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व्यक्ति विशेष

भाग – 290.

अभिनेता अशोक कुमार

अशोक कुमार भारतीय सिनेमा के प्रमुख अभिनेताओं में से एक थे, जिनका असली नाम कुमुदलाल गांगुली था. उनका जन्म 13 अक्टूबर 1911 को  बिहार के भागलपुर शहर के आदमपुर मोहल्ले के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था और वे हिंदी सिनेमा के “दादा मुनि” के नाम से प्रसिद्ध थे. अशोक कुमार ने भारतीय सिनेमा में एक लंबा और सफल कैरियर बनाया, जो छह दशकों से अधिक समय तक चला.

अशोक कुमार ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1936 में फिल्म जीवन नैया से की, लेकिन उन्हें असली पहचान वर्ष 1943 में आई फिल्म किस्मत से मिली, जो उस समय की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी. वे अपने प्राकृतिक अभिनय के लिए जाने जाते थे और उन्होंने रोमांस, कॉमेडी, और चरित्र भूमिकाओं में महारत हासिल की.

प्रमुख फिल्में: – बांदी (1947), महल (1949), चलती का नाम गाड़ी (1958), आशिर्वाद (1968), विक्टोरिया नंबर 203 (1972).

अशोक कुमार को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और दादा साहेब फाल्के अवार्ड शामिल हैं.

अशोक कुमार का निधन 10 दिसंबर 2001 को मुंबई में हुआ था. उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में अद्वितीय माना जाता है.

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अभिनेत्री पल्लवी प्रधान

पल्लवी प्रधान एक भारतीय टेलीविज़न और फिल्म अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी और मराठी उद्योग में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत थिएटर से की और बाद में टीवी और फिल्मों में अपनी पहचान बनाई. पल्लवी प्रधान को उनकी कॉमिक टाइमिंग और दमदार अभिनय के लिए सराहा जाता है.

पल्लवी प्रधान का जन्म 13 अक्टूबर 1975 को मुंबई में हुआ था. वे सबसे ज़्यादा तारक मेहता का उल्टा चश्मा में माधवी भाभी के रूप में अपनी भूमिका के लिए जानी जाती हैं. इसके अलावा, उन्होंने लोकप्रिय शो बहू हमारी रजनीकांत में भी एक दिलचस्प भूमिका निभाई थी. उन्होंने कई मराठी धारावाहिकों और फिल्मों में भी काम किया है और मराठी सिनेमा में भी एक जानी-मानी हस्ती हैं.

उनका अभिनय कैरियर टीवी शोज़ और थियेटर के बीच संतुलित रहा है, और वे अपने बेहतरीन किरदारों के कारण दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं.

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अभिनेत्री पूजा हेगड़े

पूजा हेगड़े एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं, जो मुख्य रूप से तेलुगु और हिंदी फिल्मों में काम करती हैं. उनका जन्म 13 अक्टूबर 1990 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. पूजा ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और वर्ष 2010 में उन्होंने मिस यूनिवर्स इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया, जहां वे सेकंड रनर-अप रहीं. इसके बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा.

पूजा हेगड़े ने वर्ष 2012 में तमिल फिल्म मुगमोदो से अपने कैरियर की शुरुआत की, लेकिन उन्हें तेलुगु फिल्म ओका लैला कोसम (2014) से खास पहचान मिली. उन्होंने कई बड़ी तेलुगु फिल्मों में काम किया है और बड़े स्टार्स के साथ स्क्रीन साझा की है.

प्रमुख फ़िल्में: –

दुव्वाडा जगन्नाधम (2017): – जिसमें वे अल्लू अर्जुन के साथ नजर आईं.

महर्षि (2019): – में महेश बाबू के साथ.

अला वैकुंठपुरमुलू (2020): – जो अल्लू अर्जुन के साथ एक ब्लॉकबस्टर हिट रही,

राधे श्याम (2022): –  में प्रभास के साथ,

हिंदी सिनेमा में उन्होंने वर्ष 2016 में मोहनजोदड़ो से डेब्यू किया, जिसमें वे ऋतिक रोशन के साथ दिखाई दीं. इसके बाद पूजा ने हाउसफुल 4 (2019) और सर्कस (2022) जैसी बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया.

पूजा हेगड़े अपनी खूबसूरती, अदायगी और डांस के लिए जानी जाती हैं, और वे दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग की अग्रणी अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती हैं.

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अभिनेता, गायक, निर्देशक किशोर कुमार

किशोर कुमार भारतीय सिनेमा के एक बहुआयामी प्रतिभा के धनी कलाकार थे. वे एक उत्कृष्ट गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और गीतकार थे. उनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था. किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. वे एक बंगाली परिवार से थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा खंडवा में ही हुई और बाद में उन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक किया.

