‘डिफेंस’ ही अटैक’ होता है…
ज्यादातर हिंदू श्रीराम और श्रीकृष्ण को केवल दैवीय रूप में देखने के हिमायती रहते हैं कि उनके राजनैतिक व सामाजिक सरोकारों पर कुछ लिखने से उनकी धार्मिक भावना आहत होती है।लेकिन मुझे सदा ही उनके निजी व्यक्तित्व, दिनचर्या से लेकर राजनैतिक-सामाजिक दर्शन में अत्यधिक रुचि रही है विशेषतः रणनैतिक मामलों में।दोंनों के रणनैतिक दर्शन में मुझे यूँ तो सदैव समानता नजर आती है लेकिन श्रीराम की रणनीति में एक अलग विशिष्टता दिखाई देती है और वह हैAttack with Defence
कोरोना की 2021की विनाशकारी लहर में इसमें ‘डिफेंस’ ही अटैक’ होता है। अगर आप श्रीराम की रणनीति में ध्यान से देखें तो वह जब भी आगे बढ़ते हैं तो ‘आक्रामक सुरक्षा’ करते हैं और इसीलिये उनके द्वारा हासिल गढ़ फिर आक्रांताओं के शिकार नहीं होते।बक्सर स्थित ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के सिद्धाश्रम की उनकी व्यूह रचना हो या चित्रकूट के कामदगिरि व पंचवटी में गोदावरी के किनारे पर स्ट्रेटजिक ढंग से व्यवस्थित उनके आश्रमों की ऐसी व्यूह रचना, वे सदैव शत्रु को अपने ‘डिफेंस एरिया’ में फंसाकर आक्रमण करते नजर आते हैं। कर्नाटक स्थित किष्किंधा में बाली के विरुद्ध या लंका में सेतुबंध क्षेत्र में कड़े डिफेंस के साथ त्रिकूट पर्वत स्थित लंका की घेरेबंदी में भी उनकी वही रणनीति दिखाई देती है केवल यही नहीं बल्कि सुदुर अफगानिस्तान में वर्तमान पठानों के प्रागैतिहासिक पूर्वज ‘गंधर्वों’ के विरुद्ध ‘पुष्कलावती (चारसद्दा) और ‘तक्षशिला’ की सैनिक छावनियों का आक्रामक डिफेंस बनाकर फिर उनपर आक्रमण करने में भी यही रणनीति दिखाई देती है। वर्तमान में पंजाब व दिल्ली में देशद्रोहियों की हरकतें देखकर मुझे भी क्रोध आता है कि क्यों नहीं सरकार एक एंटीटेररिस्ट स्क्वाड बनाकर देशद्रोह ख़ालिस्तानवादियों का गुप्त सफाया करती है लेकिन फिर ध्यान आता है कि क्या होगा कि हिंदुओं की मूर्खता से कभी राहुल या केजरीवाल जैसों की सरकार बन जाती है तो उस स्क्वाड का कितना भयंकर दुरुपयोग किया जाएगा।ऐसी स्थिति में मोदी की ‘शांत मुद्रा का पूर्व इतिहास’ कहीं न कहीं यह सोचने समझने पर विवश करता है कि यह व्यक्ति श्रीराम की रणनीति को पूरी तरह फॉलो कर रहा है।हिंदुओं को जागृत करने के साथ-साथ, फाइटर प्लेन उतरने लायक सड़कों का इन्फ्रास्ट्रक्चर, मंदिरों व धार्मिक केंद्रों के विकास के द्वारा हिंदू इकोनॉमिक्स का विकास, सशस्त्र सेनाओं का सुदृढ़ीकरण और पाकिस्तान का डिएस्टाब्लिशमेंट प्रोग्राम का क्रियान्वयन दरअसल उसी ‘डिफेंस विद अटैक रणनीति’ का कार्यान्वयन है।जब तक ‘डिफेंस’ पूरा न हो जाएगा मोदी पंजाब को छुएंगे भी नहीं और उसके बाद छोड़ेंगे भी नहीं। हमने कश्मीर में ये होते देखा है, हम पहले पंजाब और फिर केरल में भी यह होते देखेंगे।सबसे आखिरी बात भारतीय पंजाब में डिफेंस का रास्ता पाकिस्तानी पंजाब के डिएस्टेब्लिशमेंट से होकर जाता है।’डिफेन्स विद अटैक जारी आहे।पाकिस्तान में जो हो रहा है और जो होगा वह श्रीराम की ही रणनीति है जो उन्होंने हजारों वर्ष पूर्व अपनाई थी। अंतर बस इतना है कि वर्तमान में उनके यशस्वी वंशज मोदी का हाथ पंजाबियों पर नहीं गंधर्वों के वंशज पठानों पर है। जिन्हें श्रीराम की अफगानिस्तान में अग्रगामी रणनीति व गंधर्वों के पठान कनेक्शन को जानना है वे पुस्तक इंदु से सिंधु तक का अध्ययन करने का कष्ट करें जो ‘अश्वों के देवता’ नामक अध्याय में वर्णित हैं।
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Most Hindus are in favor of seeing Shri Ram and Shri Krishna only in the divine form that writing something on their political and social concerns hurts their religious sentiments. But I have always been very interested in their personal personality, routine and political-social philosophy. It has been especially in strategic matters. I always see similarities in the strategic philosophy of both, but there is a different specialty in Shriram’s strategy and that is Attack with Defence.
In the devastating wave of Corona in 2021, there is ‘defense’ and ‘attack’. If you look carefully at Shriram’s strategy, whenever he moves forward, he does ‘aggressive protection’ and that is why the strongholds achieved by him do not fall prey to the invaders again. Strategically arranged on the banks of the Godavari at Kamadgiri and Panchvati, such array of his ashrams, he is always seen attacking the enemy by trapping them in his ‘defense area’. His same strategy is also seen in the siege of Lanka at the Trikuta Mountains against Bali in Kishkindha in Karnataka or in the Setubandha area in Lanka with strong defenses. The same strategy is also seen in making an aggressive defense of the military cantonments of (Charsadda) and ‘Takshashila’ and then attacking them. At present, seeing the activities of traitors in Punjab and Delhi, I also get angry that why the government does not form an anti-terrorist squad to eliminate the treasonous Khalistanists secretly, but then it comes to my mind what will happen if due to the stupidity of Hindus, the government like Rahul or Kejriwal In such a situation, Modi’s ‘pre-history of calm posture’ compels us to think that this person is following Shri Ram’s strategy completely. Hindus In addition to awakening the nation, the infrastructure of roads capable of landing fighter planes, the development of Hindu economics through the development of temples and religious centers, the strengthening of the armed forces, and the implementation of Pakistan’s de-establishment program are actually the implementation of the same ‘Defense with Attack Strategy’. Modi will not even touch Punjab till the ‘Defence’ is completed and after that, he will not leave it either. We have seen this happening in Kashmir, we will see it happening first in Punjab and then in Kerala. Last but not the least, the path of defense in Indian Punjab goes through the de-establishment of Pakistani Punjab. ‘Defence with attack continues. What is happening in Pakistan is and what will happen is the strategy of Shriram which he had adopted thousands of years ago. The only difference is that at present his glorious descendant Modi has his hands not on Punjabis but on Pathans, descendants of Gandharvas. Those who want to know Shriram’s forward strategy in Afghanistan and Gandharva’s Pathan connection should bother to study the book Indu Se Sindhu Tak which is described in the chapter titled ‘The God of Horses’.
Prabhakar Kumar.