
व्यक्ति विशेष– 525.
अभिनेत्री नूतन
नूतन भारतीय सिनेमा की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री थीं, जिन्होंने वर्ष 1950- 90 तक के दौरान अपनी अभिनय प्रतिभा से हिंदी फिल्म उद्योग में एक विशेष स्थान बनाया. उनका जन्म 4 जून 1936 को हुआ था, और उनका निधन 21 फरवरी 1991 को हुआ. नूतन को उनके समय की सबसे अभिव्यक्तिपूर्ण और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है. उन्होंने अपनी फिल्मों में विविध भूमिकाओं को निभाकर अपनी अभिनय क्षमता का परिचय दिया.
नूतन की अभिनय शैली अत्यंत प्राकृतिक और सहज थी, और वह अपने पात्रों को गहराई और जीवंतता प्रदान करने में सक्षम थीं. उन्हें उनकी फिल्मों में जटिल भावनाओं और चरित्रों को सटीकता और गहराई के साथ चित्रित करने के लिए सराहा गया.
नूतन ने अपने कैरियर में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते, जिनमें फिल्मफेयर पुरस्कार भी शामिल हैं. उनकी कुछ यादगार फिल्मों में “सीमा” (1955), “सुजाता” (1959), “बंदिनी” (1963), और “मैं तुलसी तेरे आँगन की” (1978) शामिल हैं. इन फिल्मों में उनके अभिनय ने नूतन को हिंदी सिनेमा की सबसे विशिष्ट और सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक के रूप में स्थापित किया.
नूतन की अभिनय विरासत उनके निधन के वर्षों बाद भी बनी हुई है, और वह आज भी अपनी श्रेष्ठता, गरिमा और प्रतिभा के लिए सिनेमा प्रेमियों द्वारा याद की जाती हैं. उनका काम हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक योगदान के रूप में माना जाता है.
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अभिनेता अशोक सर्राफ
अशोक सर्राफ, मराठी और हिंदी फिल्म जगत के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं. उनका जन्म 4 जून 1947 को हुआ था, और उन्होंने अपने लंबे कैरियर में कॉमेडी और गंभीर भूमिकाओं में विशेष छाप छोड़ी है. अशोक सर्राफ को मराठी सिनेमा में उनकी विशिष्ट कॉमेडी भूमिकाओं के लिए खासकर पहचाना जाता है. उन्होंने हिंदी सिनेमा में भी कई यादगार फिल्मों में काम किया है जैसे कि “करण अर्जुन”, “येस बॉस”, और “सिंघम”.
उनकी कॉमेडी टाइमिंग और उनका अनूठा अंदाज दर्शकों को बहुत पसंद आता है. मराठी फिल्मों में उनकी प्रमुख फिल्में में “आशी ही बनवाबनवी”, “धूम धड़ाका”, और “गम्मत जम्मत” शामिल हैं. अशोक सर्राफ ने अपने अभिनय के माध्यम से विभिन्न पीढ़ियों के दर्शकों को प्रभावित किया है और आज भी उनकी फिल्में और भूमिकाएँ लोकप्रिय हैं.
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राजनीतिज्ञ अनिल शास्त्री
अनिल शास्त्री भारतीय राजनीति के एक जाने-माने व्यक्तित्व हैं और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हैं. उनका जन्म 4 जून, 1948, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अपनी सेवाएं दी हैं और विभिन्न प्रमुख पदों पर कार्य किया है. अनिल शास्त्री को उनके शांतिपूर्ण और विचारशील नेतृत्व शैली के लिए पहचाना जाता है.
उन्होंने भारतीय राजनीति में विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर काम किया है, जिसमें आर्थिक सुधार, शिक्षा और सामाजिक न्याय शामिल हैं. अनिल शास्त्री का योगदान खासकर उनके शांतिपूर्ण और संवादात्मक दृष्टिकोण में देखा जा सकता है, जिससे वे अपने पिता के विरासत को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं.
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उद्योगपति अनिल अंबानी
अनिल अंबानी एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति हैं, जो रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) के अध्यक्ष हैं. उनका जन्म 4 जून 1959 को मुंबई में हुआ था. वे धीरूभाई अंबानी के छोटे बेटे हैं और मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं.
अनिल अंबानी का कैरियर विविध व्यवसायिक क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें दूरसंचार, बिजली, प्राकृतिक संसाधन, इंफ्रास्ट्रक्चर, और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं. उनके नेतृत्व में, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस पावर, और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियों ने महत्वपूर्ण विकास किया।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में उनकी कंपनियों को कई आर्थिक चुनौतियाँ और वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है. फिर भी, अनिल अंबानी भारतीय व्यापार जगत के एक जाने-माने चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं.
