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व्यक्ति विशेष

भाग - 127.

राजनीतिज्ञ वी. के. कृष्ण मेनन

वी. के. कृष्ण मेनन भारतीय राजनीति के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक थे. उनका पूरा नाम वेंगलील कृष्णन कृष्ण मेनन है, और वे 1896 में केरल के कोझिकोड में जन्मे थे. कृष्ण मेनन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अग्रणी सदस्य के रूप में जाना जाता है. वे विशेष रूप से अपने कूटनीतिक कौशल और उनके द्वारा भारत के लिए किए गए विदेश नीति में योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं.

वे भारतीय संसद के सदस्य भी रहे और विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे, जिसमें रक्षा मंत्री और भारतीय उच्चायुक्त (हाई कमिशनर) के रूप में लंदन में कार्य करना शामिल है. उनकी विदेश नीति में सबसे बड़ी भूमिका शीत युद्ध के दौरान थी, जब उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका को मजबूत किया.

उनके कैरियर को विवादों और उपलब्धियों का मिश्रण माना जाता है, और उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.

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अभिनेत्री अचला सचदेव

अचला सचदेव एक भारतीय अभिनेत्री थीं जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी विशेष पहचान बनाई. उन्होंने 1930 के दशक में अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की और अगले कई दशकों तक फिल्मों में काम किया.

अचला सचदेव विशेष रूप से मां या दादी के किरदार में बहुत प्रसिद्ध हुईं. उन्होंने ‘वक्त’, ‘प्रेम पुजारी’, ‘मेरा नाम जोकर’ जैसी कई प्रमुख फिल्मों में अहम भूमिकाएँ निभाईं. उनका जन्म 3 मई 1920 को हुआ था और उनका निधन 30 अप्रैल 2012 को हुआ.

उनका फिल्मों में योगदान और विशेष रूप से ‘कभी खुशी कभी गम’ में उनकी मां की भूमिका आज भी कई लोगों द्वारा याद की जाती है.

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राजनीतिज्ञ  सुमित्रा सिंह

सुमित्रा सिंह एक अनुभवी भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने राजस्थान विधानसभा की सदस्य के रूप में कई बार सेवा की है और विधानसभा की अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. सुमित्रा सिंह का जन्म 03  मई  1930 को हुआ था, और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा भारत में प्राप्त की.

उनका राजनीतिक कैरियर विविध और प्रभावशाली रहा है, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य, और शिक्षा के क्षेत्रों में योगदान दिया है. सुमित्रा सिंह ने अपनी नीतियों और निर्णयों के माध्यम से राजस्थान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनकी नेतृत्व शैली और उनके द्वारा किए गए सुधारों की वजह से उन्हें राज्य में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त है.

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भूतपूर्व लोकसभा महासचिव सी. के. जैन

सी. के. जैन, जिनका पूरा नाम चंद्र किशोर जैन है, भारतीय संसद के लोकसभा के पूर्व महासचिव थे. उन्होंने इस पद पर कार्य करते हुए लोकसभा के संचालन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. महासचिव के रूप में उनका कार्य लोकसभा के दैनिक कामकाज को सुचारु रूप से संचालित करना, संसदीय कार्यवाहियों का रिकॉर्ड रखना और सदस्यों के बीच संवाद सुनिश्चित करना था.

सी. के. जैन के कार्यकाल में उन्होंने अनेक संसदीय समितियों के साथ काम किया और उनकी दक्षता और संसदीय प्रक्रियाओं में गहरी समझ की प्रशंसा की गई. उन्होंने संसद के सत्रों के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम किया जैसे कि विधेयकों की समीक्षा, सदन की कार्यवाही को निर्देशित करना और विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट्स और दस्तावेजों का प्रबंधन करना.

सी. के. जैन के संसदीय ज्ञान और अनुभव ने उन्हें संसद के कार्यों को और अधिक प्रभावी और कुशलता से संचालित करने में मदद की। उनके योगदान को संसदीय इतिहास में सराहा जाता है.

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राजनीतिज्ञ अशोक गहलोत

अशोक गहलोत एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो विशेष रूप से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं. वह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार सेवा कर चुके हैं और वर्तमान में भी इस पद पर काबिज हैं. गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर में हुआ था. उन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और विधि में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.

