही समझती है. और जब डॉक्टर उससे बच्चे का ख्याल रखने की बात कहते हैं तब वो उसी दिन से उस अंकुर की सुरक्षा में अपने कदमों तक को छोटा कर लेती है. शाम होते ही वह छत पर प्रकृति का नजारा लेना छोड़ देती है, बार बार कैसे भी कहीं भी उठना बैठना छोड़ देती है. जैसे ही अंकुर थोड़ा बड़ा होता है वो हर तरह का स्वाद लेना छोड़ देती है.

बच्चा उसका अच्छा हो अच्छा ताकतवर हो इसलिए जो लड़की अपनी सेहत के लिए एक अच्छी डायटिंग लेती थी वो बहुत से प्रोटीन और ऊर्जाएं लेना शुरू कर देती है. उसकी कोख़ दिन व दिन और रात रात में भरने लगती है. अंकुरित रूप अब विस्तार करने लगता है. कोख़ का बालक अब अपने तमाम अंगों से हलचलें शुरू करने लगता है. घर में तमाम अपेक्षाएं कि लड़की होगी या लड़का होगा, जन्म लेने लगती हैं लेकिन बनने वाली माँ इन तमाम हिस्सों को दरकिनार कर खुश रहने की एक लड़ाई लड़ने लगती है ताकि उसका बच्चा स्वस्थ हो.

हर दिन उसकी चमड़ी एक अलग तनाव का दर्द देती है. बिस्तर से उठे तो, खाना खाने के लिए हाथ या मुँह चलाए तो और अपनी दैनिक क्रियाओं को करे तो. उसे आख़िर के पांच महीने बढ़ते तनाव और बिना पेन किलर के 24-24 घण्टे सहते हुए ही बच्चे की अच्छी सेहत के लिए सोना भी पड़ता है. दर्द में एक अच्छी नींद लेना भला शायद ही सम्भव हो लेकिन वो लेती है. जो लड़की अपनी सुंदरता के लिए हर दिन ख़ुदको सजाकर रखती थी, वो आज 8वें और नौवें महीनें में न तो खुदके सही से कपड़े बदल पा रही है और न ही पूजा पाठ. घर के कई लोग तो उसके बिस्तर पर बैठना भी पसन्द नहीं करते कि शायद वो गंदे होंगे। पर उस बच्चे को पालने वाली स्त्री के मन में यह सब कभी नहीं आता.

जिस दिन पूर्ण विकसित हो गया बच्चा अपनी माँ को संदेश भेजता है बाहर आने के लिए. उस दिन माँ तो हंसते हुए इजाज़त दे देती है. लेकिन वो बच्चा उस कोख़ को घायल करते हुए शरीर की हड्डी-हड्डी को दर्द देते हुए ऐसे इस दुनिया में जन्म लेता है जैसे उसने एक माँ को नौ महीने कैद रखने की सज़ा दी हो. लेकिन फिर भी वो माँ सजा खाकर भी, दर्द को सहती मुस्कुराती झेलकर भी अपने स्तन से दो-दो साल तक उस बच्चे को सीने से लगाकर पालती भी है. उसे यह भी नहीं मालूम होता कि जब मेरा यह बच्चा बड़ा होगा तो हमारा यह परिवार कहीं हमारे बच्चे के मन में हमारे ही प्रति कुछ गलत या सही तो नहीं भर देगा लेकिन फिर भी सुबह से रात तक वीसीयों बार उसके कपड़े बदल बदल कर खुदके शरीर की बिगड़ी संरचना भूलकर वो बड़ा होने में बच्चे की भरपूर मदद करती है.

लडकी तो ख़ुद को मारकर महिला बन ही जाती है. जिसके शरीर पर बढ़ती फटती त्वचा अब शायद उतनी आकर्षक जैसी नहीं रहती, जैसी उसने बनाकर सजाकर 20-22 की उम्र तक रखी थी. लेकिन, उसके इस त्याग को न पति महसूस करता है, न ससुराल वाले और न उसकी संतान और एक दिन जब वही माँ बुज़ुर्ग होती है, तब अक्सर बच्चे उसे भीड़ के सामने दवाई दिलाने में, उसे साथ ले जाने में अक्सर शर्म महसूस करते हैं कि मम्मी तुम बहुत मोटी हो, तुम्हारी त्वचा सही नहीं तुम्हारे यह कमी वो कमी.

