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व्यक्ति विशेष

भाग – 336.

राजनीतिज्ञ भगवत झा आज़ाद

भगवत झा आज़ाद एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के रूप में जाने जाते हैं. वे बिहार राज्य के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका राजनीतिक कैरियर लंबे समय तक चला और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.

भगवत झा आज़ाद का जन्म 28 नवंबर 1922 को बिहार के भागलपुर जिले के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनका परिवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था, और यह पृष्ठभूमि उनके राजनीतिक जीवन की प्रेरणा बनी. उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत शिक्षा के क्षेत्र से की, लेकिन जल्दी ही राजनीति की ओर रुख किया और कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए.

भगवत झा आज़ाद ने वर्ष  1950 के दशक में राजनीति में कदम रखा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ सक्रिय रूप से जुड़े. वे भागलपुर क्षेत्र से लोकसभा के सांसद बने और कई बार चुनाव जीते. उनकी छवि एक सरल और ईमानदार राजनेता की रही, जिन्होंने सादगी से अपना जीवन व्यतीत किया.

भगवत झा आज़ाद वर्ष  1988 – 89 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राज्य के प्रशासन को सुदृढ़ करने और विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. हालांकि, उनके मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल लंबे समय तक नहीं चला, लेकिन उनकी ईमानदारी और प्रशासनिक दृष्टिकोण की सराहना की गई.

भगवत झा आज़ाद ने केंद्र सरकार में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय सहित कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. वे इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के करीबी माने जाते थे और उन्हें पार्टी के एक सशक्त नेता के रूप में देखा जाता था. भगवत झा आज़ाद के पुत्र कीर्ति आज़ाद भी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नाम हैं. कीर्ति आज़ाद ने क्रिकेट और राजनीति दोनों क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है, वे भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रह चुके हैं और बाद में बिहार से सांसद बने.

भगवत झा आज़ाद का निधन 4 अक्टूबर 2011 को हुआ. उन्हें भारतीय राजनीति में उनके ईमानदारी, सादगी और नीतिगत दृष्टिकोण के लिए याद किया जाता है. उनका राजनीतिक जीवन एक आदर्श के रूप में देखा जाता है, जहां उन्होंने विकास और जनता की सेवा को प्राथमिकता दी. उनका योगदान बिहार और देश की राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है.

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अभिनेत्री ईशा गुप्ता

ईशा गुप्ता एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्य रूप से बॉलीवुड फिल्मों में काम करती हैं. उन्होंने वर्ष 2007 में “फेमिना मिस इंडिया” प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था और “मिस इंडिया इंटरनेशनल” का खिताब जीता.

ईशा का जन्म 28 नवंबर 1985 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया. ईशा ने वर्ष 2012 में इमरान हाशमी के साथ फिल्म जन्नत 2 से बॉलीवुड में कदम रखा, जिसमें उनके प्रदर्शन को सराहा गया.

प्रमुख फिल्में: – राज़ 3 (2012), चक्रव्यूह (2012), हमशकल्स (2014), कमांडो 2 (2017), बादशाहो (2017).

अपने अभिनय के अलावा, ईशा गुप्ता ने अपने फैशन और स्टाइल स्टेटमेंट के लिए भी पहचान बनाई है. वह कई प्रमुख ब्रांड्स और मैगज़ीन कवर पर दिखाई दी हैं.

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अभिनेता प्रतीक बब्बर

प्रतीक बब्बर एक भारतीय अभिनेता हैं, जो हिंदी सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी अभिनय प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं. वे  दिग्गज अभिनेता राज बब्बर और दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल के बेटे हैं.

प्रतीक का जन्म 28 नवंबर 1986 को मुंबई में हुआ और उनका पालन-पोषण उनकी नानी के घर हुआ, क्योंकि उनकी मां स्मिता पाटिल का निधन उनके जन्म के तुरंत बाद हो गया था. वे फिल्मी पृष्ठभूमि से होने के बावजूद अपने संघर्ष और आत्मनिर्भरता के लिए जाने जाते हैं. प्रतीक ने वर्ष 2008 में आमिर खान प्रोडक्शंस की फिल्म जाने तू… या जाने ना से अपने कैरियर की शुरुआत की. इस फिल्म में उनके प्रदर्शन को आलोचकों और दर्शकों दोनों से सराहना मिली.

प्रमुख फिल्में: – धोबी घाट (2010), एक दीवाना था (2012), मुल्क (2018), छिछोरे (2019), इंडिया लॉकडाउन (2022).

प्रतीक ने कई बार अपने जीवन के उतार-चढ़ाव के बारे में बात की है, जिसमें नशे की लत से उनकी लड़ाई भी शामिल है. उन्होंने इसे हराने के बाद नई शुरुआत की और अपनी फिटनेस व कैरियर पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने वर्ष 2021 में सान्या सागर से शादी की, लेकिन बाद में उनका अलगाव हो गया.