गहलोत का राजनीतिक कैरियर 1970 के दशक से शुरू होता है, जब वे युवा कांग्रेस से जुड़े. वे इंदिरा गांधी के अंतर्गत केंद्रीय सरकार में कई छोटे-मोटे पदों पर रहे और धीरे-धीरे राजस्थान की राजनीति में अपना स्थान मजबूत किया. उन्होंने पहली बार 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.

अशोक गहलोत को उनके शांत स्वभाव, संगठनात्मक क्षमता और गरीबों के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है. उनकी सरकार ने विभिन्न सामाजिक कल्याण प्रोग्राम्स जैसे कि निशुल्क दवाइयां, पेंशन योजनाएं और ग्रामीण विकास परियोजनाएं चलाई हैं. गहलोत का विशेष ध्यान शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास पर भी रहा है.

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मुख्यमंत्री रघुवर दास

रघुवर दास एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. उनका कार्यकाल दिसंबर 2014 से दिसंबर 2019 तक था. वे झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री थे। रघुवर दास का जन्म 3 मई 1955 को जमशेदपुर में हुआ था, और उन्होंने श्रम और रोजगार के विभाग में काम करते हुए अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की.

उनकी राजनीतिक यात्रा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ जुड़ी हुई है, और वे जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से कई बार विधायक के रूप में चुने गए. उन्होंने झारखंड में विकासोन्मुखी नीतियों और विभिन्न सुधारों को लागू किया, जिसमें श्रम सुधार, बिजली सुधार, और राज्य में विभिन्न विकास परियोजनाओं का संचालन शामिल है.

उनके कार्यकाल में राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और निवेश को आकर्षित करने के लिए कई पहल की गईं. हालांकि, उनके कार्यकाल का समय कुछ विवादों से भी घिरा रहा, जिसमें आदिवासी समुदायों के साथ तनाव और अन्य सामाजिक मुद्दे शामिल थे. रघुवर दास की नेतृत्व शैली और उनकी प्रशासनिक क्षमता ने उन्हें झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण आंकड़ा बनाया.

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राजनीतिज्ञ उमा भारती

उमा भारती एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ अपने जुड़ाव के लिए जानी जाती हैं. उनका जन्म 3 मई 1959 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ था. उमा भारती ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की और वे राजनीति में उनकी गहरी धार्मिक रुचि और हिंदुत्व के प्रचार के लिए विख्यात हैं.

उमा भारती ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, जिनमें से सबसे उल्लेखनीय है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल, जो दिसंबर 2003 से अगस्त 2004 तक था. उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में भी सेवा की, जहाँ उन्होंने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय का नेतृत्व किया।

उमा भारती को अक्सर उनके स्पष्टवादी व्यक्तित्व और कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाना जाता है. वे अयोध्या आंदोलन के दौरान एक प्रमुख चेहरा थीं, और उन्होंने इस मुद्दे पर अपने दृढ़ विचार और सक्रिय भागीदारी के लिए बहुत प्रचार प्राप्त किया।

उनके कैरियर में विवाद भी रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी नीतियों और उपलब्धियों के माध्यम से अपने समर्थकों का एक मजबूत आधार बनाया है. उमा भारती भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट और प्रभावशाली आवाज के रूप में जानी जाती हैं.

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राजनीतिज्ञ कमल रानी वरुण

कमल रानी वरुण एक भारतीय राजनीतिज्ञ थीं जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जन्म 3 मई 1958 को हुआ था, और उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ की थी. कमल रानी वरुण ने विभिन्न पदों पर काम किया, जिसमें उनके द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य के रूप में सेवा करना और उत्तर प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य करना शामिल है.

उन्होंने कानपुर देहात से लोकसभा सदस्य के रूप में भी कार्य किया और उनकी पहचान एक कर्मठ और समर्पित नेता के रूप में बनी. कमल रानी वरुण का निधन 2 अगस्त 2020 को COVID-19 से हुआ था, जब वे उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री के पद पर थीं.

उनकी मृत्यु ने राजनीतिक और सामाजिक जगत में एक शून्य छोड़ा, और उन्हें एक प्रेरणादायक नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने अपने कार्यकाल में समाज के विकास के लिए अनेकों योगदान दिए.

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राजनीतिज्ञ अर्जुन मुंडा

अर्जुन मुंडा एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो झारखंड राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं. वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा कर चुके हैं. उनका जन्म 3 मई 1968 को झारखंड के खूंटी जिले में हुआ था.

