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व्यक्ति विशेष

भाग – 166.

क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’

पण्डित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ (11 जून 1897 – 19 दिसंबर 1927) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी और शहीद थे. वे एक कवि, लेखक और बहुभाषाविद थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

पण्डित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म 11 जून 1897, शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था.  बालक रामप्रसाद की धर्म में भी रुचि थी, जिसमें उन्हें अपनी माताजी का पूरा सहयोग मिलता था. राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ के व्यक्तित्व पर उनकी माता का गहरा प्रभाव था. रामप्रसाद बिस्मिल अपने बचपन में बहुत शरारती तथा उद्दण्ड स्वभाव के थे और उन्हें अपने पिताजी के क्रोध का भी सामना करना पड़ता था.

राम प्रसाद की धर्म में अभिरुचि देखकर मुंशी इन्द्रजीत ने उन्हें संध्या उपासना करने का परामर्श दिया. राम प्रसाद को आर्य समाज के सिद्धान्तों के बारे में भी बताया और पढ़ने के लिए सत्यार्थ प्रकाश दिया. जिसके पढ़ने के बाद राम प्रसाद के विचार में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया. आर्य समाज से प्रभावित युवकों ने आर्य समाज मन्दिर में कुमार सभा की स्थापना की थी. राम प्रसाद बिस्मिल जिन दिनों मिशन स्कूल में विद्यार्थी थे, तथा कुमार सभा की बैठकों में भाग लेते थे, उन्हीं दिनों मिशन स्कूल के एक अन्य विद्यार्थी से उनका परिचय हुआ.

लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए जाने पर रामप्रसाद बिस्मिल कुछ क्रांतिकारी विचारों वाले युवकों के सम्पर्क में आए. उन्होंने  9 अगस्त 1925 को बिस्मिल और उनके साथियों ने काकोरी ट्रेन डकैती को अंजाम दिय. यह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों का एक प्रमुख हिस्सा था. इस घटना में उन्होंने सरकारी खजाने को लूटा था, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ.

 बिस्मिल ने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस संगठन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना और भारत को स्वतंत्रता दिलाना था.

 बिस्मिल ने अपनी कविताओं और लेखन के माध्यम से भी स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को प्रेरित किया. उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं: – “मेरा रंग दे बसंती चोला”,  “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है”, “बिस्मिल अज़ीमाबादी” (तख़ल्लुस).

काकोरी काण्ड के बाद बिस्मिल और उनके कई साथियों को गिरफ्तार कर ब्रिटिश सरकार ने उन पर मुकदमा चलाया और उन्हें फांसी की सजा दी गई.19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में उन्हें फांसी दे दी गई. राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों में सम्मानपूर्वक लिया जाता है. उनका जीवन और बलिदान आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.

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राजनीतिज्ञ के.एस. हेगडे

के.एस. हेगड़े (कोनकट्टी सदानंद हेगड़े) एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ, न्यायविद और समाजसेवी थे. वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

के.एस. हेगड़े का जन्म 11 जून 1909, कोनकट्टी, कर्नाटक में हुआ था.  हेगड़े ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कर्नाटक में पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई के लिए मुंबई गए. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और एक सफल वकील बने. हेगड़े ने अपने कैरियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की. वे बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश बने और अपनी निष्पक्षता और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध हुए.

हेगड़े भारतीय लोकसभा के सदस्य रहे. वे उडुपी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद की. के.एस. हेगड़े 1977 – 80 तक भारतीय लोकसभा के अध्यक्ष रहे. इस पद पर रहते हुए उन्होंने संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

हेगड़े संविधान सभा के सदस्य भी रहे, जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान दिया. के.एस. हेगड़े ने कई सामाजिक कार्यों में भी योगदान दिया. वे शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सक्रिय रहे. उनके सामाजिक कार्यों के कारण वे समाज में बेहद सम्मानित थे. के.एस. हेगड़े का निधन 24 मई 1990 को हुआ. उनकी याद में कई संस्थाएँ और संगठन आज भी उनके नाम पर कार्यरत हैं, जो उनके आदर्शों और सिद्धांतों को आगे बढ़ा रही हैं.

