
मूर्तिकार रघुनाथ कृष्ण फड़के
रघुनाथ कृष्ण फड़के एक ऐसे भारतीय मूर्तिकार थे जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति और इतिहास को जीवंत किया. उनकी मूर्तियाँ न केवल तकनीकी रूप से उत्कृष्ट थीं बल्कि भावनात्मक गहराई से भी भरपूर थीं.
रघुनाथ कृष्ण फड़के का जन्म 27 जनवरी, 1884 को मुंबई के पास वसई में हुआ था. फड़के को बचपन से ही कला से विशेष लगाव था. उन्होंने किसी औपचारिक कला शिक्षा प्राप्त नहीं की बल्कि अपनी प्रतिभा और लगन के बल पर मूर्तिकला में महारत हासिल की. उनकी पहली मूर्ति ‘प्रवचन’ को बाम्बे आर्ट सोसायटी के प्रदर्शनी में गवर्नर द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था.
फड़के केवल मूर्तियाँ ही नहीं बनाते थे बल्कि उन्होंने मेणा के चित्रों, शिल्प और संगमरमर के कार्यों को भी बनाया. उनकी कला में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक मुद्दों का प्रतिबिंब भी दिखाई देता है. उनकी कला को इंग्लैंड और अमेरिका में भी सराहा गया और उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में आमंत्रित किया गया.
फड़के ने पुणे के शिवाजी मंदिर के लिए शिवराय की एक विशाल और भव्य मूर्ति बनाई जो आज भी एक प्रसिद्ध स्थल है. फड़के को वर्ष 1961 में भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया था. फड़के ने भारतीय मूर्तिकला को एक नई दिशा दी और आधुनिक भारतीय कलाकारों को प्रेरित किया.
मूर्तिकार रघुनाथ कृष्ण फड़के का निधन 17 मई 1972 को हुआ था. वो एक ऐसे प्रतिभाशाली कलाकार थे जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति और इतिहास को समृद्ध किया. उनकी मूर्तियाँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और भारतीय कला का एक अनमोल खजाना हैं.
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अनुसंधान और अनुवादक मुनि जिनविजय
मुनि जिनविजय एक ऐसे विद्वान थे जिन्होंने भारतीय ज्ञान और साहित्य को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई. वे एक अनुसंधानकर्ता, अनुवादक और प्राचीन ग्रंथों के संपादक थे.
मुनि जिनविजय का जन्म 27 जनवरी, 1889 को भीलवाड़ा ज़िले के रूपाहेली गांव में हुआ था. इनका वास्तविक नाम किशन सिंह था. वह आज़ादी के आंदोलन की एक प्रवृत्ति के रूप में भारतीय ज्ञान और साहित्य की पहचान और पुनरुत्थान की महात्मा गाँधी की मुहिम में जुटे प्रकांड विद्वानों में से एक थे. मुनि जिनविजय ने अपने जीवन काल में अनेक अमूल्य ग्रंथों का अध्ययन, संपादन तथा प्रकाशन किया। उन्होंने साहित्य तथा संस्कृति के प्रोत्साहन हेतु कई शोध संस्थानों का संस्थापन तथा संचालन किया.
मुनि जिनविजय ने ज्ञानार्जन के लिए कई रूप और वेश धारण किए. उन्होंने प्राचीन ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और उन्हें संपादित किया. उन्होंने अपनी खोजों को ‘सिंघी जैनग्रंथमाला’, ‘राजस्थान पुरातन ग्रंथमाला’ आदि में प्रकाशित किया. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़े रहे और भारतीय ज्ञान को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा. उन्होंने साहित्य और संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए कई शोध संस्थानों की स्थापना की.
मुनि जिनविजय ने प्राचीन ग्रंथों को नष्ट होने से बचाया और उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया. उनके अन्वेषित साहित्य ने हिंदी भाषा और साहित्य की प्रवृत्तियों की बुनियाद को मजबूत किया. उन्होंने भारतीय ज्ञान को एक सूत्र में पिरोकर राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया. उन्होंने भारत के विभिन्न कोनों में यात्रा की और प्राचीन ग्रंथों की खोज की.
