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व्यक्ति विशेष

भाग - 21.

महादेव गोविन्द रानाडे

महादेव गोविन्द रानाडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सोशल रिफॉर्मर और न्यायिक थे. वह 18 जनवरी 1842 को महाराष्ट्र के नाशिक जिले के साटारा शहर में पैदा हुए थे और 16 मार्च 1901 को पुणे में निधन हुए.

महादेव गोविन्द रानाडे ने अपने जीवन में सामाजिक सुधार और न्यायिक न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया. वे भारतीय समाज को जातिवाद, जातिगत भेदभाव, और महिला सशक्तिकरण के खिलाफ थे और इन समस्याओं के समाधान के लिए कई कदम उठाए. महादेव गोविन्द रानाडे का सबसे महत्वपूर्ण काम उनकी अदालती यात्रा रही, जिसमें वे ब्रिटिश भारत के विभिन्न कोनों में यात्रा करके जनता के साथ जुड़े और उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया. उन्होंने भारतीय समाज को न्याय और समाजिक सुधार के प्रति जागरूक किया और सामाजिक सुधार के कई समितियाँ और संगठन बनाए.

महादेव गोविन्द रानाडे को “महाराष्ट्र के जगदीश” के रूप में भी जाना जाता है और उन्होंने अपने योगदान से भारतीय समाज को समृद्धि और सामाजिक न्याय की दिशा में मार्गदर्शन किया.

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वीणा वादक सुन्दरम बालचंद्रन

सुंदरम बालचंद्रन एक प्रमुख भारतीय वीणा वादक हैं. वीणा एक प्रसिद्ध भारतीय संगीत वाद्य यंत्र है और उन्होंने इस यंत्र को महानतम कौशल और सद्गीत के साथ बजाने का अद्वितीय कला दिखाया है.

सुंदरम बालचंद्रन का जन्म 1951 में हुआ था, और उन्होंने वीणा वादन की शिक्षा केंद्रीय संगीत विद्यापीठ से प्राप्त की. उन्होंने अपने वीणा कला में अद्वितीय कौशल और संगीत की गहरी समझ दिखाई है, जिससे वे एक प्रमुख वीणा वादक बने हैं.

सुंदरम बालचंद्रन के वीणा वादन में उनकी उम्दा तकनीक और भारतीय शास्त्रीय संगीत के गहरे अध्ययन की गहरी जानकारी का परिचाय होता है. उन्होंने विभिन्न संगीत सभाओं और आलापकों के साथ संगीतकारों के साथ काम किया है और अपने श्रोताओं को सुंदर और आध्यात्मिक संगीत का आनंद दिलाया है. उन्होंने अपनी वीणा कला के लिए कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त किए हैं और उन्होंने अपने योगदान से भारतीय संगीत को मजबूत किया है.

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27वें मुख्य न्यायाधीश जगदीश शरण वर्मा

मुख्य न्यायाधीश जगदीश शरण वर्मा एक प्रमुख भारतीय न्यायिक व्यक्ति थे. उन्होंने भारतीय न्याय तंत्र के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को समझाने और सुधारने के लिए अपनी भूमिका में महत्वपूर्ण योगदान किया.

जगदीश शरण वर्मा का जन्म 18 जनवरी 1933 को हुआ था, और उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (आईएएस) में भी उच्च स्थान पर काम किया. उन्होंने भारतीय न्यायिक प्रणाली के बदलाव के लिए अपने सुझाव और सुधार के लिए जाने जाते हैं.

जगदीश शरण वर्मा की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी जब उन्होंने 1993 में विशेष न्यायिक आयोग की अध्यक्षता की थी. इस कमिटी के अंतर्गत, उन्होंने महिलाओं के साथ हो रही हैं अपराधों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाने के लिए कई सुझाव दिए, जिसमें ‘निर्भया कानून’ के रूप में मशहूर क़ानूनी संशोधन शामिल था. जगदीश शरण वर्मा का निधन 22 अप्रैल 2013 को हुआ था, लेकिन उनका योगदान भारतीय न्यायिक सिस्टम के सुधार में महत्वपूर्ण था, और उन्हें न्याय के क्षेत्र में महान प्राधिकृता के रूप में याद किया जाता है.