के.एस. हेगड़े का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रेरणास्रोत है. उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके सिद्धांत आज भी नई पीढ़ी के नेताओं के लिए मार्गदर्शक बने हुए हैं.

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राजनीतिज्ञ लालू प्रसाद यादव

लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. वे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक हैं और भारतीय राजनीति में अपने विशिष्ट अंदाज और बेबाक बयानों के लिए प्रसिद्ध हैं.

लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 को गोपालगंज, बिहार में हुआ था. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की. वे छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे और पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने. लालू प्रसाद यादव ने 1977 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बने. उन्होंने 1980 और 1989 में भी लोकसभा चुनाव जीता.

लालू प्रसाद यादव 1990 – 97 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई नीतियाँ लागू कीं. 2004 – 09 तक, लालू प्रसाद यादव ने केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल में भारतीय रेल ने आर्थिक रूप से मुनाफा कमाया और कई सुधार हुए.

लालू प्रसाद यादव ने 1997 में राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना की. उनकी पार्टी ने बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विभिन्न चुनावों में सफलता प्राप्त की. लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक जीवन विवादों से भी घिरा रहा. उन्हें चारा घोटाला मामले में दोषी पाया गया और जेल की सजा हुई. इसके बावजूद, वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्तित्व बने रहे.

लालू प्रसाद यादव का विवाह राबड़ी देवी से हुआ, जो खुद भी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उनके कई बच्चे हैं, जिनमें से तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं.

लालू प्रसाद यादव का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति में विशेष महत्व रखते हैं. उन्होंने अपनी अद्वितीय शैली और जनप्रिय व्यक्तित्व के माध्यम से राजनीति में एक अलग पहचान बनाई है. उनके समर्थक उन्हें सामाजिक न्याय का मसीहा मानते हैं, जबकि आलोचक उनके विवादों को उजागर करते हैं.

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मॉडल और अभिनेत्री अलीषा ओहरी

अलीषा ओहरी एक भारतीय मॉडल और अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपनी खूबसूरती और अभिनय प्रतिभा के माध्यम से मनोरंजन उद्योग में पहचान बनाई है. अलीषा ओहरी का जन्म 11 जून 1986 को हुआ था.

अलीषा ओहरी ने अपने कैरियर की शुरुआत मॉडलिंग से की. उन्होंने कई फैशन शो में रैंप वॉक किया और विभिन्न ब्रांड्स के लिए विज्ञापन अभियानों में हिस्सा लिया। उनकी आकर्षक व्यक्तित्व और अद्वितीय फैशन सेंस ने उन्हें मॉडलिंग की दुनिया में जल्दी ही लोकप्रिय बना दिया।

मॉडलिंग में सफलता हासिल करने के बाद, अलीषा ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने विभिन्न टेलीविजन शो, वेब सीरीज और फिल्मों में काम किया.

 उनकी अभिनय शैली और स्क्रीन प्रेजेंस ने उन्हें दर्शकों के बीच खासा लोकप्रिय बना दिया. अलीषा ने कई टेलीविजन शो में काम किया, जिनमें उनके अभिनय की सराहना की गई. उन्होंने कई लोकप्रिय वेब सीरीज में भी अभिनय किया, जिससे उनकी फैन फॉलोइंग और बढ़ी. अलीषा ने कुछ फिल्मों में भी काम किया है, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया.

अलीषा ओहरी अपने व्यक्तिगत जीवन को निजी रखना पसंद करती हैं. वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं और अपने फैंस के साथ अपने काम और जीवन की झलकियाँ साझा करती रहती हैं.