प्रतीक बब्बर ने न केवल फिल्मों में, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी खुद को स्थापित किया है. उनके अभिनय में गहराई और ईमानदारी उनकी मां की विरासत को दर्शाती है.

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अभिनेत्री यामी गौतम

यामी गौतम एक भारतीय अभिनेत्री हैं, जो हिंदी फिल्मों के साथ-साथ तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और पंजाबी फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. वह अपने सरल और प्रभावशाली अभिनय के लिए जानी जाती हैं.

यामी गौतम का जन्म 28 नवंबर 1988 को बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ और उनका पालन-पोषण चंडीगढ़ में हुआ था. उन्होंने लॉ की पढ़ाई की, लेकिन अभिनय के प्रति रुचि के कारण पढ़ाई छोड़ दी.  यामी ने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन से की थी, जिनमें चांद के पार चलो और ये प्यार ना होगा कम जैसे शोज़ शामिल हैं. उनकी पहली हिंदी फिल्म विकी डोनर (2012) थी, जिसमें आयुष्मान खुराना के साथ उनकी केमिस्ट्री को खूब सराहा गया.

प्रमुख फिल्में: –  विकी डोनर (2012), काबिल (2017), उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक (2019), बाला (2019), दसवीं (2022).

यामी ने वर्ष 2021 में मशहूर फिल्म निर्माता आदित्य धर (उरी के निर्देशक) से शादी की. उनकी सादगी और पारंपरिक जीवनशैली उन्हें बॉलीवुड की अन्य अभिनेत्रियों से अलग बनाती है.

यामी कई प्रमुख ब्रांड्स का चेहरा रही हैं, जिसमें फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन के कारण उन्हें सराहना और आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा. वह अपने अभिनय और सामाजिक विषयों पर विचारशील टिप्पणियों के लिए भी जानी जाती हैं.

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क्रान्तिकारी ज्योतिबा फुले

ज्योतिबा फुले का पूरा नाम ज्योतिराव गोविन्दराव फुले है. वो 19वीं सदी के एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक, विचारक, और शिक्षाविद् थे. उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र में हुआ था और उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक न्याय और समानता के लिए समर्पित कर दिया था. ज्योतिबा फुले विशेष रूप से निचली जातियों और महिलाओं के उत्थान के लिए जाने जाते हैं.

फुले ने शिक्षा को समाज में परिवर्तन लाने का एक मुख्य साधन माना. उन्होंने वर्ष 1848 में पुणे में भारत की पहली लड़कियों के लिए स्कूल की स्थापना की. उनकी पत्नी, सावित्रीबाई फुले भी एक प्रमुख समाज सुधारक थीं और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ज्योतिबा का बहुत समर्थन किया. उन्होंने दलितों और अछूतों के लिए भी स्कूल खोले।

ज्योतिबा फुले ने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना भी की थी, जिसका उद्देश्य जातिवाद और सामाजिक असमानताओं को खत्म करना था. वे जाति प्रथा, अंधविश्वास, और धार्मिक कट्टरता के विरोधी थे. फुले ने अपने जीवनकाल में कई पुस्तकें और लेख लिखे, जिनमें ‘गुलामगिरी’ उनके सबसे प्रसिद्ध कार्यों में से एक है.

ज्योतिबा फुले का निधन 28 नवंबर 1890 को हुआ, लेकिन उनके विचार और कार्य आज भी भारतीय समाज में समानता और न्याय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

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फिल्म निर्माता बी. एन. सरकार

बी. एन. सरकार (बिरेंद्र नाथ सरकार) भारतीय फिल्म निर्माता थे जो नई भारतीय सिनेमा उद्योग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  उनका जन्म 5 जुलाई 1901 को अविभाजित बंगाल में हुआ था और उनकी मृत्यु 28 नवंबर, 1980 को हुआ. बीरेन्द्रनाथ के पिता सर एन. एन. सरकार बंगाल के एडवोकेट जनरल थे, और वायसराय की कौन्सिल के सदस्य भी थे. 

सरकार ने वर्ष 1932 में न्यू थियेटर्स लिमिटेड की स्थापना की, जो कोलकाता में स्थित एक प्रमुख फिल्म निर्माण कंपनी थी. न्यू थियेटर्स ने कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फिल्में बनाई, जिनमें “देवदास” (1935), “पहला आदमी” (1937), “मुक्ति” (1937) और “साधना” (1939) शामिल हैं.

बी. एन. सरकार ने भारतीय सिनेमा में कला, संगीत, और संस्कृति का अनूठा समावेश किया. उन्होंने फिल्म निर्माण की तकनीक में नवाचार और उच्च गुणवत्ता के मानकों को अपनाया, जिससे भारतीय सिनेमा का स्तर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा. उनके कार्य ने न केवल मनोरंजन उद्योग को समृद्ध किया, बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति को भी गहराई से प्रभावित किया.

बी. एन. सरकार को भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महान विभूति माना जाता है, और उनकी फिल्मों का आज भी अध्ययन और सराहना की जाती है.

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