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डॉ० ज़ाकिर हुसैन…

डॉ० ज़ाकिर हुसैन का जन्म 08 फरवरी 1897 ई० में हैदराबाद, आंध्र प्रदेश के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था. 23 वर्ष की अवस्था में वे ‘जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय’ की स्थापना दल के सदस्य बने. अर्थशास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री के लिए जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर जामिया के उप कुलपति के पद पर भी आसीन हुए. वर्ष 1920 में उन्होंने ‘जामिया मिलिया इस्लामिया’ की स्थापना में योगदान दिया तथा इसके उपकुलपति बने. इनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया का राष्ट्रवादी कार्यों तथा स्वाधीनता संग्राम की ओर झुकाव रहा. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति बने तथा उनकी अध्यक्षता में ‘विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ भी गठित किया गया. इसके अलावा वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूनेस्को, अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे.

डॉ० ज़ाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति बनने वाले पहले मुसलमान थे. देश के युवाओं से सरकारी संस्थानों का वहिष्कार की, गाँधी की अपील का हुसैन ने पालन किया. महात्मा गाँधी के निमन्त्रण पर वह प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष भी बने, जिसकी स्थापना वर्ष 1937 में स्कूलों के लिए गाँधीवादी पाठ्यक्रम बनाने के लिए हुई थी. वर्ष 1956-58 में वह संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति संगठन (यूनेस्को) की कार्यकारी समिति में रहे. वर्ष 1957 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वर्ष 1962 में वो भारत के उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए. वर्ष 1967 में कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में वह भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुने गये और मृत्यु तक पदासीन रहे.

डॉ० ज़ाकिर हुसैन बेहद अनुशासनप्रिय व्यक्तित्त्व के धनी थे. वे चाहते थे कि जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र अत्यंत अनुशासित रहें, जिनमें साफ-सुथरे कपड़े और पॉलिश से चमकते जूते होना सर्वोपरि था. इसके लिए डॉ० जाकिर हुसैन ने एक लिखित आदेश भी निकाला, किंतु छात्रों ने उस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया. छात्र अपनी मनमर्जी से ही चलते थे, जिसके कारण जामिया विश्वविद्यालय का अनुशासन बिगड़ने लगा. यह देखकर डॉ० हुसैन ने छात्रों को अलग तरीके से सुधारने पर विचार किया. एक दिन वे विश्वविद्यालय के दरवाज़े पर ब्रश और पॉलिश लेकर बैठ गए और हर आने-जाने वाले छात्र के जूते ब्रश करने लगे. यह देखकर सभी छात्र बहुत लज्जित हुए और अपनी भूल मानते हुए डॉ० हुसैन से क्षमा मांगी और अगले दिन से सभी छात्र साफ-सुथरे कपड़ों में और जूतों पर पॉलिश करके आने लगे.

डॉ० ज़ाकिर हुसैन को वर्ष 1954 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया. उसके बाद उन्हें वर्ष 1963 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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Dr. Zakir Hussain was born on 08 February 1897 in a wealthy Pathan family in Hyderabad, Andhra Pradesh. At the age of 23, he became a member of the founding team of ‘Jamia Millia Islamia University’. He went to Germany’s Berlin University for a Ph.D. degree in Economics and returned to the post of Vice-Chancellor of Jamia. In the year 1920, he contributed to the establishment of ‘Jamia Millia Islamia’ and became its Vice-Chancellor. Under his leadership, Jamia Millia Islamia was inclined towards nationalist works and freedom struggle. After getting independence, he became the Vice-Chancellor of Aligarh Muslim University, and ‘The University Education Commission’ was also formed under his chairmanship. Apart from this, he was also associated with the Indian Press Commission, University Grants Commission, UNESCO, International Education Service, and Central Board of Secondary Education.

Dr. Zakir Hussain was the first Muslim to become the President of India. The country’s youth boycotted government institutions, and Hussain obeyed Gandhi’s appeal. At the invitation of Mahatma Gandhi, he also became the chairman of the National Commission for Elementary Education, which was established in the year 1937 to create a Gandhian curriculum for schools. In the years 1956-58, he was on the Executive Committee of the United Nations Education, Science and Culture Organization (UNESCO). In the year 1957, he was appointed the Governor of Bihar and in the year 1962, he was elected the Vice President of India. He was elected to the post of President of India in the year 1967 as the official candidate of the Congress Party and remained in office till his death.

Dr. Zakir Hussain had a very disciplined personality. He wanted the students of Jamia Millia Islamia to be extremely disciplined, in which clean clothes and shoes shining with polish were paramount. For this, Dr. Zakir Hussain also took out a written order, but the students did not pay any special attention to it. Students used to walk of their own free will, due to which the discipline of Jamia University started deteriorating. Seeing this, Dr. Hussain thought of improving the students in a different way. One day he sat at the university gate with a brush and polish and started brushing the shoes of every passing student. Seeing this, all the students were very ashamed and accepted their mistake, apologized to Dr. Hussain, and from the next day all the students started coming in clean clothes and polished shoes.

Dr. Zakir Hussain was awarded the Padma Vibhushan in the year 1954. After that, he was awarded Bharat Ratna in the year 1963.

Dr. Jai Ram Jha.

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