अलीषा ओहरी ने अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा के बल पर मॉडलिंग और अभिनय दोनों क्षेत्रों में सफलता हासिल की है. वे युवा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं और अपनी मेहनत और समर्पण के माध्यम से उन्होंने साबित किया है कि सपनों को पूरा किया जा सकता है.

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अभिनेता विवान शाह

विवान शाह एक भारतीय अभिनेता हैं, जो हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बना चुके हैं. वे प्रसिद्ध अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह के बेटे हैं.

विवान शाह का जन्म 11 जनवरी 1990 मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और माता का नाम अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह. विवान शाह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से प्राप्त की। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है

विवान शाह ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत 2011 में फिल्म “सात खून माफ़” से की, जिसमें उन्होंने पियूष मिश्रा के किरदार का युवा संस्करण निभाया था. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय कौशल को निखारा।

प्रमुख फिल्में: – सात खून माफ़ (2011), हैप्पी न्यू ईयर (2014), लाली की शादी में लड्डू दीवाना (2017) और कबीर (2018)

विवान शाह का परिवार अभिनय और कला के क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिष्ठित है. उनके माता-पिता और भाई भी फिल्म उद्योग में सक्रिय हैं. वे अपने परिवार से प्रेरणा लेते हुए अपने कैरियर को आगे बढ़ा रहे हैं.

विवान शाह ने अपने अभिनय कैरियर में विभिन्न भूमिकाओं को निभाकर अपने अभिनय की विविधता को साबित किया है. वे भविष्य में भी भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता रखते हैं.

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उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला

घनश्यामदास बिड़ला भारतीय उद्योग के प्रमुख स्तंभों में से एक थे. वे एक प्रतिष्ठित व्यवसायी, परोपकारी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थनकर्ता थे.

घनश्यामदास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 को पिलानी, राजस्थान के एक मारवाड़ी व्यापारी परिवार में हुआ था और उनकी मृत्यु  11 जून 1983 को मुंबई में हुआ. उनके पिता बल्देवदास बिड़ला भी एक सफल व्यापारी थे. युवा घनश्यामदास ने अपने परिवार के व्यापार को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और व्यापार में नई ऊंचाइयाँ हासिल कीं.

घनश्यामदास बिड़ला ने पारिवारिक व्यापार को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विस्तार दिया। उन्होंने कपड़ा, चीनी, सीमेंट, रसायन, और एल्यूमिनियम जैसे विभिन्न उद्योगों में निवेश किया. उनके नेतृत्व में बिरला समूह ने तेजी से प्रगति की और भारत के सबसे बड़े और प्रभावशाली व्यापारिक समूहों में से एक बन गया. उन्होंने कई वित्तीय संस्थानों की स्थापना की, जिनमें यूनाइटेड कमर्शियल बैंक (अब यूको बैंक) भी शामिल है.

घनश्यामदास बिड़ला ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का समर्थन किया और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की. वे कांग्रेस पार्टी के साथ भी जुड़े रहे और स्वतंत्रता आंदोलन के विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई. घनश्यामदास बिड़ला एक महान परोपकारी थे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और कला के क्षेत्र में कई संस्थानों की स्थापना की, जैसे: –बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS), पिलानी: यह संस्थान भारत के प्रमुख तकनीकी शिक्षण संस्थानों में से एक है.

बिड़ला मंदिर: उन्होंने देशभर में कई बिड़ला मंदिरों का निर्माण करवाया साथ ही  उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों की स्थापना की, जिनमें बिड़ला अस्पताल और बिड़ला स्कूल शामिल हैं.

घनश्यामदास बिड़ला अपने नैतिक मूल्यों और अनुशासन के लिए जाने जाते थे. उनका जीवन भारतीय व्यापारिक समुदाय और समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है. घनश्यामदास बिड़ला ने भारतीय उद्योग और समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके योगदान और परोपकारी कार्यों को आज भी याद किया जाता है, और वे भारतीय उद्योगपति समुदाय में एक महान हस्ती के रूप में सम्मानित किए जाते हैं.

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