रास बिहारी बोस
रास बिहारी बोस एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अहम भूमिका निभाए. वह 25 मई 1886 को वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल में पैदा हुए थे और 21 दिसम्बर 1945 को टोक्यो, जापान में निधन हुआ था.
रास बिहारी बोस का जीवन मुख्यतः उनके स्वतंत्रता संग्राम के कार्यों पर आधारित रहा. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अहम नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे और विभाजन के बावजूद अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कई बार अपने जीवन की बलिदान देंने को तैयार रहे.
उनका एक महत्वपूर्ण कार्य था भाग्यबिद्ध भारत सरकार (आजकल की उपनाम “आजाद हिन्द सरकार”) की स्थापना करना और जापान से स्वतंत्रता संग्राम के लिए सहयोग करना. वे जापान में भारतीय आजाद सेना (Indian National Army या INA) के संस्थापकों में से एक थे और नेताओं के रूप में भी कार्य किया. रास बिहारी बोस का योगदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण है और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण और समर्पित सेनानी के रूप में याद किया जाता है.
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साहित्यकार शिवपूजन सहाय
शिवपूजन सहाय एक प्रमुख हिन्दी साहित्यकार हैं, जिन्होंने भारतीय साहित्य के कई प्रमुख क्षेत्रों में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 9 अगस्त, 1893 को उनवास ग्राम, उपसंभाग बक्सर, शाहाबाद ज़िला (बिहार) में हुआ था.
शिवपूजन सहाय ने सामाजिक जीवन का शुभारम्भ हिन्दी शिक्षक के रूप में किया. उन्होंने हिन्दी कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक और निबंध आदि कई रूपों में साहित्य रचना की. सहाय का हिन्दी के गद्य साहित्य में एक विशिष्ट स्थान है. उनकी उनकी भाषा बड़ी ही सहज थी साथ ही उर्दू के शब्दों का प्रयोग धड़ल्ले से करते थे.
उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं:- ‘देहाती दुनियाँ‘ , ‘मतवाला माधुरी‘, ‘गंगा‘, ‘जागरण‘, ‘हिमालय‘, ‘साहित्य‘, ‘वही दिन वही लोग‘, ‘मेरा जीवन‘, ‘स्मृति शेश‘ और ‘हिन्दी भाषा और साहित्य‘.
शिवपूजन सहाय का समस्त जीवन का अधिकांश भाग हिन्दी भाषा की उन्नति एवं उसके प्रचार-प्रसार में व्यतीत किया साथ ही उन्होंने ‘बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ तथा ‘बिहार राष्ट्रभाषा परिषद’ नामक हिन्दी की दो प्रसिद्ध संस्थाएँ इनकी कीर्ति कथा के अमूल्य स्मारक के रूप में हैं. शिवपूजन सहाय ने भारतीय साहित्य को एक नए दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है.
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शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई
मृणालिनी साराभाई एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्यांगना थीं और उन्हें ‘अम्मा’ के तौर पर जाना जाता था. मृणालिनी का जन्म 11 मई, 1918 को केरल में हुआ था. उनके पिता डॉ. स्वामीनाथन मद्रास हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे जबकि, उनकी मां अम्मू स्वामीनाथन स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो बाद में देश की पहली संसद की सदस्य भी रहीं.
मृणालिनी ने बचपन का अधिकांश समय स्विट्जरलैंड में बिताया था. उन्होंने ‘डेलक्रूज स्कूल’ से उन्होंने पश्चिमी तकनीक से नृत्य कलाएं सीखीं बाद में उन्होंने रबींद्रनाथ टैगोर की देख-रेख में शांति निकेतन में शिक्षा ग्रहण की और यहीं से नृत्य उनकी जिंदगी बन गया. मृणालिनी के पति विक्रम साराभाई देश के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे.
मृणालिनी साराभाई ने शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा प्राप्त की और फिर इस कला को अपनाया और मास्टर की तरह प्रकार के स्तर पर प्रदर्शन किया. उन्होंने भारतीय नृत्य की परंपरागत शैली को महत्वपूर्ण रूप से बनाए रखा और उन्होंने इस कला को नए उच्चांगों पर पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई. मृणालिनी साराभाई को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया, और वे भारतीय शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणास्पद व्यक्ति रहीं.