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राजनीतिज्ञ वीर बहादुर सिंह

राजनीतिज्ञ वीर बहादुर सिंह एक भारतीय राजनेता थे जो उत्तर प्रदेश, भारत में कार्यरत रहे और वहाँ के राजनीतिक संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जन्म 18 जनवरी  1935 को हुआ था और उनका निधन 12 मई 2002 को हुआ था.

वीर बहादुर सिंह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य थे और वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. उन्होंने 1990 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला और इस पद पर कुछ साल के लिए कार्य किया. उन्होंने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान किया और अपने कैरियर के दौरान कई सामाजिक और आर्थिक उन्नतियों को प्राप्त किया. वीर बहादुर सिंह के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने उत्तर प्रदेश में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी और राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ बनाई. उनका नाम उत्तर प्रदेश राजनीति में महत्वपूर्ण है और उन्हें एक प्रमुख राजनेता के रूप में याद किया जाता है.

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क्रिकेट खिलाड़ी विनोद काम्बली

विनोद काम्बली एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं, और वह बैट्समैन के रूप में प्रसिद्ध हैं. विनोद काम्बली का जन्म 18 जनवरी 1972 को हुआ था. वह मुंबई (बॉम्बे), महाराष्ट्र, भारत में पैदा हुए थे.

विनोद काम्बली क्रिकेट की दुनिया में 1990 के दशक में एक वक्तवादी बैट्समैन के रूप में अपने प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से डेब्यू किया था 1993 में और वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में भी भारतीय टीम का हिस्सा बने थे.

हालांकि विनोद काम्बली का कैरियर चमकीला शुरू हुआ था, लेकिन फिर उनके क्रिकेट कैरियर में अपवाद और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने केवल 17 टेस्ट मैच और 104 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले. काम्बली के अच्छे खिलाड़ी बने जाने के बावजूद, उनका क्रिकेट करियर अच्छे प्रदर्शन की बजाय किंवदंतियों और समस्याओं के चलते ज्यादा अच्छा नहीं था. उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर के बाद कुछ सालों तक विभिन्न व्यवसायिक क्रिकेट लीगों में भाग लिया और उन्होंने अपनी छवि को सुधारने का प्रयास किया.

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अभिनेत्री मोनिका बेदी

 मोनिका बेदी एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म और टेलीविजन अभिनेत्री हैं, जो अपने काम के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका जन्म 18 जनवरी 1975 को हुआ था.

मोनिका बेदी ने अपने कैरियर की शुरुआत बॉलीवुड फ़िल्मों से की, और उन्होंने कई हिट फ़िल्मों में काम किया, जैसे कि “खिलाफ” (Khilaf), “जीने नहीं दूंगा” (Jeetenge Hum), “ज़ामाना देखो यारों” (Zamaana Deewana), और “पायल” (Pyaar Ishq Aur Mohabbat) जैसी. उन्होंने टेलीविजन भी में काम किया और कुछ पॉपुलर टेलीविजन सीरियल्स में भी भाग लिया, जैसे कि “सरकार” (Sarkar) और “चक्रव्यूह” (Chakravyuh). मोनिका बेदी का कैरियर विवाद और कानूनी मुद्दों के साथ जुड़ा रहा है, और उन्होंने कई सालों तक तिहाड़ जेल में बंद रहकर कारागार से जुदे रहे. उनका कैरियर और जीवन दोनों ही मीडिया में ध्यान आकर्षित किया है.

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अभिनेत्री नफिसा अली

 नफिसा अली एक प्रमुख भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई चर्चित फ़िल्मों में काम किया है. उनका जन्म 18 जनवरी 1957 को हुआ था.

