खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाना है.लेकिन प्रश्न यह कि क्यों ?
क्यों आए थे और क्यों खाली हाथ जाना है और जब खाली हाथ ही जाना है, तो फिर कमाना किसके लिए है? बीवी बच्चों के लिए? बीवी बच्चे क्या करेंगे उस कमाए हुए पैसों का? क्योंकि वे भी कमाएंगे ही और उनके बच्चे भी कमाएंगे और उनके बच्चे भी…..लेकिन होगा क्या? उन सभी को अपनी कमाई छोडकर ही जाना है. तो फिर सारी कमाई जाएगी कहाँ पर? बैंकों में जाएगी और बैंक किसका है?
रथशील्ड का. क्योंकि बैंकिंग सिस्टम का जनक रथशील्ड है और दुनिया के सभी देशों ने सरकारी बैंकों को नीलाम करके वापस रथशील्ड को सौंप दिया निजीकरण के नाम पर. तो क्या हम इस दुनिया में रथशील्ड के लिए कमाने के लिए आते हैं? सच तो यही है कि हम सभी रथशील्ड के कैदी हैं और उसी के लिए कमाने के लिए आते हैं.रथशील्ड कौन है? रथशील्ड है सर्पलोक/नागलोक का प्राणी। उसे स्वर्ण चाहिए था और स्वर्ण पाने के लिए उसने मानवों का निर्माण किया। मानवों ने स्वर्ण कमाया, उस स्वर्ण को कागज की पर्ची (नोट) के बदले उसने खरीद लिया. अभी तक मानवों के पास कागज के नोट यानि कागज की पर्ची थी, जिसे पाकर मूर्ख मानव स्वयं को धनवान समझ रहा था. अब वह कागज के टुकड़े भी छीन लिए जाएंगे डिजिटल करेंसी के नाम पर. तो मानव ने कमाया क्या?
केवल वहम अमीर होने का, जबकि वह कभी अमीर हो ही नहीं सकता, जब तक उसके पास अपनी भूमि, स्वयं का उगाया अनाज, हरी सब्जियाँ, स्वर्ण और स्वतंत्रता नहीं होगी. मानव तब तक स्वतंत्र नहीं, जब तक वह रथशील्ड का गुलाम है, कैदी है. यही कारण है कि मानव खाली हाथ आता है एक कैदी के रूप में और खाली हाथ जाता है अपने जर्जर शरीर को बदलवाने. और शरीर बदल जाने पर फिर आ जाता है गुलामी करने रथशील्ड की.
लेकिन आजीवन इस भ्रम में जीता है कि वह आजाद है, वह अमीर है. और जब जाता है, तो फिर खाली हाथ जाता है. लोग समझते हैं कि पूजा-पाठ, भजन कीर्तन, व्रत-उपवास करके, ध्यान करके जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाएंगे. लेकिन यह भ्रम भी रथशील्ड का ही फैलाया हुआ है. लोग समझते हैं कि कोई अवतार आएगा, वह सभी दुखों से मुक्ति दिलाएगा, बुरे लोगों का नाश करेगा…….लेकिन यह भ्रम भी रथशील्ड का ही फैलाया हुआ है.
ताकि लोग भ्रम में बैठे रहें और कोल्हू के बैल की तरह भूमि से खनिज, स्वर्ण आदि निकालने में व्यस्त रहें. जो साधु-संत, धार्मिक आध्यात्मिक गुरु, कथा कहानियाँ सुनाकर आपका मनोरंजन कर रहे हैं, वे भी इन्हीं के गुलाम हैं और वही कर रहे हैं, जो वो चाहते हैं. तो हम सभी कैदी हैं और अधिकांश लोगों ने कैद के जीवन को ही वास्तविक जीवन मान लिया है. जबकि कैद के बाहर का जीवन कुछ और है. जो जागृत हो जाते हैं, वे नौकरी छोड़ देते हैं. क्योंकि जागृत लोग कोल्हू का बैल बनकर नहीं जी सकते. और स्वाभाविक है कि जो जान गए कि वो गुलाम नहीं, स्वयं के मालिक हैं, तो फिर वे शैतान की गुलामी कैसे कर सकते हैं?
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Came empty-handed, have to go empty-handed. But the question is why?
Why did you come and why do you have to go empty-handed when you have to go empty-handed, then for whom to earn? Wife for kids? What will the wife and children do with that earned money? Because they will also earn and their children will also earn and their children will also….. but what will happen? All of them have to leave their earnings and leave. Then where will all the income go? Will go to the banks and whose bank is it?
of Rathshield. Because Rathshield is the father of the banking system and all the countries of the world have auctioned government banks and handed them back to Rathshield in the name of privatization. So do we come into this world to earn the Rathshield? The truth is that we are all prisoners of the Rathshield and come to earn for him. Who is the Rathshield? Rathshield is a creature of Sarpalok/Nagalok. He wanted gold and to get gold he created humans. Humans earned gold, he bought that gold instead of paper slip (note). Till now humans had paper notes i.e. slips of paper, after getting which the foolish man was considering himself rich. Now those pieces of paper will also be snatched away in the name of digital currency. So what did Manav earn?
Only an illusion of being rich, when he can never be rich unless he has his own land, his own grown grain, green vegetables, gold, and freedom. Man is not free as long as he is a slave of Rathshield, a prisoner. This is the reason why a man comes empty-handed as a prisoner and goes empty-handed to get his shabby body transformed. And when the body is changed, it comes again to enslave Rathshield.
But he lives in the illusion that he is free, he is rich. And when he leaves, he leaves empty-handed. People think that by worshiping, chanting hymns, fasting, and meditating, they will be free from the cycle of life and death. But this illusion is also spread by Rathshield. People think that some incarnation will come, he will get rid of all the sorrows, and destroy the bad people……. but this illusion is also spread by Rathshield.
So people remain confused and remain busy extracting minerals, gold, etc. from the land like the bulls of a crusher. The sages, saints, and religious spiritual teachers, who are entertaining you by telling stories, are also their slaves and are doing what they want. So we all are prisoners and most people have accepted the life of imprisonment as real life. While life outside the prison is something else. Those who become aware leave the job. Because awakened people cannot live like a bull of a crusher. And it is natural that those who know that they are not slaves, they are masters of themselves, then how can they do slavery to Satan?
Prabhakar Kumar (Jamui).