अर्जुन मुंडा की शिक्षा में बी.कॉम. और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन सोशल वर्क शामिल है, और उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत युवा आयु में की थी. वे झारखंड में आदिवासी समुदाय के प्रमुख नेता माने जाते हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य के विकास और आदिवासी हितों के प्रमोशन पर विशेष ध्यान दिया है.

उनके मुख्यमंत्रित्व काल में विभिन्न विकास परियोजनाएं और सुधारात्मक उपाय किए गए, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना का विकास शामिल है. उनकी राजनीतिक यात्रा में वे कई बार विधायक के रूप में भी चुने गए और उन्होंने झारखंड की खूंटी विधानसभा क्षेत्र से भी प्रतिनिधित्व किया.

अर्जुन मुंडा ने भी केंद्रीय सरकार में मंत्री के रूप में सेवा की है और वर्तमान में वे जन-जातीय मामलों के मंत्री के रूप में कार्यरत हैं. उनके नेतृत्व में जन-जातीय कल्याण और अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न पहल की गई हैं.

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तीसरे राष्ट्रपति डाक्टर ज़ाकिर हुसैन

डॉ. ज़ाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे और उन्होंने 13 मई 1967 से अपनी मृत्यु तक, 3 मई 1969 तक इस पद पर कार्य किया. वे भारतीय राष्ट्रपति बनने वाले पहले मुस्लिम और पहले विद्वान थे. उनका जन्म 8 फरवरी 1897 को हैदराबाद में हुआ था.

डॉ. हुसैन की शिक्षा जर्मनी में हुई थी, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. वे भारतीय शिक्षा में सुधार के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में वाइस चांसलर के रूप में भी कार्य किया. उनका शिक्षा के प्रति समर्पण और दृष्टिकोण अत्यंत प्रेरणादायक था.

राष्ट्रपति के रूप में, डॉ. हुसैन ने अपने विनम्र स्वभाव और उच्च नैतिक मानदंडों के लिए सम्मान अर्जित किया. उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक शांतिपूर्ण और सम्मानजनक दौर के रूप में माना जाता है. उनकी मृत्यु के समय वे पद पर रहते हुए स्वर्गवासी होने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति भी बने. उनके नाम पर कई शैक्षिक संस्थानों का नाम रखा गया है, और उनकी याद में भारत में कई स्मारक और संस्थान स्थापित किए गए हैं.

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अभिनेत्री नर्गिस

नर्गिस एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपने योगदान के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की. उनका असली नाम फातिमा रशीद था, और उनका जन्म 1 जून 1929 को कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) में हुआ था. नर्गिस ने अपने कैरियर में 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और उन्हें अक्सर भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है.

नर्गिस की सबसे चर्चित फिल्म “मदर इंडिया” (1957) है, जिसमें उन्होंने राधा की भूमिका निभाई, एक संघर्षशील माँ जो अपने बच्चों को पालने के लिए संघर्ष करती है. इस भूमिका के लिए उन्होंने बहुत सराहना प्राप्त की और फिल्म को ऑस्कर के लिए भी नामांकित किया गया था.

नर्गिस का विवाह प्रसिद्ध अभिनेता सुनील दत्त से हुआ था, जो उनके सह-कलाकार भी थे. उनके तीन बच्चे हैं: संजय दत्त, जो खुद एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं; प्रिया दत्त, एक राजनीतिज्ञ; और नम्रता दत्त.

नर्गिस का निधन 3 मई 1981 को मुंबई में हुआ. उनकी मृत्यु के बाद, उनके नाम पर कई सामाजिक कार्यक्रम और पुरस्कार स्थापित किए गए हैं. नर्गिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन भी उनकी याद में स्थापित किया गया, जो कैंसर से जूझ रहे लोगों की मदद करता है.

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फ़िल्म निर्देशक प्रेमेन्द्र मित्र

प्रेमेन्द्र मित्र एक प्रसिद्ध बंगाली फ़िल्म निर्देशक, कवि, और लेखक थे. उनका जन्म 1904 में हुआ था और उन्होंने बंगाली साहित्य और सिनेमा दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. प्रेमेन्द्र मित्र खासतौर पर अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उन्होंने फ़िल्मों के लिए भी कई स्क्रिप्ट लिखीं और निर्देशन किया.