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अभिनेत्री प्रियामणि
प्रियामणि, भारतीय सिनेमा की एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और मलयालम फिल्मों में काम किया है. उनका जन्म 4 जून 1984 को हुआ था. प्रियामणि ने अपनी फिल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष 2003 में की और उन्हें उनकी प्रारंभिक फिल्मों में से एक, “परुथिवीरन” के लिए विशेष प्रशंसा मिली, जिसके लिए उन्होंने नेशनल फिल्म अवार्ड भी जीता.
प्रियामणि को उनकी गहराई भरी अभिनय क्षमता और बहुमुखी प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है. उन्होंने कई अन्य सफल फिल्मों में भी अभिनय किया है जैसे कि “रावण”, “चारुलता”, और “थिरक्कथा”. हिंदी फिल्मों में भी उनकी उपस्थिति रही है, जहाँ उन्होंने “रावण” में काम किया. प्रियामणि ने वेब सीरीज और टीवी शो में भी काम किया है, जिससे उनकी व्यापक प्रसिद्धि और बढ़ी है.
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पार्श्व गायक एस0 पी0 बालसुब्रमण्यम
एस0 पी0 बालसुब्रमण्यम, जिन्हें एसपीबी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संगीत जगत के एक महान पार्श्व गायक थे. उनका जन्म 4 जून 1946 को हुआ था और उनका निधन 25 सितंबर 2020 को हुआ. एसपीबी ने अपने पाँच दशकों से अधिक लंबे कैरियर में 40,000 से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी, जिससे वे विश्व रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज हुए. उन्होंने मुख्य रूप से तेलुगु, तमिल, कन्नड़, हिंदी और मलयालम भाषाओं में गाया.
उनकी गायकी की विशेषता उनकी विविधता और भावनात्मक गहराई थी, जिसके कारण उन्हें संगीत प्रेमियों का विशेष स्नेह प्राप्त था. उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें छह नेशनल फिल्म अवार्ड्स, पद्म श्री और पद्म भूषण शामिल हैं. उनके कुछ प्रसिद्ध गीतों में “तेरे मेरे बीच में”, “मेरे रंग में रंगने वाली”, और “हम बने तुम बने” जैसे गीत शामिल हैं. उनकी आवाज में एक अनूठा जादू था जो सुनने वालों के दिलों को छू लेता था.
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अभिनेत्री सुलभा देशपांडे
सुलभा देशपांडे भारतीय रंगमंच और फिल्म जगत की एक सम्मानित अभिनेत्री थीं. उनका जन्म 1937 में हुआ था और उनका निधन 4 जून 2016 को हुआ. सुलभा देशपांडे ने मराठी और हिंदी थियेटर में विशेष योगदान दिया और उन्हें उनके शक्तिशाली अभिनय और सूक्ष्म प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है.
उन्होंने रंगकर्मी अरविंद देशपांडे के साथ मिलकर मुंबई में अविष्कार नामक थिएटर समूह की स्थापना की, जो अभिनव और प्रायोगिक नाटकों के लिए प्रसिद्ध है.
सुलभा देशपांडे ने फिल्मों में भी काम किया और उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में “भुवन शोम”, “अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है”, और “विरासत” शामिल हैं.
उन्होंने टेलीविजन पर भी अभिनय किया, जिसमें उनका काम काफी प्रशंसित हुआ. सुलभा देशपांडे की कला और उनकी विरासत भारतीय थिएटर और सिनेमा में गहराई से अंकित हैं.
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फिल्म निर्देशक बासु चटर्जी
बासु चटर्जी भारतीय सिनेमा के फिल्म निर्देशकों में से एक थे, जिन्होंने मुख्यतः वर्ष1970 – 80 के दशक में अपने कार्यों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनका जन्म 10 जनवरी 1930 को हुआ था और उनका निधन 4 जून 2020 को हुआ. बासु चटर्जी ने अपने फिल्मों के जरिए साधारण लोगों की साधारण कहानियों को एक विशेष और यथार्थवादी तरीके से प्रस्तुत किया, जिसे मिडिल सिनेमा कहा जाता है.
उनकी फिल्में, जैसे कि “रजनीगंधा”, “छोटी सी बात”, “बातों बातों में”, और “खट्टा मीठा”, आम आदमी के जीवन की जटिलताओं और सौंदर्य को दर्शाती हैं. इन फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को सहज और हास्यपूर्ण तरीके से उजागर किया गया है. बासु चटर्जी की फिल्मों में पात्र और संवाद हमेशा प्राकृतिक और विश्वसनीय रहे हैं, जो दर्शकों के साथ गहरा संवाद स्थापित करते हैं.
उन्होंने न केवल फिल्मों में बल्कि टेलीविजन पर भी काम किया, जहाँ उन्होंने “रजनी”, “ब्योमकेश बक्शी” और “दर्पण” जैसे लोकप्रिय शोज का निर्देशन किया. बासु चटर्जी का काम उन्हें भारतीय सिनेमा के महान निर्देशकों में से एक के रूप में स्थापित करता है, और उनकी फिल्में आज भी सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक और प्रिय हैं.