ब्रेस्ट टैक्स…
हम प्रत्येक शनिवार को महिला दिवस के रूप में मनाएंगे और क्रांतिकारी महिलाएं जैसे कि वीरांगना फूलन देवी और वीरांगना नगेली, वीरांगना झलकारी बाई कोरी को नमन करेंगें और उनके जीवन संघर्षों को जन जन तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. जब हिन्दू धर्म में महिलाओं को ‘स्तन ढकने’ का भी अधिकार नहीं था इसलिए स्तन ही काट दिया.
नंगेली का नाम केरल के बाहर शायद किसी ने न सुना हो. किसी स्कूल के इतिहास की किताब में उनका ज़िक्र या कोई तस्वीर भी नहीं मिलेगी. लेकिन, उनके साहस की मिसाल ऐसी है कि एक बार जानने पर कभी नहीं भूलेंगे, क्योंकि नंगेली ने ‘स्तन ढकने’ के अधिकार के लिए अपने ही स्तन काट दिए थे. केरल के इतिहास के पन्नों में छिपी ये लगभग सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी कहानी उस समय की है जब केरल के बड़े भाग में त्रावणकोर के राजा का शासन था. जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी थीं और निचली जातियों की महिलाओं को उनके स्तन न ढकने का आदेश था. उल्लंघन करने पर उन्हें ‘ब्रेस्ट टैक्स’ यानी ‘स्तन कर’ देना पड़ता था.
केरल के श्रीशंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में जेंडर इकॉलॉजी और दलित स्टडीज़ की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शीबा के.एम बताती हैं कि ये, वो समय था जब पहनावे के कायदे ऐसे थे कि एक व्यक्ति को देखते ही उसकी जाति की पहचान की जा सकती थी. डॉ. शीबा कहती हैं, “ब्रेस्ट टैक्स का मक़सद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था. ये एक तरह से एक औरत के निचली जाति से होने की कीमत होती थी. इस कर को बार-बार अदा कर पाना इन ग़रीब समुदायों के लिए मुमकिन नहीं था. केरल के हिंदुओं में जाति के ढांचे में नायर जाति को शूद्र माना जाता था जिनसे निचले स्तर पर एड़वा और फिर दलित समुदायों को रखा जाता था. दलित समुदाय उस दौर में दलित समुदाय के लोग ज़्यादातर खेतिहर मज़दूर थे और ये कर देना उनके बस के बाहर था. ऐसे में एड़वा और नायर समुदाय की औरतें ही इस कर को देने की थोड़ी क्षमता रखती थीं.
डॉ. शीबा के मुताबिक इसके पीछे सोच थी कि अपने से ऊंची जाति के आदमी के सामने औरतों को अपने स्तन नहीं ढकने चाहिए. वो बताती हैं, “ऊंची जाति की औरतों को भी मंदिर में अपने सीने का कपड़ा हटा देना होता था, पर निचली जाति की औरतों के सामने सभी मर्द ऊंची जाति के ही थे. तो उनके पास स्तन ना ढकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. इसी बीच एड़वा जाति की एक महिला, नंगेली ने इस कर को दिए बग़ैर अपने स्तन ढकने का फ़ैसला कर लिया.
केरल के चेरथला में अब भी इलाके के बुज़ुर्ग उस जगह का पता बता देते हैं जहां नंगेली रहती थीं.
मोहनन नारायण ऑटो चलाने वाले मोहनन नारायण हमें वो जगह दिखाने साथ चल पड़े. उन्होंने बताया, “कर मांगने आए अधिकारी ने जब नंगेली की बात को नहीं माना तो नंगेली ने अपने स्तन ख़ुद काटकर उसके सामने रख दिए. लेकिन इस साहस के बाद ख़ून ज़्यादा बहने से नंगेली की मौत हो गई. बताया जाता है कि, नंगेली के दाह संस्कार के दौरान उनके पति ने भी अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी.
नंगेली का जन्म स्थान नंगेली की याद में उस जगह का नाम “ मुलच्छीपुरम यानी स्तन का स्थान” रख दिया गया. पर समय के साथ अब वहां से नंगेली का परिवार चला गया है और साथ ही इलाके का नाम भी बदलकर मनोरमा जंक्शन पड़ गया है. बहुत कोशिश के बाद वहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रह रहे नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू का पता मिला.मणियन साइकिल किनारे लगाकर बताया कि नंगेली के परिवार की संतान होने पर उन्हें बहुत गर्व है.