नफिसा अली ने अपना बॉलीवुड डेब्यू 1979 में फ़िल्म “जुली” (Julie) में किया था, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका में काम किया था और उनका प्रस्तावना कैरियर का एक महत्वपूर्ण कदम था. उन्होंने फिर कई अन्य फ़िल्मों में काम किया, जैसे कि “मजबूत” (Majboor), “यादों की बारात” (Yaadon Ki Baaraat), “दशहरा” (Dussehra), “डियर जॉन” (Dear John) और “अब्बास-मस्तान” (Abbas-Mustan) की “भारत” (Baazigar) जैसी. नफिसा अली के अलावा, वे भारतीय फ़ैशन मॉडल, समाजसेवी, और राजनीतिक व्यक्ति भी हैं. वे भारतीय रेलवे के बोर्ड के सदस्य रह चुकी हैं और उन्होंने समाज-सेवा के कई क्षेत्रों में भी अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया है.

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बैडमिंटन खिलाड़ी अपर्णा पोपट

अपर्णा पोपट एक बैडमिंटन खिलाड़ी है. उनका जन्म 18 जनवरी 1978 को मुंबई में एक गुजराती परिवार में हुआ था.

अपर्णा ने मुंबई के जे. बी. पेटिट हाई स्कूल में पढ़ाई की एवं मुंबई विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ली. अपर्णा ने 08 साल की उम्र में बैडमिंटन की कोचिंग अनिल प्रधान से ली. वर्ष 1986 में मुम्बई में बैडमिंटन खेलना शुरू किया और 1994 में, उन्होंने अपनी क्षमताओं का और विस्तार करने के लिए बैंगलोर में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में दाखिला ले लिया. उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया.

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अभिनेत्री मिनिषा लांबा

मिनिषा लांबा एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं. उनका जन्म 18 जनवरी 1985 को हुआ था. मिनिषा ने अपने कैरियर की शुरुआत 2005 में बॉलीवुड फ़िल्म “यही है जुदा” (Yahaan) में की थी, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका में काम किया था.

मिनिषा लांबा ने इसके बाद कई अन्य हिन्दी फ़िल्मों में भी काम किया, जैसे कि “बच्चन ऐसे ही होते हैं” (Bachna Ae Haseeno), “बच्चन गुज़र गए” (Bachchan Guzar Gaye), “वेलकम तो सजनपुर” (Welcome to Sajjanpur), और “शोर इन दि सिटी” (Shor in the City) जैसी। उन्होंने भी टेलीविजन रियलिटी शो “बिग बॉस” (Bigg Boss) के संस्करण में भाग लिया था. मिनिषा लांबा एक प्रमुख फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में अपनी अद्वितीय अभिनय क्षमता के लिए जानी जाती हैं.

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गायक और अभिनेता कुंदन लाल सहगल

कुंदन लाल सहगल एक गायक और अभिनेता थे, जो भारतीय सिनेमा के स्वर्गीय गायकों में से एक थे. उनका जन्म 11 अप्रैल 1904 को हुआ था और उनका निधन 18 जनवरी 1947 को हुआ था.

कुंदन लाल सहगल ने 1930s और 1940s के दौरान हिंदी सिनेमा में अद्वितीय गायन का प्रस्तुतीकरण किया. उनकी मधुर आवाज और गीतों के अद्वितीय गायन शैली ने उन्हें भारतीय संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान पर पहुँचाया. कुंदन लाल सहगल के कुछ प्रसिद्ध गीत हैं जैसे कि “बाबुल मोरा नैना छुआ”, “ईतना न मुझे तुम देखो”, “सुहानी रात दुल्हन बन जाए”, और “ये दिन ये रातें” जैसे.

