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व्यक्ति विशेष

भाग – 136.

दार्शनिक कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य

कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य एक प्रमुख भारतीय दार्शनिक थे जिन्होंने 20वीं शताब्दी के दौरान भारतीय दर्शन को विश्व मंच पर पहचान दिलाई. उनका जन्म  12 मई 1875 को हुआ और उन्होंने 10 जून 1949 को अपनी आखिरी सांस ली थी.  उन्होंने मुख्य रूप से भारतीय दर्शन के आदर्शवादी स्कूल पर केंद्रित रहते हुए अपने विचार विकसित किए. उनका सबसे प्रसिद्ध काम “स्वराज इन आइडियाज़” है, जिसमें उन्होंने भारतीय विचारधारा के अनूठेपन पर जोर दिया और उसे पश्चिमी दार्शनिक प्रभावों से अलग करने की कोशिश की.

भट्टाचार्य ने भारतीय दर्शन की विविध धाराओं, जैसे कि वेदांत, सांख्य, और योग के संश्लेषण पर भी काम किया. उनके द्वारा दिए गए व्याख्यान और लिखित कार्य आज भी दार्शनिक चिंतन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उनके द्वारा विकसित किए गए विचार न केवल भारतीय दर्शन की समझ में योगदान देते हैं, बल्कि वैश्विक दार्शनिक समुदाय में भी उनकी गूंज सुनाई देती है.

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बड़ौदा की महारानी सीता देवी

 सीता देवी, जिन्हें बड़ौदा की महारानी के नाम से भी जाना जाता है, वास्तव में भारतीय राजघरानों में एक बहुत ही चर्चित व्यक्तित्व थीं। उनका जन्म 12 मई 1917 में हुआ और उनका निधन 15  फ़रवरी 1989 में हुआ था. उन्होंने गायकवाड़ वंश के प्रमुख महाराजा प्रताप सिंह राव गायकवाड़ से विवाह किया था. सीता देवी को उनकी शानदार जीवनशैली, उनके फैशन सेंस और उनके उच्च सामाजिक जीवन के लिए जाना जाता था.

वह अपने लक्ज़री सामानों के कलेक्शन, विशेष रूप से ज्वैलरी और साड़ियों के लिए प्रसिद्ध थीं. उन्हें दुनिया भर के फैशन पत्रिकाओं में अक्सर देखा गया और वे अंतरराष्ट्रीय सामाजिक घटनाओं में एक प्रमुख चेहरा थीं. सीता देवी का जीवन भारतीय राजकुमारियों की पारंपरिक छवि से काफी अलग था, जिसने उन्हें अन्य राजघरानों से विशिष्ट बनाया.

उनकी जीवनी और कहानी आज भी लोगों को आकर्षित करती है और भारतीय राजशाही के इतिहास में उनका एक विशेष स्थान है.

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बैडमिंटन खिलाड़ी नंदू नाटेकर

नंदू नाटेकर जिनका पूरा नाम नंदु रामचंद्र नाटेकर है, भारतीय बैडमिंटन के प्रारंभिक दिग्गजों में से एक थे. उनका जन्म 12 मई 1933 में हुआ था और उन्होंने 1950 और 1960 के दशकों में भारतीय बैडमिंटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दिलाई. नाटेकर को उनकी अद्वितीय खेल शैली और कोर्ट पर उनकी शानदार चपलता के लिए जाना जाता था. वह पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे जिन्होंने विदेशों में भारतीय ध्वज फहराया.

नाटेकर ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते और उन्होंने अपने कैरियर में कई प्रमुख उपलब्धियाँ हासिल कीं. उन्होंने छह बार नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती और उनका नाम भारतीय बैडमिंटन के सुनहरे पन्नों में दर्ज है. उनकी खेल भावना और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें खेल के एक महान दूत के रूप में पहचान दिलाई.

नंदू नाटेकर का निधन 28 जुलाई 2021 में हुआ था  लेकिन उनकी विरासत और उनके योगदान को भारतीय बैडमिंटन और खेल समुदाय में हमेशा याद किया जाता है.

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अभिनेता घनश्याम नायक

घनश्याम नायक एक भारतीय टेलीविजन अभिनेता थे, जिन्हें खासतौर पर लोकप्रिय टीवी सीरीज “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” में उनके चरित्र ‘नट्टू काका’ के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 12 मई 1944 को हुआ था, और उनका निधन 3 अक्टूबर 2021 को हुआ था. घनश्याम नायक ने अपने लंबे कैरियर में विभिन्न भूमिकाओं में अभिनय किया और वे अपने व्यावसायिकता और समर्पण के लिए जाने जाते थे.