स्त्री की हड्डियों की जड़ें तो उसी दिन हिल गईं थीं जिस दिन उसने अपने भागों की शक्तियों से ख़ुद को तोड़कर तुम्हें जन्म दिया था. फिर कहाँ से अपनी पूर्ण उम्र तक वो वैसी ही स्वस्थ रहेगी जैसा तुम चाहते हो. लेकिन, फिर भी वो हंसती मुस्कुराती तुमसे कुछ नहीं कहती. बस ” बेटे की तो आदत है लेकिन मुझे बहुत प्यार करता है ” ऐसा सोचकर ख़ुद को खुश रखने की पूरी कोशिश करती रहती है. क्योंकि, वो लड़की से महिला बनने वाली माँ है.

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It is said that the God who created the society was born from this place. The creator of the world grew up in this place for nine months. After all, how is this place from which the powers to create feelings are born, from which the powers of touch, love, taste, sight, and hearing are born? Which we call the womb. After all, this place with divine power must be so painful, isn’t it?

Does this Mayanagari place ask us to do any accounting too? Does this place snatch from us instead of giving? Let’s feel the journey of the womb, after marriage, a desire of the family arises that now children’s cries should come soon in this house. Along with the daily work, everyone meets the expectations of the children with a smile in their eyes. Because it is believed that stress and depression do not grow in a house where there are small children. But then does a woman’s life and her beauty end here? Does it mean that society wants the beauty of a woman only till she gets married?

See, you may find this question of mine strange, but this is the truth. Because at present society tries to say yes to the marriage of a girl only when she is satisfied that a beautiful daughter-in-law is coming to her house. Why? That is so that society would say that brother, married a beautiful daughter of his son. Then why is it that as soon as the woman gets married, the demand for a child is also made early? Any woman gives birth to children, only beautiful women are few…?

Well, this is not really a question, but the reality is that a mother is a mother, in whom feelings for herself end on the same day the sprout sprouts in her womb. But would this work for her? Is it? Probably not, she has to sacrifice a lot. And that’s why we said that people want to see the beauty of a girl only till she gets married. Later, by giving her the status of a mother, they only praise her with responsibilities and nothing else. Because, If this was not the case then no woman would have been taunted in the name of taking care of the responsibility of the child.

Well, as soon as there is a sound of sprout in a mother’s womb, her body leaves a signal. The mother-to-be feels it immediately, but for the happiness of the family members, she thinks it right to take the yes of the doctor as well. And when the doctor asks her to take care of the child, then from the same day she even shortens her steps for the protection of that sprout. As soon as the evening comes, she stops taking a look at nature on the terrace and stops getting up and sitting anywhere again and again. As soon as the sprout grows a little, it stops taking all kinds of tastes.

Her child should be good and strong, so the girl who used to take a good diet for her health starts taking a lot of protein and energy. Her womb starts filling day after day and night after night. The sprouted form now begins to expand. The child in the womb now starts making movements with all its organs. All the expectations that it will be a girl or a boy, start taking birth in the house, but the mother-to-be, bypassing all these parts, starts fighting a battle to be happy so that her child is healthy.

Every day his skin hurts from a different tension. When you get up from the bed, use your hands or mouth to eat food and do your daily activities. For the last five months, she has had to bear increasing stress and 24-24 hours without pain killer and also has to sleep for the good health of the child. It is hardly possible to have a good sleep in pain but she does. The girl who used to adorn herself every day for her beauty, today in her 8th and 9th month is neither able to change her clothes properly nor worship Lesson. Many people in the house do not even like to sit on their bed thinking that it would be dirty. But all this never comes to the mind of the woman who brings up that child.

The day the child is fully grown, it sends a message to its mother to come out. On that day mother gives permission laughingly. But that child while injuring that womb and giving pain to every bone of the body, takes birth in this world as if he has punished a mother by keeping her in prison for nine months. But still, that mother keeps that child close to her chest for two or two years with her breast even after being punished, bearing the pain and smiling. He doesn’t even know that when this child of mine grows up, this family of ours will not fill the mind of our child with something wrong or right towards us, but still changing his clothes twenty times from morning to night, changing his body. Forgetting the bad structure of the child helps the child a lot in growing up.

A girl becomes a woman after killing herself. The growing cracked skin on whose body is probably no longer as attractive as it was made and decorated till the age of 20-22. But, neither her husband, her in-laws nor her children feel this sacrifice, and one day when the same mother is old, the children often feel ashamed to take her along, to get her medicines in front of the crowd. That mom you are very fat, your skin is not perfect, you have this shortcoming, that shortcoming.

The roots of the woman’s bones were shaken on the same day when she gave birth to you by breaking herself with the powers of her parts. Then from where till her full age she will be as healthy as you want. But, even then she doesn’t say anything to you while smiling. She tries her best to keep herself happy by thinking that “Son has a habit but loves me a lot”. Because she is a mother to become a woman from a girl.

Prabhakar Kumar.

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