उनका कहना था, “उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि सारी औरतों के लिए ये कदम उठाया था जिसका नतीजा ये हुआ कि राजा को ये कर वापस लेना पड़ा.” लेकिन इतिहासकार डॉ. शीबा ये भी कहती हैं कि इतिहास की किताबों में नंगेली के बारे में इतनी कम पड़ताल की गई है कि, उनके विरोध और कर वापसी में सीधा रिश्ता कायम करना बहुत मुश्किल है. वो कहती हैं, “इतिहास हमेशा पुरुषों की नज़र से लिखा गया है, पिछले दशकों में कुछ कोशिशें शुरू हुई हैं महिलाओं के बारे में जानकारी जुटाने की, शायद उनमें कभी नंगेली की बारी भी आ जाए और हमें उनके साहसी कदम के बारे में विस्तार से और भी कुछ पता चल पाए.
प्रभाकर कुमार.
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Breast Tax…
We will celebrate every Saturday as Women’s Day and salute revolutionary women like Veerangana Phoolan Devi and Veerangana Nageli, Veerangana Jhalkari Bai Kori and try to make their life struggles known to the masses. When women did not even have the right to ‘cover their breasts’ in Hinduism, that’s why they cut off their breasts.
No one may have heard the name of Nangeli outside Kerala. You will not find any mention or picture of him in any school history book. But, the example of her courage is such that once you know it, you will never forget it, because Nangeli had cut off her own breasts for the right to ‘cover her breasts’. Hidden in the pages of the history of Kerala, this story about 100 to 150 years old is from the time when a large part of Kerala was ruled by the king of Travancore. The roots of casteism were very deep and women of lower castes were ordered not to cover their breasts. On violation, they had to pay ‘breast tax’.
Dr. Sheeba K.M., Associate Professor of Gender Ecology and Dalit Studies at Sri Shankaracharya Sanskrit University, Kerala, says that this was the time when the rules of dress were such that a person’s caste could be identified by looking at him. Dr. Sheeba says, “The purpose of the breast tax was to perpetuate the caste structure. It was a kind of price for a woman to be from a lower caste. It was possible for these poor communities to pay this tax again and again The Nair caste was considered a Shudra in the caste structure among the Hindus of Kerala, below which were placed the Edva and then the Dalit communities. It was outside the bus. In such a situation only the women of Edva and Nair community had little capacity to pay this tax.
According to Dr. Sheeba, the thinking behind this was that women should not cover their breasts in front of a man of a higher caste than themselves. She says, “Upper caste women also had to remove their chest cloth in the temple, but in front of lower caste women all the men were from upper caste. So they had no choice but to not cover their breasts. Meanwhile, Nangeli, a woman from the Edva caste, decided to cover her breasts without paying this tax.
Even now in Cherthala, Kerala, the elders of the area tell the address of the place where Nangeli used to live.
Mohanan Narayan Auto driver Mohanan Narayan went along to show us the place. He said, “When the officer who came to demand tax did not listen to Nangeli, Nangeli herself cut off her breasts and put them in front of him. But after this courage, Nangeli died due to excessive bleeding. It is said that Nangeli During the cremation, her husband also gave his life by jumping into the fire.
In memory of Nangeli’s birthplace, the place was named “Mulchhipuram i.e. the place of the breast”. But with time now Nangeli’s family has gone from there and also the name of the area has been changed to Manorama Junction. After a lot of effort, the address of Nangeli’s great-grandson Manian Velu, who was living a few kilometers away from there, was found. Putting his bicycle on the shore, Manian told that he was very proud to be a child of Nangeli’s family.
He said, “He did not take this step for himself but for all the women, as a result of which the king had to withdraw this tax.” But historian Dr. Sheeba also says that so little research has been done about Nangeli in the history books that it is very difficult to establish a direct relationship between his protest and tax return. She says, “History has always been written from the point of view of men, in the last decades some efforts have been started to collect information about women, maybe someday they will turn bare and we will get to know in detail about their courageous step. Could find out more.
Prabhakar Kumar.