किशोर कुमार ने अपने बड़े भाई अशोक कुमार के नक्शेकदम पर चलते हुए फिल्म उद्योग में कदम रखा. उनकी पहली फिल्म “शिकारी” (1946) थी, जिसमें उन्होंने एक छोटी भूमिका निभाई थी. उनके अभिनय कैरियर को सही मायने में पहचान फिल्म “लड़की” (1953) से मिली.

किशोर कुमार की गायकी ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई. उन्होंने वर्ष 1948 में “जिद्दी” फिल्म में पहली बार गाना गाया. वर्ष 1950 – 60 के दशक में उन्होंने कई सुपरहिट गाने गाए, जिनमें “मेरे सपनों की रानी”, “रूप तेरा मस्ताना”, “पल पल दिल के पास”, “मेरे महबूब क़यामत होगी”, और “कुछ तो लोग कहेंगे” शामिल हैं.

किशोर कुमार ने अभिनय में भी उत्कृष्टता प्राप्त की. उन्होंने “चलती का नाम गाड़ी”, “पड़ोसन”, “हाफ टिकट” और “दूर गगन की छांव में” जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं. उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया, जैसे “दूर गगन की छांव में” और “दूर का राही”.

किशोर कुमार ने संगीत निर्देशन में भी अपनी प्रतिभा दिखाई. उन्होंने कई फिल्मों में संगीत दिया और गीत भी लिखे. उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें एक संपूर्ण कलाकार बना दिया. किशोर कुमार को अपने गायन के लिए कई फिल्मफेयर पुरस्कार मिले. उन्हें 8 बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का पुरस्कार मिला.

किशोर कुमार का व्यक्तिगत जीवन भी काफी चर्चित रहा. उन्होंने चार बार विवाह किया. उनकी पत्नियाँ रूमादेवी, मधुबाला, योगिता बाली और लीना चंदावरकर थीं. किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ. उनके निधन से भारतीय सिनेमा और संगीत उद्योग को एक बड़ी क्षति हुई.

किशोर कुमार का योगदान भारतीय सिनेमा और संगीत में अमूल्य है. उनकी बहुमुखी प्रतिभा और अद्वितीय आवाज ने उन्हें सदाबहार बना दिया है. उनके गाने और फिल्में आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं.

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अभिनेत्री निरुपा रॉय

निरुपा रॉय एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री थी जो भारतीय सिनेमा में अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए जानी जाती थीं। उनका जन्म 4 जनवरी 1931 को गुजरात, भारत में हुआ था और उन्होंने अपनी कैरियर की शुरुआत गुजराती फिल्मों से की थी.

निरुपा रॉय का सबसे अच्छा और पहचाने जाने वाला काम उनकी अभिनय करने वाली माँ की भूमिकाओं में था. उन्होंने बॉलीवुड के कई हिट फिल्मों में माँ की भूमिका में अभिनय किया, जैसे कि “देवार” (1975), “मुक़द्दर का सिकंदर” (1978), और “अमर अकबर अन्थोनी” (1977). इन फिल्मों में उनका अभिनय दर्शकों के बीच बहुत पसंद किया गया और उन्हें इस क्षेत्र में एक अमूल्य अभिनेत्री माना जाता है.

निरुपा रॉय को भारत सरकार द्वारा सिनेमा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. वे 2004 में फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए अपनी योगदान के लिए एक जीवन सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं.

निरूपा रॉय का निधन 13 अक्टूबर 2004 को मुंबई में हुआ था. निरुपा रॉय का अभिनय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा, और उनकी स्थायिता और विभिन्न भूमिकाओं में मास्टरी ने उन्हें एक अमूल्य अभिनेत्री बना दिया है.

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अन्य: –

रेल कोच फैक्ट्री की स्थापना के लिए दी गई ज़मीन के मामले मे: – 13 अक्टूबर 2008 को रायबरेली में रेल कोच फैक्ट्री की स्थापना के लिए दी गई ज़मीन के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिया था.

दफ़्तरों में इस्तेमाल होने वाले हिंदी के कठिन शब्दों की जगह: – 13 अक्टूबर 2011 को दफ़्तरों में इस्तेमाल होने वाले हिंदी के कठिन शब्दों की जगह उर्दू, फ़ारसी, सामान्य हिंदी और अंग्रेज़ी के शब्दों का उपयोग करने के निर्देश दिया था.

बिना वसीयतनामा वाले हिंदू परिवारों के पैतृक संपत्ति के बंटवारे में: – 13 अक्टूबर 2011 को भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2005 के सितंबर माह के बाद से बिना वसीयतनामा वाले हिंदू परिवारों के पैतृक संपत्ति के बंटवारे में किसी महिला या लड़की का परिवार के पुरुष सदस्य के बराबर हिस्सा मिलने का निर्णय दिया था.

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