घनश्याम नायक ने अपने कैरियर की शुरुआत बचपन में की थी और वे 100 से ज्यादा गुजराती और हिंदी फिल्मों में नजर आए. हालांकि, उन्हें सबसे बड़ी पहचान “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” से मिली, जिसमें उनके किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रिय बना दिया. नट्टू काका के रूप में उनकी कॉमिक टाइमिंग और अभिनय कौशल ने दर्शकों का दिल जीता.

उनका निधन टेलीविजन जगत के लिए एक बड़ी क्षति माना गया, क्योंकि उन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा और व्यक्तित्व से भारतीय टेलीविजन की दुनिया में एक खास स्थान बनाया था.

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ब्रिटिश राजनेता ऋषि सुनक

ऋषि सुनक एक प्रमुख ब्रिटिश राजनेता हैं जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर कार्य किया है. उनका जन्म 12 मई 1980 को साउथम्पटन, इंग्लैंड में हुआ था. वे विशेष रूप से जुलाई 2019 से मार्च 2023 तक ब्रिटेन के चांसलर ऑफ द एक्सचेकर के रूप में अपनी सेवाएँ देने के लिए जाने जाते हैं. इस पद पर रहते हुए, सुनक ने कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक सहायता पैकेज के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई, जिसमें फर्लो स्कीम और अन्य वित्तीय प्रोत्साहन उपाय शामिल थे.

उनकी शिक्षा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई, जहाँ उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की. ऋषि सुनक की पृष्ठभूमि वित्तीय सेवाओं में रही है, और वे गोल्डमैन सैक्स में भी काम कर चुके हैं.

राजनीति में उनका कैरियर 2015 में उत्तरी यॉर्कशायर के रिचमंड (यॉर्क्स) से सांसद के रूप में शुरू हुआ था. उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने आर्थिक नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ब्रिटेन की आर्थिक नीति के मुख्य निर्धारकों में से एक रहे.

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क्रिकेट खिलाड़ी शिखा पांडे

शिखा पांडे भारतीय महिला क्रिकेट टीम की प्रमुख खिलाड़ी हैं. उनका जन्म 12 मई 1989 को गोवा में हुआ था. शिखा पांडे एक ऑलराउंडर हैं जो दाएं हाथ से मध्यम गति की गेंदबाजी करती हैं और दाएं हाथ से बल्लेबाजी भी करती हैं. उनकी क्रिकेट कैरियर की शुरुआत 2014 में हुई थी, और तब से वह भारतीय टीम की एक महत्वपूर्ण सदस्य रही हैं.

शिखा पांडे ने अपने देश के लिए वनडे और टी20 इंटरनेशनल मैचों में महत्वपूर्ण प्रदर्शन किया है. उनकी गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों ही क्षेत्रों में उन्होंने कई बार टीम को महत्वपूर्ण मैचों में जीत दिलाई है. वह न केवल खेल के मैदान पर, बल्कि खेल के बाहर भी एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में उभरी हैं.

शिखा पांडे की उपलब्धियां और समर्पण उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट के उज्ज्वल सितारों में से एक बनाते हैं. उनका कैरियर युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है.

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अभिनेत्री अमृता प्रकाश

अमृता प्रकाश एक अभिनेत्री हैं जिन्होंने बचपन से ही फिल्मों और टेलीविजन में अपनी पहचान बनाई है. अमृता का जन्म 12 मई 1987 को जयपुर, राजस्थान में हुआ था. उन्होंने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत बच्ची के रूप में की थी और उन्हें सबसे पहले पहचान फिल्म “तुम बिन” (2001) और “कोई मिल गया” (2003) से मिली जिसमें उन्होंने छोटी भूमिकाएँ निभाईं.

अमृता ने विशेष रूप से फिल्म “विवाह” (2006) में अपनी भूमिका के लिए बहुत प्रशंसा प्राप्त की, जिसमें उन्होंने अमृता राव की छोटी बहन का किरदार निभाया था. इसके अलावा, उन्होंने कई टेलीविजन शोज में भी काम किया है, जैसे कि “शक्तिमान,” जिसमें उन्होंने बचपन में काम किया था.

अमृता प्रकाश ने अपने अभिनय के साथ-साथ अपनी शिक्षा पर भी ध्यान दिया है और उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री हासिल की है. उनकी व्यावसायिकता और समर्पण ने उन्हें भारतीय मनोरंजन जगत में एक सम्मानित स्थान दिलाया है.

