नवरात्र के दूसरे दिन होती है…
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नव रात्री के दुसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना होती है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है ब्रह्म और चारिणी या यूँ कहें कि, ब्रह्म का अर्थ है “तपस्या” और चारिणी का अर्थ है “आचरण करने वाली”. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है साथ ही, इन्हें ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी भी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण ही इनको ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. छात्रों के लिए माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा बहुत ही फलदायी होता है, साथ ही जिनका चन्द्रमा कमजोर हो, उन साधकों को मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना उपयुक्त माना जाता है. माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है. इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं, जिससे कि उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें.
कथा:-
माँ पार्वती के जीवन काल का वो समय था जब वे भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी. तपस्या के पहले चरण में उन्होंने केवल फलों का सेवन किया, उसके बाद बेल पत्र और अंत में निराहार रहकर कई वर्षों तक भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया. देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों को अमोघ फल देने वाला है. देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है, साथ ही माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की भी प्राप्ति होती है, तथा जीवन में आने वाली समस्याओं व परेशानियों का नाश होता है. नवरात्र के दूसरी पूजा के दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को दान में चीनी ही देनी चाहिए. कहा जाता है कि, ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है.
पूजा के नियम:-
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनें और माँ को सफेद वस्तुएं ही अर्पित करें जैसे मिश्री, शक्कर या पंचामृत. उसके बाद माँ का ध्यान करते हुए, उनके मन्त्रों का जाप करें. पूजा समाप्ति के बाद क्षमा प्रार्थना पढ़े और आरती करें.
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It is on the second day of Navratri…
Ya Devee Sarvabhooteshu Maan Brahmachaarinee Roopen Sansthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Nam: ।।
On the second day of Navratri, Maa Brahmacharini is worshipped. Brahmacharini means Brahma and Charini or so to speak, Brahma means “penance” and Charini means “practicing”. Thus Brahmacharini means one who practices austerities. Maa Brahmacharini holds a garland of chanting in her right hand and a waterpot in her left hand. She is also considered to be the goddess of knowledge, penance and renunciation. She is called Brahmacharini because of her rigorous practice and absorption in Brahman. For students, the worship of Maa Brahmacharini is very fruitful, and for those seekers whose moon is weak, it is considered suitable to worship Maa Brahmacharini. By the grace of Maa Brahmacharini Devi, he attains perfection and victory everywhere. On this day, seekers also practice sadhana to awaken the Kundalini power, so that their lives can be successful and they can easily face any kind of obstacle that comes before them.
Story:-
There was a time in the life of Maa Parvati when she was performing severe penance to get Lord Shiva as her husband. In the first stage of his penance he ate only fruits, then vine leaves and finally fasted for many years to worship Lord Shiva to please him. This second form of Goddess Durga is the one who gives infallible fruits to the devotees. Worship of Goddess Brahmacharini increases austerity, renunciation, renunciation, virtue, restraint, and by the grace of Mother Brahmacharini, man also attains perfection and victory everywhere, and the problems and troubles in life are destroyed is. On the second day of Navratri, one should offer sugar and give it as charity to the Brahmin. It is said that, by doing so, one gets longevity.
Rules of worship:-
While worshiping Maa Brahmacharini, wear yellow or white clothes and offer only white objects like candy, sugar or panchamrit to Maa. Then chant her mantras, meditating on the mother. After completion of the puja, recite the Kshama Prarthana and perform Aarti.