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व्यक्ति विशेष

भाग - 37.

सावित्रीबाई फुले

सावित्रीबाई फुले भारतीय समाजसेविका, शिक्षिका और महात्मा ज्योतिबा फुले की पत्नी थीं, जो 19वीं सदी के मध्य में महाराष्ट्र में जातिवाद, जाति असमानता, और महिला सशक्तिकरण के लिए अपना योगदान देने वाली थीं। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था।

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर दलितों और लोगों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने एक शिक्षा संस्थान स्थापित किया, जिसका उद्घाटन 1848 में हुआ, और यह संस्थान भारत में दलितों के लिए पहला शिक्षा संस्थान था। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए भी शिक्षा के अधिकार के पक्ष में अपने काम की शुरुआत की और महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए कई पहल किए।

उन्होंने जातिवाद, सामाजिक असमानता, और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर लेख लिखे और लोगों को जागरूक किया। सावित्रीबाई फुले को “महाराष्ट्र की पहली महिला शिक्षिका” के रूप में सम्मानित किया जाता है।

सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए महात्मा फुले के साथ साथिक और साथी के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 10 मार्च 1897 को निधन पाया, लेकिन उनका योगदान समाज में लोगों के दिलों में सदैव बसा रहा है।

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भौतिक विज्ञानी भूपति मोहन सेन

भौतिक विज्ञानी डॉ. भूपति मोहन सेन  भारतीय वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अपने योगदान से भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। उनका जन्म 3 जनवरी, 1888 को हुआ था, और उनका निधन  24 सितंबर 1978 में हुआ था.

डॉ. भूपति मोहन सेन ने भारतीय वैज्ञानिकों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और उन्होंने भौतिकी के क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर अपने अनुसंधान कार्य किए। उन्होंने क्वांटम यांत्रिकी और द्रव यांत्रिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया था. उनके कई अनुसंधान लेख और प्रकाशन भी हुए थे.

डॉ. भूपति मोहन सेन का योगदान भारतीय भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण था और उन्होंने अपने अनुसंधान कार्यों से भौतिकी के क्षेत्र में विकास किया.उन्हें 1974 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिये पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

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फ़िल्म निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद

चेतन आनन्द फ़िल्म सदाबहार अभिनेता देव आनन्द के बड़े भाई साथ ही उनकी बहन का नाम  शान्ता कपूर (जो फ़िल्म निर्देशक शेखर कपूर की माँ ) था. वो भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक और पटकथा लेखक थे.

कभी इतिहास के शिक्षक रहे चेतन ने 1940 के दशक में सम्राट अशोक पर एक फ़िल्म की पटकथा लिखी थी. चेतन आनन्द का फ़िल्मी सफर वर्ष 1944 में आई फणी मजूमदार की फ़िल्म ‘राजकुमार’ से शुरू हुआ था लेकिन, एक्टिंग छोड़कर वे 1946  में फ़िल्म नीचा नगर का निर्देशन किया जिसे   कान फ़िल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार मिला था.

निर्देशित फ़िल्में : – आखरी खत, हिंदुस्तान की कसम, कुदरत, हीर रांझा हक़ीक़त अफसर, टैक्सी ड्राइवर, आंधियां , हीर रांझा, हंसते जख्म और हिन्दुस्तान की कसम आदि.

 हिंदी सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की शुरुआत करने वाले चेतन आनन्द ने  6 जुलाई 1997 को दुनिया से विदा ले ली.

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जानकी बल्लभ पटनायक

जानकी बल्लभ पटनायक एक भारतीय राजनेता और कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे. वो  उड़ीसा राज्य के सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहने का भी रिकार्ड हैं.

जानकी बल्लभ पटनायक  3 जनवरी 1927 को रामेश्वर, पुरी ज़िले में हुए थे. उन्होंने उत्कल विश्वविद्यालय से 1947 में संस्कृत में स्नातक और 1949 में राजनीति विज्ञान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण की.

पटनायक को उड़ीसा की राजनीति में एक प्रमुख रूप से शामिल होने का गर्व है, और वे उड़ीसा के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार सेवाएँ कर चुके थे. उन्होंने उड़ीसा के विकास और सामाजिक क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं.

जानकी बल्लभ पटनायक का नाम उड़ीसा और भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण है, और उन्होंने अपने जीवन में राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए.

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राजनीतिज्ञ जसवंत सिंह

राजनीतिज्ञ जसवंत सिंह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व उच्च-स्तरीय नेता और राज्यमंत्री रहे हैं. वे  3 जनवरी 1938 को गाँव जसोल, बालोतरा, राजस्थान (तब राजपुताना, ब्रिटिश भारत) में पैदा हुए थे और 27 सितंबर 2020 को उनका निधन हुआ था.

जसवंत सिंह ने अपनी पॉलिटिकल कैरियर की शुरुआत राजस्थान के जिला पंचायत के सदस्य के रूप में की और फिर वे भारतीय सेना में भी शामिल हो गए. उन्होंने भारतीय सेना में मेजर के पद पर सेवाएं दी. जसवंत सिंह ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे लोकसभा के सदस्य भी रहे हैं और केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई मंत्री पदों को भी संभाले। उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में भी कार्य किया था.

