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शिव के गण…

आज से 15 से 20 हजार वर्ष पूर्व वराह काल की शुरुआत में जब देवी-देवताओं ने धरती पर कदम रखे थे, तब उस काल में धरती हिमयुग की चपेट में थी. भगवान शिव दुनिया के सभी धर्मों का मूल हैं. शिव के दर्शन और जीवन की कहानी दुनिया के हर धर्म और उनके ग्रंथों में अलग-अलग रूपों में विद्यमान है.इस दौरान भगवान शंकर ने धरती के केंद्र कैलाश को अपना निवास स्थान बनाया. विष्णु ने समुद्र को और ब्रह्मा ने नदी के किनारे को अपना स्थान बनाया था. पुराण कहते हैं कि जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है, जो भगवान विष्णु का स्थान है. शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है, जबकि धरती पर कुछ भी नहीं था.

सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें आदि देव भी कहा जाता है. आदि का अर्थ होता है प्रारंभ. इसीलिए शिव को ‘आदिनाथ’ भी कहा जाता है. आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम आदिश भी है. इस ‘आदिश’ शब्द से ही ‘आदेश’ शब्द बना है. शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत ‍की थी जिसके चलते आज भी नाथ, शैव, शाक्त आदि सभी संतों में उसी परंपरा का निर्वाह होता आ रहा है. आदि गुरु शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने इसी परंपरा और आगे बढ़ाया. आइये जानते है शिव के गण, पार्षद और  द्वारपाल के बारे में….

शिव गण :-

भगवान शिव की सुरक्षा और उनके आदेश को मानने के लिए उनके गण सदैव तत्पर रहते हैं. उनके गणों में भैरव को सबसे प्रमुख माना जाता है. उसके बाद नंदी का नंबर आता और फिर वीरभ्रद्र. जहां भी शिव मंदिर स्थापित होता है, वहां रक्षक (कोतवाल) के रूप में भैरवजी की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है. भैरव दो हैं- काल भैरव और बटुक भैरव. दूसरी ओर वीरभद्र शिव का एक बहादुर गण था जिसने शिव के आदेश पर दक्ष प्रजापति का सर धड़ से अलग कर दिया. देव संहिता और स्कंद पुराण के अनुसार शिव ने अपनी जटा से ‘वीरभद्र’ नामक गण उत्पन्न किया था.

शिव के प्रमुख गण थे :-

भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है. ये सभी गण धरती और ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं और प्रत्येक मनुष्य, आत्मा आदि की खैर-खबर रखते हैं.

शिव के द्वारपाल :-

कैलाश पर्वत के क्षेत्र में उस काल में कोई भी देवी या देवता, दैत्य या दानव शिव के द्वारपाल की आज्ञा के बगैर अंदर नहीं जा सकता था. ये द्वारपाल संपूर्ण दिशाओं में तैनात थे.

द्वारपालों के नाम हैं :-

नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल. उल्लेखनीय है कि शिव के गण और द्वारपाल नंदी ने ही कामशास्त्र की रचना की थी. कामशास्त्र के आधार पर ही कामसूत्र लिखा गया था.

शिव पंचायत :-

पंचायत का फैसला अंतिम माना जाता है. देवताओं और दैत्यों के झगड़े आदि के बीच जब कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता था तो शिव की पंचायत का फैसला अंतिम होता था. शिव की पंचायत में 5 देवता शामिल थे.

पांच  देवता थे:- 1. सूर्य, 2. गणपति, 3. देवी, 4. रुद्र और 5. विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं.

शिव पार्षद :- जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं ‍उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि ‍शिव के पार्षद हैं. यहां देखा गया है कि नंदी और भृंगी गण भी है, द्वारपाल भी है और पार्षद भी.

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Shiva’s Gana…

15 to 20 thousand years ago, at the beginning of the Varah period, when the gods and goddesses had set foot on the earth, then the earth was in the grip of the Ice Age. Lord Shiva is the root of all the religions of the world. The story of Shiva’s philosophy and life exists in different forms in every religion of the world and in their scriptures. During this, Lord Shankar made Kailash, the center of the earth, his abode. Vishnu had made the sea and Brahma his place on the banks of the river. Puranas say that just below the mountain where Shiva is seated is Patal Lok, which is the abode of Lord Vishnu. Across the atmosphere above Shiva’s seat, there is heaven and then Brahma’s place respectively, whereas there was nothing on the earth.

First of all, Shiva tried to propagate life on earth, hence he is also called Adi Dev. Adi means beginning. That is why Shiva is also called ‘Adinath’. Being Adinath, he also has the name Adish. The word ‘order’ is derived from this word ‘Adish’. It was Shiva who started the tradition of Guru and Shishya, due to which the same tradition is being followed even today by all the saints like Nath, Shaiv, Shakta, etc. Adi Guru Shankaracharya and Guru Gorakhnath took this tradition further. Let’s know about Shiva’s gan, councilor, and gatekeeper…

Shiv Gana:-

His Ganas are always ready for the protection of Lord Shiva and to obey his orders. Bhairav is considered to be the most prominent among his ganas. After that Nandi’s number would come and then Veerbhadra. Wherever Shiva temple is established, the statue of Bhairavji is also established in the form of a guard (Kotwal). There are two Bhairavs – Kaal Bhairav and Batuk Bhairav. On the other hand, Virbhadra was a brave son of Shiva who beheaded Daksha Prajapati on the orders of Shiva. According to Dev Samhita and Skanda Purana, Shiva had created a Gana named ‘Veerbhadra’ from his hair.

The main ganas of Shiva were:-

Bhairav, Virabhadra, Manibhadra, Chandis, Nandi, Shringi, Bhrigiriti, Shail, Gokarna, Ghantakarna, Jay and Vijay. Apart from this, vampires, demons, and snake-serpents, animals are also considered to be part of Shiva. All these ganas keep roaming in the earth and the universe and keep the good news of every human being, soul, etc.

Gatekeeper of Shiva: –

In that period, no god or goddess, demon or demon could enter the area of Mount Kailash without the permission of Shiva’s gatekeeper. These gatekeepers were stationed in all directions.

The names of these gatekeepers are:-

Nandi, Skanda, Riti, Vrishabha, Bhrungi, Ganesha, Uma-Maheshwar and Mahakal. It is worth mentioning that Shiva’s Gana and gatekeeper Nandi had composed Kamashastra. Kamasutra was written on the basis of Kamashastra.

Shiv Panchayat:-

The decision of the Panchayat is considered final. When any important decision had to be taken between gods and demons etc., the decision of Shiva’s panchayat was final. Shiva’s panchayat consisted of 5 deities.

There were five deities:-

  1. Surya, 2. Ganapati, 3. Devi, 4. Rudra and 5. Vishnu. These are called Shiv Panchayat.

Shiv Parshad:-

Just as Jai and Vijay are Vishnu’s councilors, in the same way, Baan, Ravana, Chand, Nandi, Bhringi, etc. are Shiv’s councilors. Here it is seen that there is Nandi and Bhringi Gana as well, there is a gatekeeper as well as a councilor.

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