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साहित्यकार धनंजय कीर

धनंजय कीर एक भारतीय लेखक और जीवनी लेखक थे, जिन्होंने मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में अपनी लेखनी का लोहा मनवाया था. उनका जन्म 23 अप्रैल 1913 में हुआ और उनका निधन 12 मई 1984 को हुआ था. कीर मुख्य रूप से अपनी जीवनी के लिए जाने जाते हैं जिसमें उन्होंने भारतीय समाज सुधारकों और राजनीतिक नेताओं के जीवन का विस्तृत वर्णन किया.

उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की जीवनी “Dr. Ambedkar: Life and Mission” शामिल है, जो डॉ. अंबेडकर के जीवन और उनके सामाजिक सुधारक के रूप में योगदान को विस्तार से बताती है. इस किताब को बड़े पैमाने पर सराहना मिली और इसे भारतीय इतिहास और समाज सुधार के विषय में एक महत्वपूर्ण संदर्भ माना जाता है.

धनंजय कीर ने अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों जैसे कि महात्मा गांधी, वीर सावरकर, और बाल गंगाधर तिलक की जीवनियां भी लिखी हैं. उनकी लेखन शैली और गहरी शोध क्षमता ने उन्हें साहित्यिक जगत में एक विशेष स्थान दिलाया. कीर के कार्य ने भारतीय समाज और इतिहास को समझने में मदद की है और उनके योगदान को विद्वानों और पाठकों द्वारा बहुत सराहा गया है.

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कत्थक नृत्यांगना अलकनन्दा

अलकनंदा एक भारतीय कत्थक नृत्यांगना हैं, जिन्होंने इस कला रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनकी नृत्य शैली में गहराई, तकनीकी कौशल और भावनात्मक अभिव्यक्ति की शानदार सम्मिश्रण होती है. अलकनंदा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रसिद्ध कत्थक गुरुओं से प्राप्त की और वे विशेष रूप से जयपुर घराने से जुड़ी हुई हैं.

उन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कत्थक नृत्य की प्रस्तुतियाँ दी हैं और अपनी नृत्य प्रस्तुतियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं. उनके द्वारा दी गई प्रस्तुतियां अक्सर भारतीय संगीत और साहित्य की क्लासिक रचनाओं पर आधारित होती हैं, जिसमें उनकी गहरी समझ और सूक्ष्म अभिनय कौशल का भरपूर उपयोग होता है.

अलकनंदा ने कत्थक को एक नई पहचान देने के लिए कई नवाचारी प्रोजेक्ट्स और सहयोगी कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया है. वे इस कला रूप को और अधिक समकालीन और प्रासंगिक बनाने के लिए नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रशिक्षित करने में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं. उनकी नृत्य अकादमी और शिक्षण संस्थान नए नर्तकों को उच्चतम शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिससे कत्थक नृत्य की परंपरा को नई दिशा और ऊर्जा मिलती है.

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हिन्दी कवि शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह एक प्रमुख हिंदी कवि थे, जिनका जन्म 13 जनवरी 1911 को उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ और उनका निधन 12 मई1993 को हुआ था. उन्होंने आधुनिक हिंदी कविता के क्षेत्र में गहरा योगदान दिया. उनकी कविताएँ अक्सर प्रेम, विरह, और राजनीतिक विषयों को समेटे हुए होती हैं, जिसमें उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक विडंबनाओं को अपने अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया है.

शमशेर बहादुर सिंह की लेखनी में गहराई और जटिलता की विशेषता होती है, और उनके काव्य में अभिव्यक्ति की बहुआयामी तकनीकें देखी जा सकती हैं. उनका काव्य अक्सर आत्मविश्लेषण और अंतर्दृष्टि से भरा होता है, जिसमें वे जीवन की गहराइयों का पता लगाते हैं.

उन्होंने अपनी कविताओं में प्रयोगात्मक तत्वों का भी उपयोग किया, जिसमें छंद, रूप, और भाषा के साथ नए-नए प्रयोग शामिल थे. उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में “चक्रांत”, “उत्तर कबीर” और “बावरा अहेरी” शामिल हैं. शमशेर बहादुर सिंह की कविताएं आज भी हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती हैं और उनकी रचनाएं हिंदी साहित्य में उन्हें एक विशेष स्थान प्रदान करती हैं.

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