मुनि जिनविजय की मृत्यु 3 जून, 1976 को हुई थी. वो एक ऐसे विद्वान थे जिन्होंने भारतीय ज्ञान को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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साहित्यकार पण्डित सीताराम चतुर्वेदी
पंडित सीताराम चतुर्वेदी भारतीय साहित्य जगत में एक प्रतिष्ठित नाम हैं. वे एक विद्वान, कवि, लेखक और आलोचक थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को अपने विशिष्ट कार्यों के माध्यम से समृद्ध किया. उनका जन्म 27 फ़रवरी, 1907 को ‘छोटी पियरी’, वाराणसी (भूतपूर्व काशी) में हुआ था. इनके पिता पं. भीमसेन ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के प्राच्य विद्या एवं पौरोहित्य विभाग के अध्यक्ष थे. उनके कार्यों ने हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
पंडित सीताराम चतुर्वेदी की रचनाएँ विभिन्न विधाओं में फैली हुई हैं, जिसमें कविता, निबंध, आलोचना, और अनुवाद शामिल हैं. उन्होंने हिंदी साहित्य में भाषा, संस्कृति, और इतिहास पर गहराई से शोध किया और अपने लेखन के माध्यम से इन विषयों को समृद्ध किया. उनके आलोचनात्मक लेख और समीक्षाएँ भी काफी प्रशंसित हैं.
पंडित सीताराम चतुर्वेदी ने हिंदी साहित्य की परंपराओं और आधुनिकता के बीच सेतु का काम किया. उनके कार्य ने हिंदी साहित्य की विविधता और गहराई को उजागर किया है. वे हिंदी साहित्यिक समाज में एक प्रेरणादायक आकृति के रूप में याद किए जाते हैं, और उनका कार्य आज भी पढ़ने वालों को प्रेरित करता है.
सीताराम चतुर्वेदी का निधन 17 फ़रवरी 2005 को बरेली के निकट हुआ था. उनका कार्य और विचार आज भी हिंदी साहित्य के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं.
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अभिनेता अजीत खान
अजीत खान एक फ़िल्म अभिनेता हैं और इनका वास्तविक नाम हामिद अली खान है. भारतीय सिनेमा में खलनायक किरदारों में अपनी विशिष्ट अदाकारी और संवाद अदायगी के लिए प्रख्यात थे अजीत खान.
अजीत खान का जन्म 27 जनवरी 1922 को हैदराबाद रियासत के गोलकुंडा में हुआ था. अजित ने हीरो के रूप में फिल्मी जीवन की शुरुआत वर्ष 1946 में फिल्म ‘शाह-ए- मिस्र’ से की थी. अजीत ने नास्तिक, पतंगा, बारादरी, ढोलक, ज़िद, सरकार, सैया, तरंग, मोती महल, सम्राट, तीरंदाज आदि फिल्मो में बतौर नायक काम किया. अजीत खान ने वर्ष 1966 में टी. प्रकाशराव की फिल्म ‘सूरज’ से खलनायकी के किरदार निभाया जो बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए.
प्रमुख फ़िल्में: –
जंजीर, यादों की बारात, समझौता, कहानी किस्मत की, जुगनू , कालीचरण, यादों की बारात, जुगनू, प्रतिज्ञा, चरस, आजाद, राम बलराम, रजिया सुल्तान, राज तिलक जिगर, शक्तिमान, आदमी, आतिश, आ गले लग जा और बेताज बादशाह.
करीब चार दशक के फिल्मी कैरियर में अजीत ने लगभग 200 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया था. अजीत खान का निधन 22 अक्टूबर 1998 को हुआ था.
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राजनीतिज्ञ अमर सिंह
अमर सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता और राज्यसभा के सदस्य थे. वे भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक थे और उनके संबंध देश के कई प्रमुख राजनीतिक और फिल्मी हस्तियों से थे.
अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में एक राजपूत परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में प्राप्त की और बाद में लॉ की डिग्री हासिल की. अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी में एक प्रमुख भूमिका निभाई. वे मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी रहे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने. उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और चुनावी रणनीतियाँ बनाई. अमर सिंह कई बार राज्यसभा के सदस्य रहे. वे पहली बार 1996 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे.
अमर सिंह के संबंध कई प्रमुख राजनेताओं, उद्योगपतियों और फिल्मी हस्तियों से थे. वे बच्चन परिवार के करीबी माने जाते थे और अमिताभ बच्चन के साथ उनकी दोस्ती ने भी काफी सुर्खियाँ बटोरीं. उन्होंने देश के कई बड़े उद्योगपतियों के साथ भी मजबूत संबंध बनाए, जिससे उनकी राजनीतिक और सामाजिक पहुंच और भी बढ़ गई.
अमर सिंह का राजनीतिक जीवन कई विवादों से भरा रहा. उन पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे और वे कई बार कानूनी पचड़ों में भी फंसे. समाजवादी पार्टी के साथ उनके संबंधों में भी तनाव आया और वे 2010 में पार्टी से निष्कासित कर दिए गए. हालांकि, बाद में उन्होंने पार्टी में वापसी की कोशिश की, लेकिन वे उस स्तर की भूमिका नहीं निभा सके जैसे पहले थे.