उनके साहित्यिक काम में ‘घनादा’ सीरीज बहुत प्रसिद्ध है, जो एक विज्ञान कथा सीरीज है और इसमें एक अकेला बुजुर्ग व्यक्ति घनादा के चरित्र के इर्द-गिर्द कहानियाँ बुनी गई हैं, जो अपने मजेदार और असंभव लगने वाले साहसिक कारनामों को सुनाता है.

प्रेमेन्द्र मित्र ने नाटक, कविता, उपन्यास, और यात्रा वृत्तांत लिखने के साथ-साथ कुछ फ़िल्मों का निर्देशन भी किया. उनकी रचनाएँ अक्सर मानवीय भावनाओं और जटिल चरित्र चित्रणों को उजागर करती हैं. उनकी लेखनी में गहराई और जीवन के प्रति एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत होता है, जिसने उन्हें बंगाली साहित्य में एक विशिष्ट स्थान दिलाया.

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जगजीत सिंह अरोड़ा

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय सेना के एक उल्लेखनीय अधिकारी थे, जिन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनका जन्म 1916 में हुआ था, और उन्होंने भारतीय सेना में अपना कैरियर शुरू किया. उन्हें विशेष रूप से 1971 के युद्ध में पूर्वी कमांड के कमांडिंग जनरल के रूप में उनकी नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है.

इस युद्ध के दौरान, जनरल अरोड़ा ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में भारतीय सशस्त्र बलों का नेतृत्व किया और पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की ओर अग्रसर किया, जो कि ढाका में 16 दिसंबर 1971 को हुआ था। इस घटना को युद्ध में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है और इसने बांग्लादेश के निर्माण में मदद की.

जनरल अरोड़ा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने उल्लेखनीय सैन्य दक्षता और साहस दिखाया, जिसके लिए उन्हें उच्च सम्मानों से नवाज़ा गया. उनके सैन्य कैरियर और योगदान को भारतीय इतिहास में उच्च स्थान प्राप्त है, और वे एक प्रेरणादायक सैन्य नेता के रूप में याद किए जाते हैं.

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राजनीतिज्ञ प्रमोद महाजन

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय सेना के एक उल्लेखनीय अधिकारी थे, जिन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनका जन्म 1916 में हुआ था, और उन्होंने भारतीय सेना में अपना कैरियर शुरू किया. उन्हें विशेष रूप से 1971 के युद्ध में पूर्वी कमांड के कमांडिंग जनरल के रूप में उनकी नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है.

इस युद्ध के दौरान, जनरल अरोड़ा ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में भारतीय सशस्त्र बलों का नेतृत्व किया और पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की ओर अग्रसर किया, जो कि ढाका में 16 दिसंबर 1971 को हुआ था. इस घटना को युद्ध में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है और इसने बांग्लादेश के निर्माण में मदद की.

जनरल अरोड़ा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने उल्लेखनीय सैन्य दक्षता और साहस दिखाया, जिसके लिए उन्हें उच्च सम्मानों से नवाज़ा गया. उनके सैन्य कैरियर और योगदान को भारतीय इतिहास में उच्च स्थान प्राप्त है, और वे एक प्रेरणादायक सैन्य नेता के रूप में याद किए जाते हैं.

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राजनीतिज्ञ जगमोहन मल्होत्रा

जगमोहन मल्होत्रा एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ और प्रशासक थे, जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण प्रशासनिक और राजनीतिक पदों पर कार्य किया. वह दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर, गोवा के गवर्नर, और जम्मू और कश्मीर के दो बार गवर्नर के रूप में सेवा की. उनका जन्म 25 सितंबर 1927 को हुआ था, और उन्होंने प्रशासन में अपनी कुशलता और कठोर नीतियों के लिए व्यापक पहचान बनाई.

जगमोहन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपना कैरियर शुरू किया और अपने प्रशासनिक कौशल के लिए जाने गए. उन्होंने दिल्ली में विभिन्न विकासात्मक प्रोजेक्ट्स और शहरी नवीनीकरण योजनाओं को लागू किया, जिससे उन्हें व्यापक सराहना मिली. हालांकि, उनके कार्यकाल को कुछ विवादों से भी जूझना पड़ा, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में, जहां उनके कठोर उपायों ने समर्थन के साथ-साथ आलोचना भी आकर्षित की.

उन्हें दो बार भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो उनके योगदान को मान्यता देता है. जगमोहन के प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन ने भारतीय शासन व्यवस्था में उनके गहरे प्रभाव को चिह्नित किया. उनका निधन 3 मई 2021 को हुआ.

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