जसवंत सिंह को उनके साहित्यिक योगदान के लिए भी जाना जाता है, और उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. वे भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण और विवेकानंद विचारों के प्रशंसक रहे हैं.

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अभिनेत्री वहीदा रहमान

वहीदा रहमान एक फ़िल्म अभिनेत्री हैं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के विभिन्न युगों में अपनी महत्वपूर्ण कला के लिए प्रसिद्ध हुई हैं. उनका जन्म 3 फ़रवरी 1938 को आंध्र प्रदेश, भारत में हुआ था.

वहीदा रहमान का अभिनय कैरियर 1955 में फ़िल्म सर्कस से शुरू हुआ और उन्होंने बॉलीवुड में अपनी उपस्थिति बनाई। वे कई प्रमुख फ़िल्मों में काम कर चुकी हैं.

फ़िल्में: – कागज़ के फूल, सहिब बिबी और गुलाम, चौदहवें का चांद , बात एक रात की , तीसरी कसम , नील कमल और ख़ामोशी.

वहीदा रहमान को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं, जैसे कि नेशनल फ़िल्म अवार्ड और फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड। उन्होंने अपने कैरियर में अपने शानदार अभिनय के लिए उन्हें सिनेमा इंडस्ट्री के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री में मान्यता दी गई है.

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अभिनेत्री दीप्ति नवल

दीप्ति नवल का जन्म 3 फ़रवरी 1952 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. वो एक फ़िल्म अभिनेत्री हैं. दीप्ति नवल अपने कलात्मक एवं अर्थपूर्ण फिल्मों में अपने सशक्त अभिनय के लिए जानी जाती हैं.

दीप्ति नवल ने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत 1978 में फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म जूनुन से की थी लेकिन, उन्हें लोकप्रियता 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘एक बार फिर’ से मिली थी.

फिल्मे: – श्रीमान श्रीमती, जुनून, चश्मे बद्दूर, कथा और साथ-साथ.

दीप्ति नवल को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं, जैसे कि – नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड और फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड.

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अभिनेता संजय खान

संजय खान एक फ़िल्म अभिनेता, निर्माता, और निर्देशक हैं. वे 3 जनवरी 1941 को बंगलूरु, कर्नाटक, भारत में पैदा हुए थे. संजय खान ने बॉलीवुड फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी कैरियर की शुरुआत 1964 में की और उन्होंने विभिन्न चर्चित फ़िल्मों में अभिनय किया है.

कुछ संजय खान की प्रमुख फ़िल्में इस प्रकार हैं: –दोस्ती, दस लाख, चांदी की दीवार, एक फूल दो माली और मेला.   

संजय खान ने अपनी अभिनय कौशल के साथ ही फ़िल्म निर्माता और निर्देशक के रूप में भी काम किया है. वे टेलीविजन शो “टीपू सुल्तान की तलवार” के निर्देशक के रूप में भी मशहूर हैं. उन्होंने अपने कैरियर के दौरान भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्होंने अपने काम के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं.

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रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन

 डॉ. सतीश धवन भारतीय रॉकेट वैज्ञानिक और अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

डॉ. धवन का जन्म 25 सितंबर 1920 को श्रीनगर में हुआ था. उन्होंने शिक्षा का सफर भारत के विभिन्न स्थानों पर किया और इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की. उन्होंने अंतरिक्ष और रॉकेट विज्ञान में अपनी प्राधिकृतिक अध्ययन की और इस विषय में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए.

डॉ. धवन ने इसरो के प्रमुख के रूप में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का प्रबंधन किया और इसरो को अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्वस्तर संगठन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. डॉ. धवन के नेतृत्व में, इसरो ने कई महत्वपूर्ण प्रक्षेपणों का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जैसे कि – इन्सैट-एक दूरसंचार उपग्रह, आईआरएस-भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) जैसी प्रचालनात्मक प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त हुआ.

डॉ. सतीश धवन का निधन 2002 में  हुआ था, लेकिन उनका योगदान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में आज भी स्मृतिमें बसा है.

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वायलिन वादक एम. एस. गोपालकृष्णन

एम. एस. गोपालकृष्णन एक प्रमुख भारतीय वायलिन और संगीतज्ञ थे, जिन्होंने क्लासिकल भारतीय संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया. वे एक प्रमुख वायलिन और कोम्पोजर रहे हैं, और उन्होंने भारतीय संगीत के कई प्रमुख संगीतकारों के साथ काम किया.

गोपालकृष्णन का जन्म 10 जून 1931 मद्रास (अब चेन्नई), तमिलनाडु, भारत में हुआ था. उन्होंने वायलिन पर मास्टरी हासिल की और क्लासिकल भारतीय संगीत में अपना करियर बनाया. वे विशेष रूप से कर्णाटक संगीत में अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध थे.

गोपालकृष्णन ने भारतीय वाद्य संगीत में अपने उद्घाटन और अद्वितीय संगीत कार्य के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिसमें संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल हैं. उन्होंने वायलिन के साथ संगीत के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए भारतीय संगीत में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई.

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