अमर सिंह का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में कमजोर हो गया था. वे किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और सिंगापुर में उनका इलाज चल रहा था. उनका निधन 1 अगस्त 2020 को सिंगापुर में हुआ.
अमर सिंह भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और प्रभावशाली व्यक्तित्व थे. उनके राजनीतिक कैरियर, सामाजिक संबंध और विवादों ने उन्हें एक चर्चित हस्ती बना दिया. उनके योगदान और विवादों की कहानियाँ भारतीय राजनीति में लंबे समय तक याद की जाएंगी.
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अभिनेता बॉबी देओल
बॉबी देओल एक अभिनेता हैं. उनका जन्म 27 जनवरी 1967 को मुम्बई में हुआ था. वे बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र और प्रकीति कौर के पुत्र हैं.
बॉबी देओल ने अपने कैरियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी. उनकी पहली फिल्म ‘धर्मवीर’ थी. बॉबी देओल ने अपने सिने कैरियर की शुरुआत 1995 में फिल्म ‘बरसात’ से किया और इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड का पुरस्कार मिला था. उनके कुछ अन्य पॉपुलर फ़िल्में इंक्लूड करती हैं “सोल्डियर” (1998), “आपका सुरूर” (2007), “रेस्टलेस” (2011), और “हाउसफुल 4” (2019).
बॉबी देओल अपने अद्वितीय अभिनय के लिए जाने जाते हैं.
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नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ
नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे. वे बाबर के पुत्र थे, जो मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक भी थे. हुमायूँ का जन्म 6 मार्च 1508 में हुआ था और उनकी मृत्यु 27 जनवरी 1556 में हुई थी.
हुमायूँ का शासनकाल उतार-चढ़ाव भरा रहा. उन्हें शेर शाह सूरी के हाथों अपनी राजधानी दिल्ली खोनी पड़ी थी और वे कई सालों तक निर्वासन में रहे. इस दौरान वे पर्शिया और अफगानिस्तान में रहे. हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी खोई हुई सत्ता को पुनः प्राप्त किया और दोबारा मुग़ल साम्राज्य के सम्राट बने.
हुमायूँ के शासनकाल का महत्वपूर्ण हिस्सा उनकी वापसी और फिर से सत्ता स्थापित करने में गया. उनका निधन एक दुर्घटना में हुआ था जब वे अपनी पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर गए थे. हुमायूँ के बाद उनके पुत्र अकबर मुग़ल साम्राज्य के महान सम्राटों में से एक बने.
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अभिनेता भारत भूषण
भारत भूषण एक चरित्र अभिनेता थे. उन्होंने अपने अभिनय के रंगों से कालिदास, तानसेन, कबीर और मिर्जा गालिब जैसे चरित्रों को नया रूप दिया था. भारत भूषण का जन्म 14 जून 1920 को अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश ) में हुआ था. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत 1941 में की और उन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई फ़िल्मों में काम किया है.
प्रमुख फ़िल्में: –
बैजू बावरा, भक्त कबीर, श्री चैतन्य महाप्रभु , मिर्जा गालिब, रानी रूपमती,सोहनी महीवाल, सम्राट्चंद्रगुप्त, कवि कालिदास, संगीत सम्राट तानसेन, नवाब सिराजुद्दौला, कैदी, मुड़ मुड़ के ना देख, मीरा, प्यार का मौसम, फागुन और बसंत बहार.
भारत भूषण का निधन 27 जनवरी 1992 को हुआ था.
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8वें राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन
आर. वेंकटरमन भारतीय गणराज्य के 8वें राष्ट्रपति थे. उनका जन्म 4 दिसम्बर 1910 को तंजावुर, मद्रास प्रांत (अब तमिलनाडु) में हुआ था और उन्होंने विभिन्न सरकारी पदों पर योगदान किया.
रामस्वामी वेंकटरमन ने अपना कैरियर वर्ष 1935 में चेन्नई म्युनिसिपल काउंसिल के सदस्य के रूप में शुरू हुआ था, और उन्होंने फिर वर्ष 1950 में मद्रास लोक सभा के सदस्य बनने का मौका पाया. उन्होंने केंद्रीय मंत्री मंडल में भी विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री के रूप में काम किया, और इनमें केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में भी रहे.
आर. वेंकटरमन 1984 में उपराष्ट्रपति के रूप में पद संभाला. आर. वेंकटरमन 25 जुलाई, 1987 को भारतीय गणराज्य के 8वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया. रामस्वामी वेंकटरमन का निधन 27 जनवरी 2009 को हुआ था.