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व्यक्ति विशेष

भाग - 69.

नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ

नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे. वे बाबर के पुत्र थे, जो मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक भी थे. हुमायूँ का जन्म 6 मार्च 1508 में हुआ था और उनकी मृत्यु 27 जनवरी 1556 में हुई थी.

हुमायूँ का शासनकाल उतार-चढ़ाव भरा रहा. उन्हें शेर शाह सूरी के हाथों अपनी राजधानी दिल्ली खोनी पड़ी थी और वे कई सालों तक निर्वासन में रहे. इस दौरान वे पर्शिया और अफगानिस्तान में रहे. हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी खोई हुई सत्ता को पुनः प्राप्त किया और दोबारा मुग़ल साम्राज्य के सम्राट बने.

हुमायूँ के शासनकाल का महत्वपूर्ण हिस्सा उनकी वापसी और फिर से सत्ता स्थापित करने में गया. उनका निधन एक दुर्घटना में हुआ था जब वे अपनी पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर गए थे. हुमायूँ के बाद उनके पुत्र अकबर मुग़ल साम्राज्य के महान सम्राटों में से एक बने.

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रामशरण जोशी

रामशरण जोशी हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार, संपादक, मीडिया के अध्यापक और समाजविज्ञानी हैं. उनका जन्म 6 मार्च 1944 को हुआ था. उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में ‘आदमी, बैल और सपने’, ‘आदिवासी समाज और विमर्श’, ’21वीं सदी के संकट’, ‘मीडिया विमर्श’, ‘यादों का लाल गलियारा : दंतेवाड़ा’, और ‘मैं बोनसाई अपने समय का’ शामिल हैं.

उन्होंने कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं जिनमें बिहार सरकार द्वारा ‘राजेन्द्र माथुर राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार’, मध्य प्रदेश सरकार का ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’, और ‘हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा ‘पत्रकारिता सम्मान’ शामिल हैं​.

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शास्त्रीय गायिका देवकी पंडित

देवकी पंडित एक भारतीय शास्त्रीय गायिका हैं, जिन्होंने अपनी आवाज़ और विशिष्ट गायन शैली के माध्यम से कई लोगों के दिल जीते हैं. वे महाराष्ट्र में एक संगीतमय परिवार में जन्मी थीं और उन्होंने बहुत कम उम्र से ही संगीत की शिक्षा शुरू कर दी थी. उनके प्रमुख गुरुओं में पद्म विभूषण गणसरस्वती किशोरी अमोनकर और पद्मश्री पंडित जितेंद्र अभिषेकी शामिल हैं. देवकी पंडित को संगीत में उनकी माँ उषा पंडित ने प्रशिक्षित किया था. उन्होंने अपना पहला स्टेज प्रदर्शन 9 साल की उम्र में किया था और 12 साल की उम्र में पहली बार रिकॉर्डिंग की थी.

उन्होंने आगरा घराने के पंडित बबनराव हल्दनकर और डॉ. अरुण द्रविड़ से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया, जो खुद किशोरी अमोनकर के शिष्य थे. देवकी पंडित ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ भजन, गजल, अभंग और फिल्मों के लिए गाने जैसे विभिन्न शैलियों में अपनी आवाज़ दी है. उन्होंने पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, उस्ताद रईस खान, गुलज़ार, विशाल भारद्वाज, नौशाद, जयदेव, जतिन-ललित, और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के साथ काम किया है.

उनकी उपलब्धियों में कई पुरस्कार शामिल हैं जैसे कि अल्फा गौरव गौरव पुरस्कार, मेवाती घराना पुरस्कार, और आदित्य बिड़ला कला किरण पुरस्कार. उन्होंने ‘इंडियन आयडल मराठी’ जैसे रियलिटी शो में भी मार्गदर्शन प्रदान किया है, जिससे उनकी व्यापक पहुंच और प्रभाव स्पष्ट होता है.

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अभिनेता मकरंड देशपांडे

मकरंद देशपांडे हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं. उन्होंने कई फ़िल्मों में काम किया है जैसे ‘सरफ़रोश’, ‘सत्या’, ‘चमेली’, ‘स्वदेश’, ‘मकड़ी’, और ‘रोड’. मकरंद ने न केवल अभिनेता के रूप में बल्कि लेखक और निर्देशक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है​​.

वे ‘RRR’ जैसी फिल्म में भी दिखाई दिए हैं जहाँ उन्होंने पेद्दन्ना की भूमिका निभाई. इस फिल्म में उनके कुछ सीन्स काट दिए गए थे, पर उन्होंने इसे पेशेवर रूप से संभाला​​.

