
व्यक्ति विशेष– 646.
स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मी नारायण साहू
स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मी नारायण साहू एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी और समाज सुधारक थे. आज़ादी की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. लक्ष्मी नारायण साहू का जन्म 3 अक्टूबर 1890 को बालासौर, उड़ीसा में हुआ था और उनका निधन 18 जनवरी 1963 को हुआ. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और वकालत की पढ़ाई की.
महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर असहयोग आंदोलन(1920) में शामिल हुए.उन्होंने छत्तीसगढ़ में स्वराज्य आंदोलन को संगठित किया और जनजागृति फैलाई. वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में भाग लेने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य रहे और क्षेत्रीय स्तर पर पार्टी का भी नेतृत्व किया.
लक्ष्मी नारायण साहू ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा के प्रसार और सामाजिक सुधार के लिए काम किया. हरिजन उद्धार और छुआछूत उन्मूलन जैसे मुद्दों पर उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने स्थानीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य किए.
========== ========= ===========
फ़िल्म निर्देशक जे. पी. दत्ता
हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर फ़िल्म निर्माता-निर्देशक जो जो मुख्य रूप से देशभक्ति और युद्ध पर आधारित फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं और उनका नाम है जे. पी. दत्ता. उनका पूरा नाम ज्योति प्रकाश दत्ता है. दत्ता का जन्म 3 अक्टूबर 1949 को मुंबई में हुआ था. इनके पिता का नाम ओ. पी. दत्ता था. ओ. पी. दत्ता भी अपने समय के मशहूर फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और संवाद लेखक रहे थे.
जे. पी. दत्ता ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1976 में फिल्म सरहद से की थी. उन्होंने वर्ष 1985 में फिल्म गुलामी से अपने निर्देशन कैरियर की शुरुआत की. वे अपने फिल्मों में बड़े पैमाने पर युद्ध दृश्यों और देशभक्ति के विषयों को शामिल करने के लिए जाने जाते हैं.
फ़िल्में: – उमराव जान, एल ओ सी कारगिल, रिफ्युज़ी, बॉर्डर, क्षत्रिय, बंटवारा, हथियार, यतीम, ग़ुलामी.
जे. पी. दत्ता ने हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री बिंदिया गोस्वामी से विवाह किया था. उनकी दो बेटियाँ भी हैं.
========= ===========
पहली महिला फ़िजीशियन कादम्बिनी गांगुली
कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला फ़िजीशियन थीं. उनका जन्म 18 जुलाई 1861 को भागलपुर, बिहार में हुआ था. उनके पिता, ब्रजकिशोर बसु, ब्रह्म समाज के एक प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया.
कादम्बिनी गांगुली ने वर्ष 1883 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जिससे वे भारत की पहली महिला चिकित्सक बनीं. उनके चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से महान बनाया, बल्कि उन्होंने भारतीय महिलाओं के लिए नए अवसरों के द्वार खोले.
कादम्बिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु पहली दो भारतीय महिलाएँ थीं जिन्होंने वर्ष 1882 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. वर्ष 1886 में उन्होंने यूरोप जाकर और आगे की शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद वे भारत लौटकर चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने लगीं.
कादम्बिनी गांगुली ने नारी शिक्षा और सामाजिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशनों में भाग लिया और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई. कादम्बिनी गांगुली का निधन 3 अक्टूबर 1923 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुआ.
कादम्बिनी गांगुली की जीवन यात्रा और उनकी उपलब्धियों ने भारतीय समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया. उनकी प्रेरणा और संघर्ष आज भी अनेक महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.
========== ========= ===========
अभिनेता घनश्याम नायक
घनश्याम नायक एक भारतीय टेलीविजन अभिनेता थे, जिन्हें खासतौर पर लोकप्रिय टीवी सीरीज “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” में उनके चरित्र ‘नट्टू काका’ के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 12 मई 1944 को हुआ था, और उनका निधन 3 अक्टूबर 2021 को हुआ था. घनश्याम नायक ने अपने लंबे कैरियर में विभिन्न भूमिकाओं में अभिनय किया और वे अपने व्यावसायिकता और समर्पण के लिए जाने जाते थे.
घनश्याम नायक ने अपने कैरियर की शुरुआत बचपन में की थी और वे 100 से ज्यादा गुजराती और हिंदी फिल्मों में नजर आए. हालांकि, उन्हें सबसे बड़ी पहचान “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” से मिली, जिसमें उनके किरदार ने उन्हें घर-घर में प्रिय बना दिया. नट्टू काका के रूप में उनकी कॉमिक टाइमिंग और अभिनय कौशल ने दर्शकों का दिल जीता.
उनका निधन टेलीविजन जगत के लिए एक बड़ी क्षति माना गया, क्योंकि उन्होंने अपनी अद्भुत प्रतिभा और व्यक्तित्व से भारतीय टेलीविजन की दुनिया में एक खास स्थान बनाया था.