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अभिनेता सुशांत सिंह
सुशांत सिंह एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म और टेलीविजन अभिनेता थे, जिनका जन्म 21 जनवरी 1986 में पटना, बिहार, में पैदा हुए थे और 2020 में निधन हो गए थे। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन सीरियल “किस देश में है मेरा दिल” (2008) से की थी और फिर बॉलीवुड में कई महत्वपूर्ण फ़िल्मों में काम किया।
सुशांत सिंह की कुछ महत्वपूर्ण फ़िल्में इस प्रकार हैं: –
“कैय पोछे अंगना हमार” (2013)
“शुद्ध देसी रोमांस” (2013)
“मसान” (2015)
“कैच: वीवाई एंड कैच” (2016)
“एम्.एस. धोनी: अनटोल्ड स्टोरी” (2016) – जिसमें उन्होंने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का किरदार निभाया था।
“केदारनाथ” (2018)
सुशांत सिंह के निधन के बाद, उनकी मौत पर बहुत विवाद उत्पन्न हुआ था और कई जांचों के बाद उनकी मौत को सुसाइड के रूप में घोषित किया गया था। उनकी मौत के परिप्रेक्ष्य में कई विवाद उत्पन्न हुए थे और सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा बहुत हुई थी।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो. मधु दंडवते
प्रोफेसर मधु दंडवते भारतीय राजनीतिज्ञ थे जो भारतीय समाजवादी पार्टी के सदस्य थे. वे भारतीय संसद (पार्लियामेंट) के सदस्य भी रहे हैं और केंद्र सरकार में कई मंत्री मंत्रिमंडलों में सदस्य भी रहे हैं.
मधु दंडवते का जन्म 21 जनवरी 1924 को हुआ था, और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वर्धा, महाराष्ट्र से प्राप्त की थी. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी भाग लिए थे. उन्होंने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर काम किया और अपने जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.
मधु दंडवते का सबसे महत्वपूर्ण पद भारतीय संघ एवं भाजपा सरकारों में वित्त मंत्री थे. वे 1989 से 1990 तक और फिर 1996 से 1997 तक भारतीय संघ के अधिकृत वित्त मंत्री रहे हैं. उन्होंने अपने कैरियर के दौरान आर्थिक नीतियों और वित्त प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया था. मधु दंडवते का निधन 12 नवम्बर 2005 को हुआ था, लेकिन उनके राजनीतिक और सामाजिक कार्यों का योगदान उनकी स्मृति में हमेशा जिन्दा रहेगा.
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वैज्ञानिक तथा अनुसंधानकर्ता ज्ञान चंद्र घोष
डॉ. ज्ञान चंद्र घोष भारतीय वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता थे, जिन्होंने अपने योगदान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की थी। वे प्राथमिक रूप से भौतिकी (Physics) के क्षेत्र में काम करते थे।
डॉ. ज्ञान चंद्र घोष का जन्म 14 सितम्बर, 1894 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया नामक स्थान पर हुआ था. और उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज से प्राप्त की थी. उन्होंने अपनी पढ़ाई के बाद एकमात्र हार्वर्ड विश्वविद्यालय में जाकर वैज्ञानिक अध्ययन किया और अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाया.
डॉ. ज्ञान चंद्र घोष के अनुसंधान विविध विषयों, विशेषत: वैद्युत रसायन, गति विज्ञान, उच्चताप गैस अभिक्रिया, उत्प्रेरण, आत्मआक्सीकरण, प्रतिदीप्ति इत्यादि,. उन्होंने ‘तनुता का सिद्धांत’, प्रतिपादित किया जिसे ‘घोष का तनुता सिद्धांत’ के नाम से जाना जाता है.
इनके द्वारा विविध विषयों पर किये गए अनुसंधान कार्यों से न केवल ज्ञान की वृद्धि हुई अपितु देश के औद्योगिक विकास में बड़ी सहायता मिली. डॉ. घोष अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं के संस्थापक और सदस्य रहे. डॉ. ज्ञान चंद्र घोष को वर्ष 1954 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था.