हाल ही में, मकरंद देशपांडे ने टेलीविज़न पर बेताल की भूमिका निभाई है, जो कि एक पारंपरिक कथा पर आधारित सीरीज है. इस भूमिका के बारे में बोलते हुए, उन्होंने अपने बचपन की यादें और वेताळ के प्रति अपनी भावनाओं को साझा किया. वे इस भूमिका को निभाकर बहुत खुश हैं और इसे अपने कैरियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं​​.

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क्रांतिकारी अंबिका चकव्रती

क्रांतिकारी अंबिका चक्रवर्ती भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे. वे चटगाँव जुगंतार पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्य थे और सूर्य सेन के नेतृत्व में हुए चटगाँव शस्त्रागार छापे में शामिल थे. यह छापा ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का एक हिस्सा था.

अंबिका चक्रवर्ती मास्टर सूर्यसेन के साथ काम करते थे, जो चटगाँव के राष्ट्रीय विद्यालय में शिक्षक थे और ‘मास्टर दा’ के नाम से प्रसिद्ध थे. चटगाँव आर्मरी रेड, 1930 में, अंबिका चक्रवर्ती सहित कई क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक बड़े विद्रोह का आयोजन किया था. इस विद्रोह के दौरान, उन्होंने चटगाँव के पुलिस और सैनिक शस्त्रागारों पर धावा बोला और ब्रिटिश संचार प्रणाली को नुकसान पहुंचाया. यद्यपि उन्हें अपने मिशन में पूरी तरह सफलता नहीं मिली, इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की.

अंबिका चक्रवर्ती ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ काम किया और असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी.अम्बिका चक्रवर्ती का निधन 6 मार्च 1962 को एक सड़क दुर्घटना में हुआ था.

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संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ. सचिदानंद सिन्हा

डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा भारतीय संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे. उन्होंने 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के पहले सत्र की अध्यक्षता की. डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा उस समय के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे, इसलिए उन्हें अस्थायी अध्यक्ष (Provisional President) के रूप में चुना गया था.

उनकी इस भूमिका का मुख्य उद्देश्य संविधान सभा के कार्यों को आरंभ करना और स्थायी अध्यक्ष के चुनाव तक सभा की बैठकों का संचालन करना था. बाद में, डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया. डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा का योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण माना जाता है. डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा का निधन 06 मार्च 1950 को हुआ था.

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मोटूरि सत्यनारायण

मोटूरि सत्यनारायण हिंदी के प्रचार और प्रसार में एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तित्व थे. उन्होंने विशेष रूप से दक्षिण भारत में हिंदी भाषा के प्रचार में अहम भूमिका निभाई, मोटूरि सत्यनारायण दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के साथ काम करते थे, जिसका उद्देश्य दक्षिण भारतीय राज्यों में हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार करना था. इस संस्था की स्थापना महात्मा गांधी ने की थी.

मोटूरि सत्यनारायण के प्रयासों से हिंदी भाषा दक्षिण भारत में अधिक स्वीकार्य हुई और उसके प्रचार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई. उन्होंने हिंदी को भारत की एक प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया और इसके लिए उन्होंने कई सामाजिक और शैक्षिक पहल की. उनका कार्य आज भी हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है.मोटूरि सत्यनारायण का निधन 6 मार्च, 1995 को हुआ था.

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राजनीतिज्ञ राम सुंदर दास

राम सुंदर दास एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वे 21 अप्रैल 1979 से 17 फरवरी 1980 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता थे.

राम सुंदर दास हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से दो बार संसद सदस्य भी रहे. उनका जन्म 9 जनवरी 1921 को बिहार के सारण जिले के गंगाजल नामक स्थान पर हुआ था और उनका निधन 6 मार्च 2015 को हुआ था.

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अभिनेत्री शम्मी

शम्मी जिनका असली नाम नर्गिस रबाडी था, एक भारतीय अभिनेत्री थीं जिन्होंने हिंदी फिल्मों में दो सौ से अधिक भूमिकाएं निभाईं. उनका जन्म 24 अप्रैल 1929 को हुआ था और उनका निधन 6 मार्च 2018 को हुआ.

शम्मी विशेष रूप से 1949 – 69 तक और फिर 1980 – 2002 तक गूफी और कॉमिक भूमिकाओं के लिए फिल्म निर्माताओं के बीच बहुत मांग में रहीं. 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती सालों में, उन्होंने ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘गोपी किशन’, ‘कुली नंबर 1’, और ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसी फिल्मों में नियमित रूप से अभिनय किया.

शम्मी की विशेष पहचान टेलीविजन शो ‘जबान संभाल के’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वो’ और ‘फिल्मी चक्कर’ में उनके काम से बनी, जिसने उन्हें और भी प्रिय बना दिया.

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