कुंदन लाल सहगल को “क्लासिक भारतीय गायक” के रूप में याद किया जाता है और उनके गाने आज भी लोगों के बीच में पसंद किए जाते हैं. उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई और अपने समय के महत्वपूर्ण कलाकार में से एक थे.

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साहित्यकार सआदत हसन मंटो

 साहित्यकार सआदत हसन मंटो एक कहानीकार, ड्रामाकार, और स्क्रीनप्ले लेखक थे. उनका जन्म 11 मई 1912 को हुआ था और उनका निधन 18 जनवरी 1955 को हुआ था.

सआदत हसन मंटो का लेखन साहित्य में मुख्य रूप से उर्दू कहानीकारी के रूप में प्रसिद्ध है, और उन्होंने अपने काम में अक्सर समाज और मानवता के मुद्दों पर चुनौती दी. उनकी कहानियाँ व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक संघर्षों को प्रकट करने में माहिर थीं.

मंटो की कुछ महत्वपूर्ण कहानियाँ शीर्षक से नीचे दी गई हैं:

तोबा टेक सिंह” (Toba Tek Singh)

बुढ़ी काकी” (Buhi Kākī)

इंतिज़ार” (Intezar)

थंडा गोश्त” (Thanda Gosht)

ख़ुदाई” (Khol Do)

सआदत हसन मंटो के काम का मुख्य विषय था भारत-पाकिस्तान पार्टीशन और उसके प्रभाव पर, जिसमें वे बहुत ही उच्च स्तरीय कहानिकारी थे. सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने अपने वक़्त से आगे की ऐसी रचनाएँ लिख डालीं.

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कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय बच्चन एक हिंदी कवि और लेखक थे, जिन्होंने अपने काव्य और गीतों के माध्यम से भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान किया. उनका जन्म 27 नवम्बर 1907 को हुआ था और उनका निधन 18 जनवरी 2003 को हुआ था.

हरिवंश राय बच्चन का प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ है “मधुशाला” जो उनकी महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है. “मधुशाला” कविता का संदेश मधुशाला के रूप में पिये जाने वाले व्यक्ति के जीवन और उसके दरिद्र अवस्थाओं के बावजूद जीवन का सौभाग्यी होने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. “मधुशाला” उनकी काव्य और रसधारा कृतियों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और आज भी उनके कविता के प्रशंसकों के बीच में प्रसिद्ध है.

हरिवंश राय बच्चन ने अपने लेखन कैरियर में कई अन्य महत्वपूर्ण काव्य और कृतियों को भी उत्पन्न किया और उन्होंने हिंदी साहित्य में गहरे और प्रभावशाली रूप से अपना संकेत दिया. उन्होंने अपने जीवन के दौरान भी कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, और उन्हें भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण आदर्श माना जाता है.

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अभिनेत्री दुलारी

दुलारी एक फ़िल्म अभिनेत्री थीं, जो भारतीय सिनेमा में 1940s से 1950s के दशक में अपने काम के लिए प्रसिद्ध थीं. उनका जन्म 18 अप्रैल 1928 को हुआ था, और उनका नाम विलायत खानम था, लेकिन फ़िल्म इंडस्ट्री में वे “दुलारी” के नाम से जानी जाती थी.

दुलारी ने भारतीय सिनेमा में छवि गाने के लिए प्रसिद्ध हो गई थी और उन्होंने कई मशहूर हिट फ़िल्मों में काम किया, जैसे कि “आदमी” (Aadmi), “संगम” (Sangam), “सुख सपना” (Sukh Sapna), “एक था दिल” (Ek Tha Dil), “सफर” (Safar) और “धून” (Dhoon). दुलारी ने अपने कैरियर के दौरान अपनी अद्वितीय अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया और उन्हें भारतीय सिनेमा के स्वर्णकाल में एक महत्वपूर्ण अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है. उनका नाम भारतीय सिनेमा के स्वर्णकाल के एक महत्वपूर्ण हिस्से का हिस्सा रहा है.

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